UP BJP President: यूपी बीजेपी को नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश, स्वतंत्रदेव का तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा, कई अहम जीत दिलाने में रही भूमिका
यूपी बीजेपी को नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश है। वहीं स्वतंत्रदेव भाजपा के छठवें ऐसे प्रदेश अध्यक्ष हैं जिन्होंने तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है। वर्तमान सरकार में जल शक्ति मंत्री का पद संभाल रहे स्वतंत्रदेव ने सात चुनावों-उपचुनावों में पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
By Prabhapunj MishraEdited By: Updated: Sun, 17 Jul 2022 09:09 AM (IST)
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। यूपी बीजेपी को जहां एक ओर नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश है वहीं स्वतंत्र देव सिंंह अपना तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले छठवें अध्यक्ष बन गए हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की दोबारा शानदार जीत का इनाम पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को योगी सरकार-2.0 में जलशक्ति मंत्री बनाकर दिया है।
तभी से अटकलें हैं कि अब उनके स्थान पर नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है और यूं होते-होते शनिवार को उनका तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा हो गया। सात चुनावों और उपचुनावों में पार्टी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रदेव के खाते में यह उपलब्धि भी दर्ज है कि तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले वह छठवें प्रदेश अध्यक्ष हैं।
भाजपा के प्रदेश महामंत्री रहते हुए स्वतंत्रदेव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैलियों का जिम्मा संभाला। पार्टी ने उन्हें 16 जुलाई, 2019 को प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी। उन्हें यह जिम्मेदारी योगी सरकार-1.0 में परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाए जाने के बाद मिली थी। स्वतंत्रदेव ने मंत्री पद छोड़ संगठन में पसीना बहाना शुरू किया जिसका परिणाम रहा कि 2019 में 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में आठ पर भाजपा जीती।
2020 के स्नातक शिक्षक चुनाव में 11 में से छह सीटों पर पार्टी को जीत मिली। 2020 में ही सात विधानसभा सीटों के उपचुनाव में छह भगवा खेमे की झोली में आईं। 2021 में ब्लाक प्रमुख के चुनाव में 825 में से 648 सीटों पर तो जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 75 में से 67 सीटें भाजपा जीती। हाल के विधानसभा चुनाव, स्वतंत्रदेव के लिए सबसे बड़ी परीक्षा लेकर आए। वह उसमें भी सफल रहे और 403 में से 273 सीटों पर कमल खिलाकर संगठन द्वारा परिश्रम की पराकाष्ठा साबित की।
उपचुनाव में आजमगढ़-रामपुर लोकसभा सीटें जीतकर जिस तरह से भाजपा ने सपाई किले ढेर किए, उसने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में स्वतंत्रदेव की नेतृत्व क्षमता की छाप पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर छोड़ी है। स्वतंत्रदेव तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले अब तक के छठवें प्रदेश अध्यक्ष हैं। 1980 से अब तक यह उपलब्धि पहले प्रदेश अध्यक्ष माधव प्रसाद त्रिपाठी के अलावा कल्याण सिंह, कलराज मिश्र, केशरीनाथ त्रिपाठी और लक्ष्मीकांत वाजेपयी के नाम ही रही है।
यूपी में सरकार गठन के बाद मार्च से ही दिमागी घोड़े इस दिशा में दौड़ रहे हैं कि पार्टी प्रदेश में संगठन के मुखिया का जिम्मा किस वर्ग के कार्यकर्ता को सौंपेगी। पार्टी के भीतर ही कई तर्क हैं, मसलन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव की तरह 2024 को ध्यान में रखते हुए ब्राह्मण को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा या विधानसभा चुनाव में बसपा से विमुख होकर भाजपा की ताकत बढ़ाने वाले दलित वर्ग को पार्टी आकर्षित करना चाहेगी।
कुछ लोगों का तर्क यह भी है कि विधानसभा में तमाम चुनौतियों के बावजूद भाजपा ने शानदार सफलता प्राप्त की, इसलिए आबादी में सर्वाधिक हिस्सेदारी वाले पिछड़े वर्ग के ही कार्यकर्ता को फिर से मौका दिया जाएगा। स्वतंत्रदेव पिछड़ा वर्ग से आते हैं। उनसे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में भी संगठन का नेतृत्व करने वाले वर्तमान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी पिछड़ा वर्ग से थे। इस तरह तीनों जाति वर्गों को लेकर भी कई नाम दौड़ में बताए जा रहे हैं।
पिछड़ा वर्ग से सबसे मजबूत दावेदार केंद्रीय राज्यमंत्री बीएल वर्मा बताए जा रहे हैं। ब्राह्मणों में कई नाम हैं, जैसे कि पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा, पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश कुमार, अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम, कन्नौज सांसद सुब्रत पाठक आदि। वहीं, दलित वर्ग से विधान परिषद सदस्य लक्ष्मण आचार्य, सांसद विनोद सोनकर, एमएलसी विद्यासागर सोनकर और इटावा के सांसद डा. रामशंकर कठेरिया के नाम की चर्चा है।
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