Move to Jagran APP

UP By-Election: यूपी की इन नौ सीटों पर होगा घमासान, पढ़‍िए कौन, कहां पड़ रहा भारी

उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में से 9 की तारीखों का ऐलान हो चुका है। इनमें करहल खैर कुंदरकी मंझवां सीसामऊ कटेहरी फूलपुर मीरापुर और गाजियाबाद सदर सीट शामिल हैं। इन सीटों पर होने वाले मुकाबले बेहद दिलचस्प होने वाले हैं। आइए जानते हैं इन सीटों पर कौन-कौन से दल और प्रत्याशी मैदान में हैं।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 16 Oct 2024 11:34 AM (IST)
Hero Image
UP के 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है।-जागरण
 जागरण संवाददाता, लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश के 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है। इनमें नौ सीटों की चुनावी मतदान की तिथ‍ि की घोषणा हो चुकी है। एक अयोध्‍या की मिल्कीपुर सीट के मतदान की घोषणा नहीं हुई है।

आपको बता दें कि कानपुर की सीसीमऊ, प्रयागराज की फूलपुर, मैनपुरी की करहल, मिर्जापुर की मझवां, अयोध्‍या की मिल्‍कीपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मुरादाबाद की कुंदरकी और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर उपचुनाव होना है।

1) सपा का मजबूत गढ़ रहा है करहल

मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट सपा का सबसे मजबूत गढ़ मानी जाती है। इस सीट पर वर्ष 2022 में अखिलेश यादव ने भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल को हराया था। हाल में हुए लोकसभा चुनाव में कन्नौज से सांसद बनने के बाद अखिलेश ने इस सीट से इस्तीफा दिया था। उपचुनाव के लिए सपा पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी घोषित किया है।

तेज प्रताप मुलायम सिंह यादव के भाई के पौत्र और लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं। भाजपा से यहां अनुजेश यादव, सलोनी बघेल और डा. संघमित्रा मौर्य के नाम की चर्चा है। अनुजेश यादव सपा सांसद धर्मेंद्र यादव की सगी बहन संध्या यादव के पति हैं, जबकि सलोनी केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल की पुत्री है। डा. संघमित्रा पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं और पूर्व में मैनपुरी से लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं। वहीं, बसपा भी इस सीट पर शाक्य प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रही है।

2) जाट बाहुल्य खैर पर रालोद का रहा है प्रभाव

अलीगढ़ की खैर सीट जाट बाहुल्य है। इस सीट पर रालोद के मुखिया जयंत चौधरी का भी प्रभाव है। उनके बाबा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के समय से यह क्षेत्र परिवार से जुड़ा हुआ है। 2022 में भाजपा प्रत्याशी अनूप प्रधान ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव में वे हाथरस से जीते। उनके सांसद बनने के चलते खैर विधानसभा सीट रिक्त है। इस सीट के लिए भाजपा के दावेदारों की लंबी कतार है।

इनमें पूर्व सांसद किशनलाल दिलेर के नाती सुरेंद्र उर्फ दीपक भी शामिल हैं। अनूप प्रधान की पत्नी भी दावेदारों में शामिल हैं। इस सीट पर रालोद ने भी दावेदारी की थी। सपा व कांग्रेस में अभी स्पष्ट नहीं हुआ है कि सीट किसकी झोली में रहेगी। चर्चा कांग्रेस की अधिक है। इसके चलते बसपा छोड़कर चारू केन कांग्रेस में शामिल हुई हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में वे बसपा से प्रत्याशी थीं और दूसरे नंबर पर रहीं।

3) भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है कुंदरकी सीट

मुस्लिम बाहुल्य कुंदरकी विधानसभा सीट भाजपा के लिए चुनौती बनी हुई है। 2022 में चुने गए सपा विधायक जियाउर्रहमान बर्क के संभल से सांसद बनने के बाद रिक्त इस सीट पर अभी किसी पार्टी ने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। सपा में पूर्व सांसद डा. एसटी हसन, पूर्व विधायक हाजी रिजवान, संभल के सांसद के पिता अकीलुर्रहान, अनीस पाशा, राबुल पाशा, संभल के पूर्व जिलाध्यक्ष फिरोज खां, नावेद खां, मुहम्मद मारूफ सहित कई दावेदारों की लाइन में हैं।

