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UP By Election 2024 : मुश्किलों भरी राह आसान बनाने में जुटी भाजपा, तो पुराना जनाधार पाने का प्रयास करेगी सपा

मझवां विधानसभा सीट भाजपा गठबंधन में निषाद पार्टी ने जीती थी। लोकसभा चुनाव में भी इस विधानसभा सीट पर भाजपा गठबंधन ने सपा को हराया था। वहीं मीरापुर विधानसभा सीट रालोद ने सपा गठबंधन में रहकर भाजपा को हराया था। अब रालोद भाजपा के साथ है। लोकसभा चुनाव में भी रालोद ने इस विधानसभा सीट पर सपा से 8969 वोटों के अंतर से हराया था।

By Shobhit Srivastava Edited By: Mohammed Ammar Updated: Fri, 16 Aug 2024 08:28 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के लिए यह चुनाव काफी अहम है।
शोभित श्रीवास्तव/राज्य ब्यूरो लखनऊ। लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद अब भाजपा विधानसभा उपचुनाव में ''मिशन-10'' में जुट गई है। उपचुनाव में कमल के लिए पांच सीटें सर्वाधिक चुनौतियों भरी हैं, इसके बावजूद पार्टी जीत की राह आसान बनाने में जुटी हुई है।

उपचुनाव में कमल खिलाने के लिए सरकार व संगठन दोनों ने ही ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन 10 सीटों के लिए अपने 30 मंत्रियों को प्रभारी बनाया है। साथ ही कोर कमेटी में शामिल मुख्यमंत्री, दोनों उप मुख्यमंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व महामंत्री संगठन ने दो-दो सीटों की जिम्मेदारी खुद संभाल ली है। पार्टी ने भी प्रभारी व सहप्रभारी यहां लगा दिए हैं।

फूलपुर सीट पर भाजपा को करनी होगी कड़ी मेहनत

विधानसभा की जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें पांच सपा व तीन भाजपा की थीं। इसके अलावा एक सीट निषाद पार्टी व एक सीट रालोद के पास थी। भाजपा की अपनी तीन सीटों में गाजियाबाद ही ऐसी सीट है जो सबसे मजबूत है। खैर विधानसभा सीट भी भाजपा की मजबूत सीट रही है किंतु लोकसभा चुनाव में रालोद के एनडीए गठबंधन में शामिल होने के बावजूद भाजपा इस विधानसभा सीट में सपा से 1401 वोटों से पीछे रह गई थी।

वर्ष 2022 के विधानसभा में यह सीट रालोद ने सपा गठबंधन के साथ मिलकर लड़ा था और यह सीट भाजपा ने रालोद से 97,999 वोटों के बड़े अंतर से जीती थी। अब रालोद भाजपा के साथ है।

फूलपुर के लिए भाजपा को कड़ी मेहनत करनी होगी। वर्ष 2022 के चुनाव में सपा से भाजपा यह सीट मात्र 2732 वोटों से ही जीत सकी थी, जबकि इस लोकसभा चुनाव में भाजपा इस विधानसभा में सपा से 17,937 वोटों के बड़े अंतर से पीछे रह गई थी।

कुंदरकी सीट पर जमकर दौड़ रही साइकिल

भाजपा के लिए सीसामऊ, कुंदरकी, करहल, कटेहरी व मिल्कीपुर विधानसभा सीटों की राह भी आसान नहीं है। किंतु पार्टी इन सीटों पर कमल खिलाने के लिए पूरा जोर लगाए हुए है। कानपुर की सीसामऊ ऐसी विधानसभा सीट है जिसमें पिछले तीन चुनाव (2022, 2017 व 2012) में सपा की साइकिल ने सरपट दौड़ी थी। उससे पहले के दो चुनाव 2007 व 2002 में यहां कांग्रेस जीती थी।

सरकार ने यहां अपने कद्दावर मंत्री सुरेश कुमार खन्ना को प्रभारी बनाकर उतारा है। कुंदरकी भी ऐसी सीट है जहां पिछले तीन चुनाव से सपा लगातार जीत रही है। 2007 के चुनाव में बसपा व 2002 के चुनाव में यहां सपा ने ही जीत दर्ज की थी। भाजपा यहां भी फिल्डिंग अच्छे से सजा रही है।

मिल्कीपुर सीट भाजपा के लिए चुनौती

करहल विधानसभा सीट पर तो सपा वर्ष 1993 से लगातार सात चुनाव से जीतती आ रही है। यहां भी योगी ने अपने तीन मंत्रियों को प्रभारी बनाकर उतारा है। अंबेडकरनगर की कटेहरी विधानसभा सीट 2022 में सपा के लालजी वर्मा जीते थे जबकि 2017 में भी लालजी वर्मा बसपा से चुनाव जीते थे।

अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर 2022 में साइकिल दौड़ी थी। वहीं, 2017 में इस सीट पर कमल खिला था। भाजपा के लिए मिल्कीपुर सीट नाक का सवाल बनी हुई है इसलिए इस सीट की कमान खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभाली है। वे यहां दो बार चुनाव प्रचार करने जा चुके हैं। उन्होंने कटेहरी सीट की भी जिम्मेदारी अपने ऊपर ली है।

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