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UP Lok Sabha Result 2024: …तो इसलिए हार गए भाजपा के 26 सांसद, काश पार्टी ने सुनी होती विधायकों की बात!

लोकसभा चुनाव में उतरे भाजपा व सहयोगी दलों के 26 सांसद मतदाताओं की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाए जबकि 21 सांसदों पार्टी की उम्मीद के अनुरूप ही जीत दर्ज कर सके। आधे से अधिक सांसदों की हार ने प्रदेश में भाजपा को बड़ा झटका दिया है। पार्टी को चुनावी मैदान में उतरे अधिकतर सांसदों की पांच वर्षों की निष्क्रियता का खामियाजा उठाना पड़ा है।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Wed, 05 Jun 2024 03:13 AM (IST)
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UP Lok Sabha Result 2024: …तो इसलिए हार गए भाजपा के 26 सांसद।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। लोकसभा चुनाव में उतरे भाजपा व सहयोगी दलों के 26 सांसद मतदाताओं की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाए, जबकि 21 सांसदों पार्टी की उम्मीद के अनुरूप ही जीत दर्ज कर सके। 

आधे से अधिक सांसदों की हार ने प्रदेश में भाजपा को बड़ा झटका दिया है। पार्टी को चुनावी मैदान में उतरे अधिकतर सांसदों की पांच वर्षों की निष्क्रियता का खामियाजा उठाना पड़ा है। भाजपा ने अपने 47 सांसदों को टिकट दिया था।

भाजपा के खराब प्रदर्शन की सबसे बड़ी वजह सांसद ही बने। अधिकतर से मतदाता नाराज थे। इसके बाद भी भाजपा व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर 21 ने जीत दर्ज की है। 

विधायकों ने किया था टिकट का विरोध

चंदौली से हारे महेंद्र नाथ पांडेय भारी उद्योग मंत्री होने के बाद भी क्षेत्र में कोई बड़ा प्रोजेक्ट लाने में सफल नहीं हो सके। पांडेय से मतदाताओं की ही नहीं भाजपा के विधायकों की भी अंदरखाने नाराजगी थी। भाजपा विधायक उन्हें टिकट देने का विरोध भी किया। 

इसी तरह, अजय मिश्रा टेनी को लेकर भी खीरी लोस क्षेत्र में विधायकों व मतदाताओं में नाराजगी थी। इसके बाद भी पार्टी ने खीरी से चुनावी मैदान में उतार दिया था। यही हाल अमेठी की सीट का भी था। स्मृति इरानी को लेकर भी मतदाताओं में नाराजगी थी। बस्ती से हरीश द्विवेदी को फिर टिकट देने का भी वहीं के विधायक विरोध कर रहे थे।

इस सीटों पर सफल रहा प्रयोग

भाजपा का सात सीटों पर टिकट बदलने का प्रयोग सफल रहा है। इनमें बहराइच, बरेली, देवरिया, कैसरगंज, मेरठ, फूलपुर व पीलीभीत की सीटें शामिल हैं। बहराइच से आनंद कुमार गौड़, बरेली से छत्रपाल सिंह गंगवार, देवरिया से शशांक मणि, कैसरगंज, से करण भूषण सिंह, मेरठ से अरुण गोविल, फूलपुर से प्रवीण पटेल व पीलीभीत से जितिन प्रसाद ने जीत दर्ज की है।

विधायकों के विरोध को भाजपा ने गंभीरता से नहीं लिया 

लोस के चुनावी मैदान में अपने सांसदों को उतारने से पहले संबंधित विधानसभा सीटों से पार्टी के विधायकों के विरोध को भाजपा ने गंभीरता से नहीं लिया। सीतापुर से भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए राकेश राठौर ने भाजपा उम्मीदवार को हराया। राठौर इस सीट से विधायक रहे हैं। धौरहरा में भी रेखा वर्मा को लेकर भाजपा के विधायक एकमत नहीं थे।

मोदी के नाम पर जीत का सपना बना हार का कारण

भाजपा के अधिकतर सांसद पिछले चुनावों की तरह ही इस बार भी मोदी के नाम पर चुनाव जीतने का सपना देख रहे थे। पांच वर्षों में जनता के बीच में रहने की बजाय सांसदों ने उनसे दूरी बनाए रखी। इसके चलते 26 सांसदों को हार का मुंह देखना पड़ा।

भाजपा के हारे हुए सांसदों की लिस्ट

भाजपा के हारने वाले सांसदों में फतेहपुर से निरंजन ज्योति, मोहनलालगंज से कौशल किशोर, मुजफ्फरनगर से संजीव कुमार बलियान, आंवला से धर्मेंद्र कश्यप,आजमगढ़ से दिनेश लाल निरहुआ, बांदा से आरके सिंह पटेल, बस्ती से हरीश द्विवेदी, चंदौली से महेंद्र नाथ पांडेय, धौरहरा से रेखा वर्मा हारी।

एटा से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह, इटावा से रामशंकर कठेरिया, फैजाबाद से लल्लू सिंह, जालौन से भानु प्रताप सिंह वर्मा, कैराना से प्रदीप कुमार, कन्नौज से सुब्रत पाठक, कौशांबी से विनोद सोनकर, मछलीशहर से बीपी सरोज, प्रतापगढ़ से संगम लाल गुप्ता, रामपुर से धनश्याम लोधी, सलेमपुर से रवींद्र कुशवाहा, संत कबीर नगर से प्रवीण कुमार निषाद, सीतापुर से राजेश वर्मा व सुुल्तानपुर से मेनका गांधी तथा हमीरपुर से पुष्पेंद्र सिंह शामिल हैं।

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