जबकि, भाजपा में रामवीर सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष डा. शैफाली सिंह और कमल प्रजापति जोर आजमाइश कर रहे हैं। क्षेत्र में 63 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता है। हालांकि हाल ही में हुए सर्वे में 22 हजार फर्जी मतदाताओं के नाम कटे हैं। इनमें 15 हजार से अधिक मतदाता सपा समर्थित बताए गए हैं। इस सीट के लिए कांग्रेस ने भी दावेदारी पेश की है।

इसे भी पढ़ें-यूपी में एक गलती से ढाई गुना कम हो गई 600 किसानों की जमीन

4) मझवां : भाजपा और बसपा ने अभी नहीं खोले पत्ते

मीरजापुर की मझवां विधानसभा सीट कई दिग्गजों का अखाड़ा रह चुकी है। 2022 में निषाद पार्टी के टिकट पर भाजपा गठबंधन से डा. विनोद बिंद ने यहां से चुनाव जीता था। 2024 में भाजपा के टिकट पर डा. विनोद बिंद के भदोही से सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हुई है। इस सीट पर अभी सिर्फ सपा ने पत्ते खोले हैं। मंझवा सीट से 2002, 2007, 2012 में लगातार तीन बार बसपा से चुनाव जीत चुके रमेश बिंद ने सपा में शामिल होने के बाद अपनी बेटी डा. ज्योति बिंद को पहली बार चुनावी मैदान में उतारा है।

रमेश बिंद ने 2019 में भाजपा के टिकट पर भदोही से लोकसभा का चुनाव जीता था, हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर सपा में शामिल हो गए। अभी यहां से पर भाजपा और बसपा ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। ब्राह्मण और बिंद बहुल सीट पर निषाद पार्टी की उम्मीदवारी को लेकर भी सस्पेंस बना हुआ है।

5) सीसामऊ : सपा की अजेय सीट पर भाजपा को चुनौती

वर्ष 2012 से लगातार तीन बार जीतने वाले इरफान सोलंकी को प्लाट कब्जाने के मामले में सात वर्ष की सजा होने पर खाली हुई सीसामऊ सीट पर 13 नवंबर को फिर घमासान होगा। 2009 में हुए परिसीमन से पहले तक सुरक्षित रही सीसामऊ सीट सामान्य होने के बाद से यहां भाजपा जीत के लिए तरस रही है। अब यहां 42 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं और सपा के इरफान सोलंकी पिछला चुनाव 50 प्रतिशत से अधिक मतों से जीते थे।

चुनाव घोषित होने से पहले ही सपा जेल में बंद पूर्व विधायक इरफान की पत्नी नसीम सोलंकी का टिकट यहां से घोषित कर चुकी है। भाजपा में अभी रस्साकसी है। सौ से अधिक दावेदारों के बीच पिछले दिनों तीन नाम तय होने की चर्चा है। बसपा ने पहले ही विधानसभा प्रभारी घोषित कर रखा है।

6) कटेहरी : भाजपा ने मंत्रियों को सौंपी बड़ी जवाबदेही

अंबेडकरनगर की कटेहरी विधानसभा सीट पर वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने जीत दर्ज की थी। बसपा छोड़कर आए लालजी वर्मा सपा से विधायक निर्वाचित हुए थे। सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दिया था। उपचुनाव के लिए सपा ने लालजी वर्मा की पत्नी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शोभावती वर्मा को प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं बसपा ने अमित वर्मा को प्रत्याशी बनाया है।

भाजपा ने अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां दो बार दौरा कर चुनाव माहौल बना चुके हैं। भाजपा ने अपने पांच मंत्रियों जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालू, मत्स्य मंत्री संजय निषाद, कृषि मंत्री दिनेश प्रताप सिंह, पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर को इस सीट की जिम्मेदारी सौंपी है। जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को प्रभारी बनाया गया है।

