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UP Electricity: यूपी में निजी हाथों में सौंपी जाएगी बिजली आपूर्ति व्यवस्था, UPPCL ने लिया बड़ा फैसला

यूपी में बिजली आपूर्ति व्यवस्था को घाटे से उबारने के लिए बड़ा फैसला लिया गया है। राज्य सरकार अब बिजली आपूर्ति को निजी क्षेत्र में सौंपने जा रही है। पीपीपी मॉडल के तहत पहले चरण में पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम को निजी हाथों में सौंपा जाएगा। इस मॉडल में निजी कंपनी का प्रबंध निदेशक होगा लेकिन अध्यक्ष सरकार का होगा। इससे उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के हितों की रक्षा हो सकेगी।

By Ajay Jaiswal Edited By: Abhishek Pandey Updated: Tue, 26 Nov 2024 03:42 PM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। ऊर्जा क्षेत्र के बढ़ते घाटे के मद्देनजर प्रदेश की बिजली आपूर्ति व्यवस्था को अब निजी क्षेत्र में सौंपा जाएगा। पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) माडल के तहत पहले-पहल राज्य के सर्वाधिक घाटे के पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्काम (विद्युत वितरण निगमों) वाले क्षेत्रों को निजी हाथों में सौंपा जाएगा।

सोमवार को पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डा. आशीष कुमार गोयल ने शक्तिभवन मुख्यालय में डिस्काम के प्रबंध निदेशकों से लेकर मुख्य अभियंताओं की बैठक में सभी से ऊर्जा क्षेत्र को घाटे से उबारने के बारे में सुझाव मांगे। ज्यादातर ने उड़ीसा में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत टाटा पावर द्वारा की जा रही बिजली आपूर्ति के माडल का अध्ययन कर अपनाने सुझाव दिया।

आरडीएसएस (संशोधित वितरण क्षेत्र योजना) को लेकर बुलाई गई बैठक में अध्यक्ष द्वारा वितरण निगमों की खराब वित्तीय स्थिति का जिक्र करते हुए कहा गया कि तमाम कोशिशों के बावजूद कारपोरेशन का घाटा बढ़ता जा रहा है। जितनी बिजली खरीदी जा रही है उतने विद्युत राजस्व की वसूली नहीं हो रही है।

प्रदेशवासियों को बिजली आपूर्ति के लिए मौजूदा वित्तीय वर्ष में ही कारपोरेशन को सरकार से 46,130 करोड़ रुपये के सहयोग की जरूरत पड़ी है। यही स्थिति रहने पर अगले वर्ष लगभग 50-55 हजार करोड रूपये तथा फिर 60-65 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। इस पर अधिकारियों-अभियंताओं ने कहा कि विद्युत राजस्व वसूली बढ़ाने से लेकर लाइन हानियां घटाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

बिजली चोरी रोकने को विजिलेंस के छापे और बड़े पैमाने पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई फिर भी वित्तीय स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। ऐसे में सुझाव दिया गया कि ज्यादा घाटे वाले क्षेत्रों की वित्तीय स्थिति को सार्वजनिक निजी सहभागिता के आधार पर सुधारा जाए। इसमें सहयोग करने वाले निगम के मौजूदा अभियंताओं-कर्मचारियों की सहभागिता भी सुनिश्चित की जाए। कहा गया कि उड़ीसा में टाटा पावर के बिजली आपूर्ति संबंधी माडल को अपनाया जा सकता है।

एमडी निजी कंपनी का और सरकार का होगा अध्यक्ष

बैठक में कहा गया कि अपनाए जाने वाले पीपीपी माडल में निजी कंपनी का प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष सरकार का होगा। दावा किया जा रहा है कि अध्यक्ष सरकार का होने से विद्युत उपभोक्ताओं से लेकर निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों के हितों को सुनिश्चित किया जा सकेगा। बैठक में कहा गया कि संविदाकर्मियों के हितों का भी ध्यान रखा जाए।

सुझावों पर अध्यक्ष ने कहा कि प्रबंधन, अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवा शर्तें, सेवा-निवृत्ति लाभ आदि में कोई कमी नहीं होने देगा। अधिकारी-कर्मचारियों को तीन विकल्प दिए जाएंगे। वे चाहेंगे तो जहां हैं वहीं पीपीपी मॉडल पर काम करने वाली नई कंपनी में बने रह सकेंगे। नई कंपनी में न जाकर वह पावर कारपोरेशन के दूसरे डिस्काम में आ सकेंगे। दोनों ही विकल्प न अपनाने वालों के लिए आकर्षक वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृति) ले सकेंगे।

अध्यक्ष ने यह भी स्पष्ट किया कि ऊर्जा निगमों को घाटे से उबारने के लिए सुधार प्रक्रिया में सहयोग करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को राज्य सरकार नयी कंपनी में हिस्सेदारी(शेयरहोल्डिंग) देने पर भी विचार करेगी। यह भी साफ किया कि बेहतर प्रदर्शन वाले क्षेत्रों को सुधार प्रक्रिया से बाहर रखा जाएगा।

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