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UP Election 2022: फिर 'जीत का छक्का' लगाने की बड़ी चुनौती, बहराइच के चुनावी माहौल पर ग्राउंड रिपोर्ट

UP Vidhan Sabha Election 2022 बहराइच से पांच बार विधायक और सपा सरकार में मंत्री रहे वकार अहमद शाह के बेटे यासर खुद इस सीट से जबकि मटेरा से उनकी पत्नी मारिया चुनाव लड़ रही हैं। बसपा ने बहराइच सदर मटेरा कैसरगंज व नानपारा से मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Fri, 25 Feb 2022 09:17 AM (IST)
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UP Vidhan Sabha Election 2022: बहराइच के चुनावी माहौल पर ग्राउंड रिपोर्ट।

बहराइच [अजय जायसवाल]। भारत-नेपाल की सरहद तक फैले बहराइच जिले का पिछड़ापन भले ही अब दूर होता दिख रहा हो लेकिन भाजपा के सामने यहां 'जीत का छक्का' दोहराने की बड़ी चुनौती है। तकरीबन एक-तिहाई मुस्लिम आबादी वाले जिले की कई सीटों पर बदले समीकरण से सपा-भाजपा के बीच कड़े मुकाबले के आसार दिख रहे हैं। कुछ विधायकों के प्रति लोगों की नाराजगी और बड़े पैमाने पर मुस्लिम मतों से सपा की उम्मीदें बढ़ी हैं। भाजपा का सहारा मोदी-योगी सरकार के काम हैं। बहराइच के चुनावी माहौल पर ग्राउंड रिपोर्ट...

बहराइच जिले के कैसरगंज की सीमा में प्रवेश करते ही रिसौड़ा गांव के पास बाइक में पेट्रोल भरवा रहे युवा इरफान चुनाव की बात शुरू करते ही मुखर हो जाते हैं- 'आखिर महंगाई, बेसहारा पशुओं से दिक्कत, बेरोजगारी जैसी समस्याओं का असर तो होगा ही।' इनकी बातों में सपा का जोर दिखता है। इरफान के रवाना होते ही वहीं खड़े दीपक बोलते हैं- 'दिक्कतें तो हैं, मंत्री रहते भी विधायक ने अपेक्षानुसार काम नहीं किया लेकिन हमारे सामने मोदी-योगी का चेहरा है।' रिसौड़ा के ही 74 वर्षीय छोटेलाल कमल और जरवल कस्बे के विनायक वर्मा कहते हैं कि सब ठीक है बस महंगाई कुछ कम हो जाए।

कैसरगंज में मिले कड़ासर के रामफेर जहां योगी-योगी कहते हैं वहीं हसना के राम प्रगट कुरेदने पर बताते हैं कि उनके गांव में तो साइकिल का जोर है। वैसे सपा द्वारा यहां पहले मुस्लिम फिर यादव प्रत्याशी बनाए जाने से दोनों पक्षों में अखिलेश के प्रति नाराजगी देखने को मिली लेकिन विकल्प पूछने पर अंतत: दोनों सपा के साथ ही दिखे।

बहराइच शहर में लोगों से बात करने पर यहां कांटे की लड़ाई के आसार नजर आते हैं। जमील खां कहते हैं कि भले ही बसपा ने भी मुस्लिम उम्मीदवार नईम को उतारा है लेकिन मुस्लिम बंटने वाला नहीं है। गौरतलब है कि पिछले चुनाव में भाजपा को जहां लगभग 87 हजार वोट मिले थे वहीं सपा को 80 हजार और बसपा को 36 हजार वोट मिले थे। दोनक्का चौराहे पर पान की दुकान खोले ऊषा शर्मा भी मानती हैं कि यहां कांटे की टक्कर है तो इंतजार अहमद साइकिल का जोर बताते हैं। मलावा के अभिमन्यु पांडेय कहते हैं कि यदि भाजपा ने प्रत्याशी बदल दिया होता तो ज्यादा दिक्कत न होती।

पिछले चुनाव के विनर सुभाष व रनर मुकेश श्रीवास्तव के बीच ही फिर मुकाबले वाली पयागपुर सीट के निवासी गयादीन कहते हैं कि जिसका नमक खा रहे हैं उसका कर्ज तो उतारना ही है। वहीं खड़ी कमला देवी दबी जुबान से साइकिल का जोर बताती हैं। महसी क्षेत्र के रमपुरवा चौकी में मिले ननकऊ वर्मा कहते हैं वह तो मोदी-योगी के लिए कमल को वोट देंगे।

महसी क्षेत्र में एक होटल में चाय पी रहे महराजगंज के इरफान कहते हैं कि तमाम समस्याओं के चलते वे भाजपा के साथ तो नहीं लेकिन मौजूदा विधायक सुरेश्वर के साथ हैं। पेशे से वकील परमेश शुक्ल कहते हैं कि नाराजगी चाहे जितनी हो लेकिन 70-80 प्रतिशत से अधिक ब्राह्मïण भाजपा के साथ ही रहेगा। अलबत्ता कदीर जरूर कहते हैं कि कामधंधा है नहीं, ऊपर से जानवर फसल बर्बाद कर दे रहे हैं ऐसे में मोदी-योगी पर कोई क्यों भरोसा करे?