7) फूलपुर : भाजपा के गढ़ से सपा ने जोड़ी प्रतिष्ठा

प्रयागराज में फूलपुर विधानसभा सीट का उप चुनाव प्रवीण पटेल के सांसद बनने के बाद इस्तीफे की वजह से हो रहा है। वह 2022 में इस क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीते थे। बीते विधानसभा चुनाव में मुज्तबा सिद्दीकी को 2,732 वोटों के अंतर से हराया था, वह फिर समाजवादी पार्टी से उम्मीदवार हैं। सपा को पिछड़ा दलित व अल्पसंख्यक वोटरों पर भरोसा है। भाजपा ने नाक का सवाल बनी इस सीट के लिए अभी अपना चेहरा नहीं दिया है।

पूर्व सांसद केशरीदेवी पटेल के पुत्र पूर्व विधायक दीपक पटेल, अमर नाथ मौर्य, मौजूदा सांसद की पत्नी गोल्डी पटेल, गंगापार जिलाध्यक्ष कविता पटेल दावेदारों में गिने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि भाजपा पटेल बिरादरी के उम्मीदवार पर ही दांव लगाएगी। बसपा ने शिवबरन पासी को उतारा है। मुज्तबा सिद्दीकी इससे पहले तीन बार विधायक रह चुके हैं। इसलिए यहां मुकाबला कांटे का है।

इसे भी पढ़ें-बिजली विभाग की नई पहल, अब उपभोक्‍ता भी बताएंगे; 'कहां है बिजली व्यवस्था में खामी'

8) मीरापुर : सपा-कांग्रेस गठबंधन में ऊहापोह की स्थिति

मीरापुर विधानसभा सीट वर्ष 2022 में राष्ट्रीय लोकदल की झोली में गई थी। तब रालोद-सपा का गठबंधन था। यहां से चंदन सिंह चौहान विधायक निर्वाचित हुए थे। लोकसभा चुनाव में चंदन को रालोद ने बिजनौर से चुनाव लड़ाया और उन्होंने जीत दर्ज की। उपचुनाव में एक तरफ भाजपा-रालोद गठबंधन है, तो दूसरी तरफ सपा-कांग्रेस गठबंधन है। मीरापुर सीट रालोद को मिलनी लगभग तय मानी जा रही है।

यहां से सांसद चंदन चौहान की पत्नी यशिका चौहान, रालोद जिलाध्यक्ष संदीप मलिक, प्रदेश संगठन महामंत्री अजित राठी, पूर्व विधायक नवाजिश आलम, राव अब्दुल वारिश, रमा नागर अपने टिकट की संभावनाएं तलाश रहे हैं।

वहीं, सपा-कांग्रेस गठबंधन में अभी ऊहापोह की स्थिति है। बसपा ने शाहनजर को इस सीट से प्रभारी घोषित किया है, जबकि आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने जाहिद को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर सर्वाधिक मतदाता मुस्लिम हैं। अनुसूचित जाति के साथ-साथ जाट बिरादरी का भी यहां खासा प्रभाव है।

9) गाजियाबाद : भाजपा के सामने गुटबाजी बनी है चुनौती

गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र से 2022 में विधायक चुने गए अतुल गर्ग को भाजपा ने लोकसभा चुनाव में केंद्रीय राज्यमंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष वीके सिंह का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया था और वह इस सीट पर विजयी हुए। सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने विधानसभा सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया। लगातार तीसरी बार इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा नेता अपनी पूरी ताकत झोंके हुए हैं। हालांकि, यहां पार्टी की गुटबाजी बड़ी समस्या है।

भाजपा से यहां पर दो ब्राह्मण, एक वैश्य और एक पंजाबी समाज के एक नेता का नाम दावेदारों की लिस्ट में है। अगस्त और सितंबर माह में दो बार खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गाजियाबाद आ चुके हैं। वहीं सपा-कांग्रेस के बीच गठबंधन होने पर यह सीट कांग्रेस के खाते में जाती दिख रही है।

वैश्य समाज के कांग्रेस से पूर्व सांसद के बेटे का नाम चर्चा में है। बसपा यहां पर हाल ही रवि गौतम को प्रत्याशी घोषित कर चुकी है, लेकिन अब उनका टिकट काट दिया है। उनके स्थान पर किसी दूसरे स्थानीय नेता को चुनाव लड़ाने की तैयारी में है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।