UP News: लेखपाल ने ब्राह्मण को बताया पिछड़ी जाति का…, मैथिल और मैथुल में अटका पेंच; मकान के लिए किया था आवेदन
आयोग में की गई शिकायत में आरोप लगाए गए हैं कि उनकी पत्नी नेहा शर्मा मैथिल ब्राह्मण हैं। उन्होंने पत्नी का मैथिल ब्राह्मण होने का प्रमाण पत्र हाथरस के तहसीलदार कार्यालय से बनवाने के लिए आवेदन किया था लेकिन लेखपाल ने उनकी पत्नी को मैथुल जाति का बता कर प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया और तर्क दिया कि मैथुल जाति पिछड़ी जातियों में शामिल है।
मनोज त्रिपाठी, लखनऊ। राज्य सूचना आयोग में ब्राह्मण जाति का प्रमाण पत्र बनवाने का मामला आया है।
राजस्थान निवासी राहुल शर्मा ने आयोग में की गई शिकायत में आरोप लगाए गए हैं कि उनकी पत्नी नेहा शर्मा मैथिल ब्राह्मण हैं। उन्होंने पत्नी का मैथिल ब्राह्मण होने का प्रमाण पत्र हाथरस के तहसीलदार कार्यालय से बनवाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन लेखपाल ने उनकी पत्नी को मैथुल जाति का बता कर प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया और तर्क दिया कि मैथुल जाति पिछड़ी जातियों में शामिल है।
इस संदर्भ में उन्होंने पिछड़ा वर्ग आयोग से आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी तो आयोग ने बताया कि उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग में मैथिल और मैथुल जाति पिछड़ी जातियों में दर्ज नहीं है।
मकान के लिए किया था आवेदन
राहुल शर्मा ने बताया कि वह राजस्थान के भरतपुर में रहते हैं। उनकी शादी हाथरस में हुई थी। भरतपुर में उन्होंने पत्नी के नाम पर निम्न आय वर्ग के मकान के लिए आवेदन किया था, लेकिन राजस्थान में मकान के आवंटन के समय दूसरे प्रदेश के निवासियों से जाति प्रमाण पत्र भी मांगा जाता है।
इसलिए उन्होंने पत्नी का प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में यह कहकर जाति प्रमाण पत्र बनाने से मना कर दिया कि मैथुल जाति पिछड़ी जातियों में शामिल है।
इसके लिए उन्होंने दोबारा तहसीलदार कार्यालय से संपर्क करके स्पष्ट किया कि उनकी पत्नी मैथुल नहीं बल्कि मैथिल जाति की ब्राह्मण हैं। कई बार गुजारिश के बाद भी जब उनकी सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने राज्य सूचना आयोग की शरण ली है।
सूचना आयुक्त कर रहे मामले की सुनवाई
राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती उनके मामले की सुनवाई कर रहे हैं। राहुल शर्मा ने पिछड़ा वर्ग आयोग से पिछड़ी जातियों की सूची मांग कर सूचना आयोग को उपलब्ध करवाई है, जिसमें आयोग ने स्पष्ट कहा है कि मैथिल व मैथुल दोनो जातियां पिछड़ा वर्ग की जातियों की सूची में शामिल नहीं है। इसके बाद सूचना आयुक्त ने हाथरस के एसडीएम, एडीएम, तहसीलदार और लेखपाल को आयोग में स्वयं उपस्थित होकर जवाब देने के लिए तलब किया है।