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UP News: जेलकर्मियों के हाथों में भी अब होगी इंसास राइफल, जेल में नहीं काम करेगा 5G नेटवर्क

उत्तर प्रदेश के कारागार विभाग ने जल्द ही जेलकर्मियों को भारी-भरकम .303 (थ्री-नाट-थ्री) राइफल से मुक्ति दिलाने का फैसला किया है। इसके लिए इंसास राइफलों की खरीद की जाएगी। कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान ने जेलों की सुरक्षा-व्यवस्था की समीक्षा की और आधुनिक सुरक्षा तकनीक को अपनाने पर जोर दिया। इसमें फाइव-जी जैमर और सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था शामिल है।

By Alok Mishra Edited By: Shivam Yadav Updated: Thu, 10 Oct 2024 06:00 AM (IST)
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कारागार विभाग ने इंसाफ राइफलों के खरीद के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। जेलकर्मियों को भी जल्द भारी-भरकम .303 (थ्री-नाट-थ्री) राइफल से मुक्ति मिल जाएगी। पुलिसकर्मियों की तरह उनके हाथों में भी अत्याधुनिक इंसास राइफल होगी। कारागार विभाग ने इंसाफ राइफलों के खरीद के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है और इसी वर्ष उनकी खरीद शुरू हो जाएगी। 

जल्द ही कारागार विभाग भी .303 राइफल को विदाई दे देगा। अंग्रेजों के जमाने से प्रयोग की जा रही इस भारी-भरकम राइफल को पुलिस विभाग ने वर्ष 2020 में विदाई दे दी थी। पुलिसकर्मी अब इंसास राइफल से लैस हैं।

मंत्री ने की सुरक्षा प्रबंधों व आधुनिक सुरक्षा तकनीक की समीक्षा

कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान ने बुधवार को जेलों के सुरक्षा प्रबंधों व आधुनिक सुरक्षा तकनीक की समीक्षा की। मंत्री ने कहा कि इंसास राइफल व फाइव-जी जैमर की खरीद जल्द पूरी की जाए। 

जेलों की सुरक्षा-व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक पर जोर दिया। जेलों में सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से निगरानी की व्यवस्था को और प्रभावी बनाए जाने पर जोर दिया। 

पहले चरण में छह जैमर लगाए जाएंगे

बैठक में नए एचसीबीएस (हार्मोनियस काल ब्लाकिंग सिस्टम) जैमर और अन्य अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों की खरीद की योजना पर भी चर्चा हुई। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इसी वर्ष नए जैमर लगाए जाएंगे, जिससे जेल के भीतर फाइव-जी नेटवर्क भी काम नहीं करेगा। पहले चरण में ऐसे छह जैमर लगाए जाएंगे। 

मंत्री ने जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों की समस्या को दूर करने के लिए खुली जेल के प्रस्ताव पर भी विमर्श किया। पूर्व में तैयार किए गए प्रस्ताव को अन्य राज्यों में खुली जेल (ओपन जेल) की व्यवस्था का अध्ययन कर और प्रभावी बनाए जाने का निर्देश दिया। 

बंदियों के भोजन प्रबंधन, मुलाकात व्यवस्था व पीसीओ सेवाओं की भी समीक्षा की। बंदियों की दैनिक आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से पूरा किए जाने का निर्देश दिया। बैठक में प्रमुख सचिव कारागार अनिल गर्ग, डीजी कारागार पीवी रामाशास्त्री व अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

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