UP News: यूपी में एडहॉक टीचर्स की बल्ले-बल्ले, 17 महीने से रुकी सैलरी जल्द मिलेगी; निर्देश किए जारी
UP News सुप्रीम कोर्ट ने तदर्थवाद को खत्म करने का निर्णय सुनाया था लेकिन अब राज्य सरकार ने मानवीय आधार पर इन्हें वेतन देने का फैसला किया है। अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार की ओर से शुक्रवार को तदर्थ शिक्षकों को 17 महीने का बकाया वेतन देने का आदेश जारी कर दिया गया है। फिलहाल अभी आगे भी इनसे पूर्ववत सेवाएं ली जाएंगी।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों के 1,111 शिक्षकों को आखिरकार 17 महीने बाद वेतन देने के निर्देश दिए गए हैं। अब इन्हें बकाया वेतन के साथ-साथ फिलहाल आगे भी वेतन मिलता रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने तदर्थवाद को खत्म करने का निर्णय सुनाया था, लेकिन अब राज्य सरकार ने मानवीय आधार पर इन्हें वेतन देने का फैसला किया है। फिलहाल दीपावली के मौके पर 20 से लेकर 25 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे इन शिक्षकों को बड़ी राहत मिल गई है। मगर ऐसे तदर्थ शिक्षक जो नियमों को पूरा नहीं करते उन्हें बकाया वेतन देकर नौकरी से बाहर भी कर दिया जाएगा।
17 महीने का बकाया वेतन जल्द होगा जारी
अपर मुख्य सचिव, माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार की ओर से शुक्रवार को तदर्थ शिक्षकों को 17 महीने का बकाया वेतन देने का आदेश जारी कर दिया गया है। फिलहाल अभी आगे भी इनसे पूर्ववत सेवाएं ली जाएंगी। एडेड माध्यमिक स्कूलों में वर्ष 1994 के बाद नियमित शिक्षकों की संख्या कम होने पर प्रबंध तंत्र के माध्यम से तदर्थ शिक्षकों को पूरे वेतन पर रखकर सेवाएं लेना शुरू हुईं।
वर्ष 2000 के बाद प्रबंध तंत्र ने गलत ढंग से तदर्थ शिक्षक भर्ती करना शुरू कर दिया जो कि वर्ष 2004 तक जारी रहा। ऐसे में नियमित पदों के सापेक्ष कार्य कर रहे इन शिक्षकों की कुल संख्या बढ़ती गई और यह दो हजार के करीब पहुंच गई।
पिछले 25 सालों से दे रहे हैं अपनी सेवाएं
वर्ष 20 से 25 वर्षों से सेवाएं दे रहे यह शिक्षक लगातार विनियमितिकरण की मांग करते रहे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। गड़बड़ी माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी की और कई जिलों में तदर्थ शिक्षकों को विनियमित कर दिया गया। वर्ष 2020 में तदर्थ शिक्षक संजय सिंह ने विनियमितिकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में वाद दायर किया।
SC ने सुनाया तदर्थवाद को खत्म करने का आदेश
26 अगस्त 2020 और सात दिसंबर 2021 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश में तदर्थवाद को खत्म करने का निर्णय सुनाया गया और शिक्षकों को कोई राहत नहीं दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों के खाली पदों पर भर्ती में इन्हें भारांक देने का निर्देश दिए। वर्ष 2021 में हुई भर्ती में इन्हें भारांक दिया गया लेकिन सिर्फ 12 शिक्षक ही इसका लाभ उठा सके। फिर बीते वर्षों में विनियमित किए गए शिक्षकों के मामले में आधिकारियों पर कार्रवाई शुरू हुई।
बीते वर्ष अयोध्या के संयुक्त शिक्षा निदेशक अरविंद पांडेय को गलत ढंग से विनियमितिकरण करने के आरोप में निलंबित भी कर दिया गया। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जून 2022 से इन शिक्षकों का वेतन पूरी तरह रोक दिया गया।
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माध्यमिक तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजक राजमणि ने बताया कि इसे लेकर बीते सितंबर-अक्टूबर महीने में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय पर शिक्षकों ने याचना कार्यक्रम के माध्यम से 53 दिन आंदोलन चलाया तब उन्हें आश्वासन दिया गया था कि इनके हित में कोई निर्णय होगा। अब राहत दे दी गई है। मगर उनकी नौकरी पर तलवार लटक गई है जिनसे तदर्थ शिक्षकों की भर्ती के नियमों के विपरीत सेवाएं ली जा रही हैं।