UP Electricity: यूपी में 2.85 करोड़ ग्रामीणों का डेढ़ गुना हो जाएगा बिजली बिल, विभाग ने जारी किए आदेश
शहर की तरह गांव में बिजली की आपूर्ति होने पर ग्रामीणों को अब शहरी दर से बिजली का बिल देना होगा। पावर कारपोरेशन के निदेशक मंडल ने इस संबंध में निर्णय कर सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों से कहा है कि शहरी शेड्यूल के अनुसार जिन ग्रामीण फीडर से ज्यादा बिजली दी जाए उसे शहरी फीडर में तब्दील कर शहरी दर लागू की जाए।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। शहर की तरह गांव में बिजली की आपूर्ति होने पर ग्रामीणों को अब शहरी दर से बिजली का बिल देना होगा। ऐसे में 2.85 करोड़ ग्रामीणों का बिजली का बिल लगभग डेढ़ गुना बढ़ जाएगा। पावर कारपोरेशन के निदेशक मंडल ने इस संबंध में निर्णय कर सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों से कहा है कि शहरी शेड्यूल के अनुसार जिन ग्रामीण फीडर से ज्यादा बिजली दी जाए उसे शहरी फीडर में तब्दील कर शहरी दर लागू की जाए।
दरअसल, वर्तमान में बिजली आपूर्ति को लेकर जो शेड्यूल तय है उसके अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे, नगर पंचायत व तहसील मुख्यालयों को 21.30 घंटे, बुंदेलखंड को 20 घंटे जबकि जिला व मंडल मुख्यालय और महानगरों को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति करने की व्यवस्था है। हालांकि, लोकसभा चुनाव के दौरान गांव तक में 23 से 24 घंटे बिजली आपूर्ति होती रही है।
शहरी क्षेत्र से कम है ग्रामीण क्षेत्र की बिजली दर
गांव में शहर जैसी बिजली आपूर्ति की व्यवस्था न होने से ही ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं की बिजली की दर अब तक शहरी उपभोक्ताओं से काफी कम ही रही है। चूंकि हाल के वर्षों में बिजली आपूर्ति के सिस्टम में काफी सुधार देखा गया है और बड़ी संख्या में ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां शहरों की तरह 24 घंटे तक बिजली मिल रही है।ऐसे में पावर कारपोरेशन के निदेशक मंडल ने शहर की तरह ज्यादा बिजली पाने वाले ग्रामीण उपभोक्ताओं से अब शहरी दर से ही बिजली का बिल लेने का निर्णय किया है।
निदेशक मंडल के निर्णय के संबंध में पावर कारपोरेशन के मुख्य अभियंता (आरएयू) सीवी सिंह गौतम द्वारा सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को भेजे गए पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि तेजी से हो रहे शहरीकरण के चलते शहरी शेड्यूल के अनुसार बिजली आपूर्ति पर ग्रामीण फीडर के स्टेट्स को समाप्त कर उन्हें शहरी फीडर घोषित किया जाए। ऐसे में संबंधित फीडर से बिजली लेने वाले उपभोक्ताओं पर ग्रामीण के बजाय शहरी दर से बिजली की दर लागू करने के लिए भी कहा गया है।
हालांकि, निदेशक मंडल के निर्णय पर सवाल उठाते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि नियमानुसार ऐसा नहीं किया जा सकता है।वर्मा ने बताया कि वेबिनार के माध्यम से तमाम ग्रामीण उपभोक्ताओं ने निर्णय़ का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि देश में विद्युत उपभोक्ता अधिकार कानून 2020 लागू है। इसकी धारा 10 में सभी को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति का प्रावधान है। प्रदेश में भी रोस्टर समाप्त हो गया है, फिर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति पर शहरी दर क्यों लागू की जा रही है?
वर्मा ने कहा कि जल्द ही उपभोक्ता परिषद इस मामले को लेकर विद्युत नियामक आयोग में अवमानना याचिका दाखिल करेगा।
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