Sharda Sinha Deathसुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा (72) ने दिल्ली एम्स में अपनी आखिरी सांस ली। इस खबर ने देशभर में उनके शुभचिंतकों को झकझोर कर रख दिया। शारदा सिन्हा के गाये छठ गीत अभी हर तरफ बज रहे हैं और इस महापर्व के बीच में उनकी निधन की खबर से प्रशंसकों में मायूसी छायी है। पीएम मोदी समेत देश के बड़े नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक गायिका, पद्म भूषण शारदा सिन्हा के निधन पर शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर उनके निधन को संगीत जगत की अपूरणीय क्षति बताया। मुख्यमंत्री ने लिखा कि प्रख्यात लोक गायिका, पद्म भूषण डा. शारदा सिन्हा का निधन अत्यंत दुखद व संपूर्ण संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपने उत्कृष्ट पारंपरिक गायन के माध्यम से मैथिली, भोजपुरी सहित अनेक लोक भाषाओं और लोक संस्कृति की सेवा की तथा राष्ट्रीय पटल पर उन्हें सम्मान दिलाया। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!
सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा (72) ने दिल्ली एम्स में अपनी आखिरी सांस ली। इस खबर ने देशभर में उनके शुभचिंतकों को झकझोर कर रख दिया। शारदा सिन्हा के गाये छठ गीत अभी हर तरफ बज रहे हैं और इस महापर्व के बीच में उनकी निधन की खबर से प्रशंसकों में मायूसी छायी है। पीएम मोदी समेत देश के बड़े नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।अपनी माटी की खुशबू सहेजे जब खनकती आवाज की जादूगर शारदा सिन्हा के स्वर बिहार से निकले तो पूरे पूर्वांचल ही नहीं देशभर के भोजपुरिया समाज पर छा गए। लोक परंपराओं को सजोए गीत भी ऐसे की जिन्हें जितनी बार सुनिए उतनी बार नयापन का अहसास और मिठास जो मन को भावों से भर दे। खासकर छठ महापर्व पर शारदा सिन्हा के गीत कान में न पड़ें तो जैसे अनुष्ठान ही अधूरा हो। लोक मानस से जुड़े महापर्वारंभ पर उनका जाना गायिकी के एक युग का अंत हो जाना कहा जाएगा। अभी छठ की छटा बिखरने वाली थी, उनके गीत लोगों की जुबां पर उतरने वाली थी तभी भोजपुरी के स्वरों की साधिका अपने लाखों-लाख प्रशंसकों को अलविदा कह गईं। रह गईं तो उनकी यादें, उनके गीत और संकल्प जिसके विकल्प शायद ही मिल पाएं। उनका जाना काशी को अखर गया।
लखनऊ में आयोजित भोजपुरी महोत्सव में आई थीं शारदा सिन्हा
छठ महापर्व के मशहूर गीत कांचहिं बांस की बहंगिया... को सुरों से सजाने वालीं लोकगायिका पद्मभूषण व पद्मश्री से सम्मानित शारदा सिन्हा ने 15 अप्रैल 2005 में लक्ष्मण मेला स्थल पर आयोजित भोजपुरी महोत्सव में हिस्सा लिया था। तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह ने उनका सम्मान भी किया था। उनके जाने से भोजपुरी समाज में शोक की लहर है। समाज उन्हें गीतों के जरिए हमेशा याद रखेगा।-प्रभुनाथ राय, अध्यक्ष अखिल भारतीय भोजपुरी समाज
लोक गायक दीपक उपाध्याय ने कहा, ''लोक गायिका के रूप में नहीं, गुरु के रूप में उनके साथ कई बार मंच साझा करने का मौका मिला। दिल्ली व नोएडा के साथ ही पटना में छठ उत्सव में उनके साथ मुझे गाने का अवसर मिला था। वह गायिका ही नहीं, बल्कि भोजपुरी गीतों का संपूर्ण ग्रंथ थीं जिनके हर पन्ने पर एक नया गीत नजर आता है। उनके जाने से लोक गायिकी को जो क्षति हुई है उनकी पूर्ति कभी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा था बेटा कभी नकल मत करना अपना गाना,वहीं तुम्हारी पहचान होगी।''
80-90 के दशक में भोजपुरी गीतों की बात होती थी तो सुर कोकिला शारदा सिन्हा के समकक्ष कोई नाम नहीं मिलता है। उनकी आवाज ऐसी थी कि वह भोजपुरी की पहचान बन गईं। वह जिससे भी मिलती थीं तो ऐसा महसूस होता था कि उनके साथ उनका बहुत पुराना नाता रहा है। हंसता हुआ चेहरा सदैव भोजपुरी गायकी को नई ऊर्जा देता रहेगा। समाज की ओर से उन्हें नमन करता हूं।-वेद प्रकाश, प्रवक्ता, अखिल भारतीय भोजपुरी समाज
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