UP By Election 2024: …तो सामने आ गई कांग्रेस के पीछे हटने की वजह, ‘साइकिल को हाथ का साथ’ कहानी में ट्विस्ट है!
उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं। दरअसल सपा ने सभी सीटें अपने पास रख लीं जिससे कांग्रेस को झटका लगा। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और हरियाणा व जम्मू-कश्मीर में लचर प्रदर्शन के कारण भी कांग्रेस दबाव में है। कांग्रेस अब सपा प्रत्याशियों का समर्थन करेगी और वार रूम के माध्यम से अपनी सक्रियता बनाए रखेगी।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। कांग्रेस ने विधानसभा उपचुनाव के लिए अपनी तैयारी तो जोरशोर से शुरू की थी पर मनमुताबिक सीट न मिलने से उसे झटका लगा है। उपचुनाव में एक भी सीट पर कांग्रेस का प्रत्याशी नजर नहीं आएगा। सीटों के बंटवारे में सपा पर दबाव बनाने में विफल रहे पंजे वाले दल के नेता व कार्यकर्ता अब साइकिल की रफ्तार बढ़ाने के लिए प्रचार करते नजर आएंगे।
पर्दे के पीछे कहानी कुछ और…
पार्टी के नेता भले ही इसे राजनीतिक दांव बताते हुए कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य भाजपा की हार बता रहे हैं पर पर्दे के पीछे कहानी कुछ और भी है। उपचुनाव में कांग्रेस की दावेदारी सिमटने के पीछे एक बड़ा कारण महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव भी माना जा रहा है।
कांग्रेस ने महाराष्ट्र में 12 सीट मांग रही सपा को चार सीटें देकर मना लिया तो उत्तर प्रदेश में सपा ने अपनी हनक बनाए रखते हुए सभी सीटें हासिल कर लीं। यह भी माना जा राह है कि हरियाणा व जम्मू-कश्मीर में लचर प्रदर्शन के चलते भी कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के सामने दबाव में है।
बंटवारे को लेकर खींचतान नहीं बनी बात
प्रदेश कांग्रेस ने फूलपुर, खैर, गाजियाबाद, मझवां व मीरापुर सीट पर उपचुनाव लड़ने का प्रस्ताव केंद्रीय नेतृत्व को भेजा था। इनमें फूलपुर, खैर व गाजियाबाद भाजपा के पास और मझवां उसके सहयोगी दल निषाद पार्टी के पास थीं, जबकि मीरापुर सीट रालोद के पास थी। पार्टी इन सीटों पर पंजा लड़ाना चाह रही थी।कांग्रेस अपनी कोशिश में लगी थी पर सपा ने नौ अक्टूबर को छह सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर कांग्रेस को पहला झटका दे दिया था। सपा खैर व गाजियाबाद सीट ही कांग्रेस को दे रही थी। कांग्रेस इन दोनों ही सीटों पर भाजपा की कड़ी चुनौती को भांपते हुए फूलपुर व मझवां हासिल करना चाह रही थी। सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान तो खूब चली पर बात नहीं बनी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता द्विजेन्द्र त्रिपाठी कहते हैं कि कभी-कभी बड़े लक्ष्य को साधने के लिए छोटी चीजों का त्याग करना पड़ता है। कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य भाजपा को हराना है। राहुल गांधी कहते हैं कि गठबंधन का मूल संदेश दिखना भी चाहिए। पार्टी ने इसे देखते हुए ही उपचुनाव में खुद मैदान में न उतरकर सपा प्रत्याशियों का पूरा समर्थन करने का निर्णय किया है।
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