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UP AGREES: विश्व बैंक की मदद से यूपी में कृषि क्रांति, 4000 करोड़ की परियोजना से किसानों को होगा फायदा

UP AGREES उत्तर प्रदेश की कृषि तस्वीर बदलने जा रही है। विश्व बैंक की मदद से 4000 करोड़ रुपये की यूपीएग्रीज परियोजना को मंगलवार को योगी कैबिनेट की मंजूरी मिल गई। यह परियोजना बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के 28 जिलों में चलेगी। इसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ कृषि प्रधान राज्य की आर्थिक रफ्तार को भी बढ़ाना है।

By Anand Mishra Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Tue, 01 Oct 2024 08:55 PM (IST)
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4000 करोड़ की यूपी एग्रीज परियोजना से बदलेगी कृषि क्षेत्र की तस्वीर
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : विश्व बैंक के सहयोग कृषि व संबद्ध क्षेत्र की तस्वीर बदलने, किसानों की आय बढ़ाने और उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने की बड़ी पहल करते हुए कैबिनेट ने यूपी एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड रूरल इंटरप्राइज इकोसिस्टम स्ट्रेंथनिंग (यूपीएग्रीज) परियोजना को मंगलवार को स्वीकृति प्रदान की है।

चार हजार करोड़ रुपये की यूपीएग्रीज परियोजना अपेक्षाकृत पिछड़े समझे जाने वाले बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के आठ मंडलाें के 28 जिलों में संचालित की जाएगी।

छह वर्षों तक संचालित होने वाली इस परियोजना के लिए विश्व बैंक से 2737 करोड़ रुपये का ऋण मिलेगा। वहीं, प्रदेश सरकार 1166 करोड़ करोड़ रुपये व्यय करेगी। ऋण वापसी अवधि 35 वर्ष की होगी और इस पर महज 1.23 प्रतिशत का ब्याज देय होगा।

कैबिनेट से पारित प्रस्ताव के संबंध में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने विश्व बैंक सहायतित यूपी एग्रीज परियोजना की जानकारी मीडिया से साझा करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश में देश के सबसे अधिक भूभाग में खेती होती है, प्रदेश में नौ क्लाइमेटिक जोन हैं लेकिन बुंदेलखंड व पूर्वी उत्तर प्रदेश की औसत खेती पश्चिमी यूपी की तुलना में कम रहती है।

इसे देखते हुए एक ठोस रणनीति बनाई गई है। कृषि उत्पादकता और किसानों की आय को बढ़ाने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कैबिनेट ने यूपी एग्रीज परियोजना को सहमति दी है। चार हजार करोड़ रुपये की यह यह परियोजना छह वर्षों (वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2029-30 तक) तक चलेगी।

इसमें आठ मंडल के 28 जिले शामिल किए गए हैं। बुंदेलखंड के झांसी व चित्रकूट मंडल और पूर्वांचल के विंध्य, वाराणसी, आजमगढ, गोरखपुर, बस्ती व देवीपाटन मंडल में परियोजना संचालित की जाएगी। उन्होंने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष के बजट में परियोजना के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रविधान पहले से ही किया गया है।

इन सेक्टर में होगा कार्य

कृषि व संबद्ध क्षेत्रों की कमियों को चिह्नित कर फसलों की उत्पादकता में वृद्धि, कृषि उत्पादों का पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट, मूल्य संवर्धन गतिविधियां और मार्केट सपोर्ट सिस्टम का विकास। भंडारण, खाद्य प्रसंस्करण और इससे संबंधित अवस्थापना सुविधाओं का विकास। स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन सृजित किए जाएंगे जिससे किसानाें की आय में भी वृद्धि होगी।

कृषि उत्पादों के क्राप क्लस्टर्स को सेंटर आफ एक्स्सीलेंस के रूप में विकसित करना, डिजिटल एग्रीकल्चर इकोसिस्टम व सर्विस डिलीवरी प्लेटफार्म की स्थापना, जेवर एयरपोर्ट के पास एक्सपोर्ट हब की स्थापना। दो या तीन उपज का बडे पैमाने पर निर्यात, कृषि एसईजेड की स्थापना, विश्व स्तरीय कार्बन क्रेडिट मार्केट की स्थापना, 500 किसानों को सर्वोत्तम कृषि तकनीकी को देखने के लिए विदेशों भी भेजा जाएगा। विश्व स्तरीय हैचरी की स्थापना भी की जाएगी।

परियोजना के संचालन के लिए गठित होगी कमेटी

परियोजना के संचालन, अनुश्रवण, प्रगति समीक्षा और मूल्यांकन के लिए तीन कमेटियों के गठन किया जाएगा। राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट स्टीयरिंग कमेटी व कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट एक्जीक्यूटिव कमेटी और जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में डिस्ट्रिक्ट एक्जीक्यूटिव कमेटी। विश्व बैंक व भारत सरकार के साथ निगोसिएशन कर लोन (ऋण) एग्रीमेंट के विभिन्न प्रविधानों के लिए मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त, अपर मुख्य सचिव को अधिकृत किया जाएगा।

इन्हें मिलेगा लाभ

  • परियोजना क्षेत्र के सभी कृषक।
  • कृषक उत्पादक समूह व कृषि उत्पादक संगठन एवं अन्य।
  • पट्टाधारक मत्स्य पालक व मत्स्यजीवी सहकारी समितियां।
  • तालाब के मत्स्य पालक व अन्य।
  • कृषि व मत्स्य उद्यमी, महिला उद्यमी समूह।
  • कुशल व अकुशल कृषि श्रमिक।
  • कृषि क्षेत्र से जुड़े इंटरप्रेन्योर व निर्यातक।
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