भारी पड़ सकती है अंतर्कलह : दलित बहुल सुरक्षित सीट बलहा में प्रत्याशी को लेकर अंतर्कलह की चर्चा भाजपा को भारी पड़ सकती है। अक्षयवर लाल के बहराइच से सांसद बनने के बाद उप चुनाव में जीती सरोज सोनकर के बजाय अक्षयवर अपने बेटे के लिए यहां से टिकट चाह रहे थे लेकिन भाजपा ने सरोज को ही फिर मैदान में उतारा है। सपा ने अछैवरनाथ कनौजिया को टिकट दिया है जो कि भाजपा से विधायक और सांसद रही सावित्री बाई फुले के साथ हैं। पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रही बसपा की किरन भारती अबकी कांग्रेस से लड़ रही हैं जबकि बसपा से जिला पंचायत सदस्य रामचंद्र प्रसाद मैदान में हैं। पेशे से शिक्षक नत्थू राम सोनी को लगता है कि यदि प्रत्याशी बदला होता तो यहां से भाजपा की जीत पक्की थी। राजापुर के उदय सिंह भी मानते है कि नया चेहरा होता तो भाजपा के मुकाबले में कोई न दिखता। बसपा के साथ रहने वाले दलित भी मुफ्त राशन मिलने से भाजपा के साथ आ सकते हैं।

मुस्लिम बंटे तो भाजपा को फायदा : नानपारा के शिवपुर बस स्टैंड के पास जनसेवा केंद्र चलाने वाले दिलीप त्रिपाठी कहते हैं कि यहां कमल नहीं बल्कि कप-प्लेट (भाजपा गठबंधन में शामिल अपना दल एस का सिंबल) है। वोटर की दुविधा के सवाल पर बताते हैं कि प्रत्याशी राम निवास वर्मा यहीं के हैं, उनका अपना प्रभाव भी कम नहीं है। नानपारा बाईपास पर मिले रामफेर समझाते हैं कि कुर्मी वोट अपनादल व सपा में बंट सकता है। ऐसे में मुस्लिम वोट तभी सपा के साथ जाएगा जब उसे लगेगा कि भाजपा को हराने की स्थिति में है। मटेरा चौराहे की एक पान की दुकान पर खड़े अफरोज आलम को मटेरा सीट पर साइकिल का ही जोर दिखता है। मुम्बई से वोट डालने के लिए यहां आए अफरोज कहते हैं कि इस सरकार में यहां रोजगार मिलता तो कहीं और क्यों जाते? पान की दुकान चलाने वाले सुनील और संजू बताते हैं कि मुस्लिम आबादी ज्यादा होने के बावजूद पिछली बार यासर यहां मुश्किल से जीते थे। कैसरगंज सीट पर भी एआइएमआइएम और बसपा के बकाउल्ला के बीच मुस्लिम मतों का बंटवारा होने की दशा में सपा को झटका और भाजपा को फायदा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

पिछले चुनाव में मिली थीं छह सीटें : तकरीबन 34 प्रतिशत मुस्लिम और 15 प्रतिशत दलित आबादी वाले बहराइच जिले में सात विधानसभा सीटें हैं जिसमें बलहा विधानसभा सुरक्षित क्षेत्र है। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा छह सीटों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही थी जबकि सपा को एक सीट मिली थी। भाजपा ने इसबार फिर जीत का 'छक्का' दोहराने के लिए जहां बहराइच से विधायक अनुपमा जायसवाल, बलहा से उप चुनाव में जीती सरोज सोनकर, महसी से सुरेश्वर सिंह व पयागपुर से सुभाष त्रिपाठी को फिर मैदान में उतारा है वहीं कैसरगंज से विधायक व मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा के पुत्र गौरव वर्मा पर दांव लगाया है। पिछली बार नानपारा से भाजपा के टिकट पर विधायक बनी माधुरी वर्मा अबकी सपा से किस्मत आजमा रही हैं। भाजपा के सहयोगी अपनादल (एस) से राम निवास वर्मा चुनाव मैदान में हैं। सपा सरकार में मंत्री रहे यासर शाह से पिछले चुनाव में मात्र 1595 मतों से मटेरा सीट गंवाने वाली भाजपा ने रनरअप रहे अरुणवीर सिंह पर ही दांव लगाया है। बहराइच से पांच बार विधायक और सपा सरकार में मंत्री रहे वकार अहमद शाह के बेटे यासर अबकी खुद इस सीट से जबकि मटेरा से उनकी पत्नी मारिया अली शाह चुनाव लड़ रही है। बसपा ने बहराइच सदर के साथ ही मटेरा, कैसरगंज व नानपारा से मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। बसपा से विधायक रहे कृष्ण कुमार ओझा जहां महसी सीट से सपा प्रत्याशी हैं वहीं सपा से नाता तोड़ डा. राजेश तिवारी कांग्रेस से मैदान में हैं। एआइएमआइएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी को भी जिले से बड़ी उम्मीदें हैं लेकिन मुस्लिम मतदाताओं की नजर उस पार्टी पर है जो भाजपा को हरा सके।

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