Move to Jagran APP

UP Election 2022: मुलायम के 'किले' में 'धमक' से दरारें...मैनपुरी की चारों सीटों पर भाजपा-सपा में बराबर की कुश्ती

UP Vidhan Sabha Election 2022 जिस दिन मुलायम की कर्मभूमि करहल से सपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की घोषणा हुई उसी दिन से विधानसभा चुनाव का रोमांच बढ़ गया। किस्से यूं शुरू हुए कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ज्यादा बड़े अंतर से जीतेंगे या अखिलेश यादव?

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Sat, 19 Feb 2022 06:30 AM (IST)
Hero Image
UP Vidhan Sabha Election 2022: मुखर 'एम-वाई' फैक्टर, दलित-पिछड़ों पर टिका आखिरी दांव।
मैनपुरी [जितेंद्र शर्मा]। नामांकन के बाद करहल न आने पर भी जीत का आत्मविश्वास जता चुके सपा मुखिया अखिलेश यादव अब वहां कुनबे सहित पसीना यूं ही नहीं बहा रहे। जिस डगर को साइकिल के लिए काफी चौड़ा आंका जा रहा था, उसे अपने पसीने से दलदल बनाने में कोई कोर कसर भाजपा प्रत्याशी प्रो. एसपी सिंह बघेल ने नहीं छोड़ा। सिर्फ करहल ही नहीं, मैनपुरी सदर, भोगांव और किशनी सीट पर भाजपा और सपा के बीच बराबर की कुश्ती मानी जा रही है। बेशक, उत्साहित यादव-मुस्लिम मतदाता मुखर होकर सपा के साथ खड़ा है, लेकिन अन्य जातियों की खामोशी ने करहल से किशनी तक नए समीकरण खड़े कर दिए हैं। सैफई परिवार के वरदहस्त से कुछ लोगों की जो धमक इस क्षेत्र में रही, उसी ने मुलायम सिंह यादव के किले में कुछ दरारें उभारी हैं। बीते पांच बरस घूमे कानून के डंडे ने यहां बाधा दौड़ का मुकाबला बना दिया है। यादव-मुस्लिम गठजोड़ के मुकाबले गुपचुप नजर दलित-पिछड़ों पर जा टिकी हैं, जिनकी करवट सबसे अहम होगी। पेश है रिपोर्ट....

जिस दिन मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि करहल से सपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की घोषणा हुई, उसी दिन से विधानसभा चुनाव का रोमांच बढ़ गया। किस्से यूं शुरू हुए कि गोरखपुर सदर से चुनाव लड़ रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ज्यादा बड़े अंतर से जीतेंगे या मुलायम सिंह के जलवे वाले क्षेत्र से अखिलेश यादव? सपा मुखिया अपनी बड़ी जीत के प्रति इतने आश्वस्त थे कि नामांकन के बाद बयान दिया था कि अब प्रदेशभर में चुनाव प्रचार करेंगे। करहल में कार्यकर्ता कमान संभालेंगे। मगर, भाजपा ने यहां केंद्रीय मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल को मैदान में उतारकर तय मानी जा रही सपा की सफलता को संघर्ष में बदल दिया।

यदि इस क्षेत्र में कोई पहुंचे तो अधिकतर जगह सपा का झंडा और सिर पर लाल टोपी ही दिखेगी। यादव और मुस्लिम खुलकर अखिलेश की जीत का दावा करते हैं। आखिर दूसरी जातियों का मिजाज क्या है? यह भांपने के लिए जाटवान मोहल्ला निवासी पूर्व प्रधानाध्यापक रघुवर दयाल जाटव से प्रश्न किया तो हाथ जोड़कर खामोशी ओढ़ लेते हैं। नगला खुंडे के पूर्व प्रधान मनोज कुमार जाटव का उत्तर था- भाजपा भी अच्छी, अखिलेश भी अच्छे। करहल के बाजार में कई व्यापारियों का मन टटोलने का प्रयास किया, लेकिन वह कुछ भी कहने से इन्कार कर देते हैं।

कुछ यूं समझा जाए कि सपा के समर्थन में खुलकर बोल रहे यादव मतदाता की संख्या यहां लगभग सवा लाख, मुस्लिम की पंद्रह हजार है। 40 हजार शाक्य, 25 हजार जाटव, 25 हजार क्षत्रिय, 15-15 हजार ब्राह्मïण और कठेरिया सहित 12-12 हजार की भागीदारी वाले पाल-धनगर और लोधी मतदाता मुंह पर अंगुली रखे चुप है। इधर, भाजपा प्रत्याशी एसपी सिंह बघेल पर हमले की घटना ने इस घमासान को और करीबी बनाते हुए कानून व्यवस्था के मुद्दे को गर्मा दिया है। अब यहां निर्णायक भूमिका में गैर-यादव पिछड़े और दलितों की करवट ही मानी जा रही है।

