UPPCL: यूपी में बिजली दरों में बदलाव की तैयारी, अब हर दो महीने में हो सकता है संशोधन
यूपी में बिजली दरों में हर दो महीने में बदलाव हो सकता है। यूपीईआरसी में गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई हुई। यूपी पावर कॉरपोरेशन ने ईंधन अधिभार शुल्क को एक महीने की जगह दो महीने में लागू करने का अनुरोध किया है। बता दें कि केंद्र सरकार ने अब तीन माह के बजाय प्रतिमाह के हिसाब से फ्यूल सरचार्ज उपभोक्ताओं पर लागू करने का नियम बना रखा है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। केंद्र सरकार के नियम के तहत बिजली कंपनियों को हर माह स्वतः फ्यूल एंड पावर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज (ईंधन अधिभार शुल्क) तय कर लागू करने का अधिकार देने के मामले में गुरुवार को उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में सुनवाई हुई।
आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह की उपस्थिति में हुई सुनवाई में यूपी पावर कारपोरेशन ईंधन अधिभार शुल्क को एक माह की जगह दो माह में लागू करने की व्यवस्था बनाने का अनुरोध किया।
पावर कारपोरेशन की ओर से रेगुलेटरी अफेयर्स यूनिट के मुख्य अभियंता डीसी वर्मा ने लिखित प्रस्ताव दाखिल करते हुए निगम का पक्ष रखा। कहा, ईंधन अधिभार शुल्क के रूप में उपभोक्ताओं पर जब पैसा निकलेगा तो उनकी बिजली दरों में ईंधन अधिभार शुल्क की बढ़ोतरी की जाएगी लेकिन लेकिन जब शुल्क उपभोक्ताओं की बिजली दर को घटाने के लिए निकलेगा तो उसे बाद में लागू किया जाएगा।
कारपोरेशन के इस पक्ष पर नियामक आयोग के अध्यक्ष व सदस्य ने कड़ी आपत्ति जताई। कहा, ईंधन अधिभार शुल्क में जो व्यवस्था है, उसके तहत कभी दरें घटेगी और कभी बढ़ेंगी। कारपोरेशन ने यह कैसे सोच लिया कि इससे सिर्फ दरें बढ़ेंगी। साफ कहा कि जब शुल्क घटेगा तो उपभोक्ताओं की दरें घटेगी और जब बढ़ेगा तो इसमें वृद्धि होगी।
बता दें कि केंद्र सरकार ने अब तीन माह के बजाय प्रतिमाह के हिसाब से फ्यूल सरचार्ज उपभोक्ताओं पर लागू करने का नियम बना रखा है। उसी के आधार पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग भी नियमों में बदलाव करने जा रहा है। संशोधित नियमों के लागू होने पर कंपनियों को उपभोक्ताओं पर फ्यूल सरचार्ज लागू करने के लिए आयोग से किसी तरह की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
उपभोक्ता परिषद ने जताया विरोध
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सुनवाई के दौरान विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाए जा रहे कड़े कानून का विरोध करते हुए कहा यह प्रदेश के उपभोक्ताओं के हित में नहीं है। पेट्रोल डीजल की तरह प्रत्येक माह लगाया जाने वाला ईंधन अधिभार शुल्क पूरी तरह गलत है। पावर कारपोरेशन बिना आयोग की अनुमति के इसे उपभोक्ताओं पर लागू कर सकता है, यह पूरी तरह गलत है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के तमाम कानूनों का हवाला देते हुए कहा कि उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली देने का मामला हो या कम बिजली देने पर मुआवजा देने का कानून, सभी पर भारत सरकार ने रूल बनाया है लेकिन आज तक उसे विद्युत नियामक आयोग ने उसे नहीं लागू कराया, फिर इस कानून को लागू कराने में इतनी जल्दबाजी क्यों की जा रही है? उन्होंने कहा कि पहले की व्यवस्था के तहत तीन माह में ही ईंधन अधिभार शुल्क लागू हो।
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