हर सीट पर कानून व्यवस्था और बेसहारा गोवंश ही मुद्दा : करहल की तरह ही सपा की अजेय रही किशनी सीट के साथ-साथ भोगांव और मैनपुरी सदर में भाजपा और सपा के बीच ही करीबी संघर्ष नजर आ रहा है। दरअसल, यहां दो ही मुद्दे लोगों की जुबां पर हैं। योगी सरकार में गुंडे-माफिया पर नकेल और बेलगाम बेसहारा पशु। भोगांव के लल्लूपुर निवासी अवध किशोर मिश्रा को शिकायत है कि उन्हें अधिकारी टहलाते रहे, लेकिन किसान सम्मान निधि नहीं मिल सकी। वह सरकार से नाराज हैं, लेकिन जाति के प्रत्याशी के साथ खड़े रहने का दम फिर भी भरते हैं। सुरवेंद्र यादव और शेर सिंह यादव नवोदय विद्यालय कांड का जिक्र छेड़ते हैं लेकिन, उन्हीं के साथ बैठे बुजुर्ग ग्रंथ सिंह दिवाकर का मत है कि जहां समाज के दूसरे लोग वोट देंगे, वहीं वह देंगे। पास ही रामनगर गांव है। यहां दुकान पर बैठे नौजवान रिषभ शाक्य सरकार पर खासी नाराजगी जताते हैं। वह कहते हैं कि सरकार राशन दे रही है, लेकिन हम खेतों में जो उगा रहे हैं, वह बेसहारा गोवंश खा जाते हैं। मनोज सिंह राजपूत के भी यही बोल थे लेकिन, लगभग 20 बरस की पल्लवी का नजरिया अलग है। वह मानती हैं कि बेसहारा गोवंश की समस्या है लेकिन, सरकार ने बाकी काम अच्छे किए हैं। सुनीता शाक्य और ऊषा देवी का दिमाग एक ही जगह अटका है कि गुंडागर्दी बहुत कम हो गई, ये सुकून क्या कम है। यही मुद्दे और मिजाज किशनी और मैनपुरी सदर में नजर आ रहे हैं।

जातिवार आंकड़े (लगभग में हैं)

करहल विधान सभा क्षेत्र

  • यादव - सवा लाख
  • शाक्य - 40 हजार
  • जाटव - 25 हजार
  • क्षत्रिय - 25 हजार
  • ब्राह्मण - 15 हजार
  • मुस्लिम - 15 हजार
  • कठेरिया - 15 हजार
  • लोधी - 12 हजार
  • पाल-धनगर - 12 हजार
  • मुकाबले में प्रमुख दलों के प्रत्याशी : अखिलेश यादव सपा, प्रो.एसपी सिंह बघेल भाजपा, कुलदीप नारायण बसपा
किशनी विधान सभा क्षेत्र

  • यादव - 60 हजार
  • क्षत्रिय - 55 हजार
  • शाक्य - 40 हजार
  • जाटव - 30 हजार
  • कठेरिया - 22 हजार
  • ब्राह्मण - 12 हजार
  • मुस्लिम - 10 हजार
  • मुकाबले में प्रमुख दलों के प्रत्याशी : ब्रजेश कठेरिया सपा, प्रियरंजन आशु दिवाकर भाजपा, प्रभुदयाल जाटव बसपा, विजय नारायन सिंह कांग्रेस।
भोगांव विधान सभा क्षेत्र

  • लोधी - 55 हजार
  • यादव - 45 हजार
  • शाक्य - 40 हजार
  • दलित - 70 हजार
  • क्षत्रिय - 30 हजार
  • ब्राह्मïण - 18 हजार
  • मुस्लिम - 18 हजार
  • पाल-धनगर - 15 हजार
  • कश्यप-मल्लाह - 12 हजार
  • मुकाबले में प्रमुख दलों के प्रत्याशी : आलोक शाक्य सपा, रामनरेश अग्निहोत्री भाजपा, अशोक सिंह चौहान फौजी बसपा, ममता राजपूत कांग्रेस।
मैनपुरी सदर विधान सभा क्षेत्र

  • यादव - 70 हजार
  • शाक्य - 30 हजार
  • क्षत्रिय - 30 हजार
  • दलित - 20 हजार
  • ब्राह्मण - 15 हजार
  • लोधी - 15 हजार
  • मुस्लिम - 15 हजार
  • मुकाबले में प्रमुख दलों के प्रत्याशी : राजकुमार यादव सपा, जयवीर सिंह भाजपा, गौरव नंद सविता बसपा, विनीता शाक्य कांग्रेस।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।