UP News: योगी सरकार के निशाने पर घपलेबाज बीडीओ, ग्रामीण विकास की राशि में किया था करोड़ों का खेल… अब ये एक्शन!
UP News - उत्तर प्रदेश सरकार उन खंड विकास पदाधिकारियों को निशाने पर लिया है जिन्होंने ग्रामीण विकास की राशि को ग्राम सचिवों की मिलीभगत से गलत ढंग से निकाला। पंचायती राज निदेशालय ने गंभीर रुख अख्तियार करते हुए वसूली की प्रक्रिया शुरू की है। दो अधिकारियों से राशि वसूलने का आदेश देते हुए उन पर विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। ग्रामीण विकास की राशि को ग्राम सचिवों की मिलीभगत से गलत ढंग से निकालने वाले खंड विकास पदाधिकारी अब सरकार के निशाने पर हैं। पंचायत चुनाव के दौरान देवरिया में पांच से 25 मई 2021 के बीच खंड विकास पदाधिकारियों ने प्रशासक की भूमिका में महज 20 दिनों में 11 करोड़ रुपये की निकासी की थी।
इस मामले में देर से ही सही पंचायती राज निदेशालय ने गंभीर रुख अख्तियार करते हुए वसूली की प्रक्रिया शुरू की है। दो अधिकारियों से राशि वसूलने का आदेश देते हुए उन पर विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है। हालांकि, इस प्रकरण में 16 तत्कालीन प्रशासकों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी, जिसमें अभी सिर्फ दो कार्रवाई के दायरे में आए हैं।
जिलाधिकारियों को जांच के निर्देश
पंचायती राज निदेशक अटल कुमार राय ने बताया कि इस प्रकरण को लेकर विभाग गंभीर है। सिर्फ देवरिया ही नहीं पूरे प्रदेश में प्रशासकों की भूमिका में रहे खंड विकास पदाधिकारियों से जुड़े मामलों की जांच का निर्देश जिलाधिकारियों को दिया गया है।इधर, आरटीआई कार्यकर्ता संजय मिश्र को विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार देवरिया के जिला मजिस्ट्रेट अखंड प्रताप सिंह ने गौरीगंज (देवरिया) के तत्कालीन परियोजना अधिकारी संजय कुमार पांडेय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उनकी वर्तमान तैनाती उन्नाव में है।
विभागीय स्तर पर कराई गई जांच का जिक्र करते हुए कहा गया है कि हैंडपंप मरम्मत व इंडिया मार्का-2 हैंडपंप के लिए व्यय की गई राशि निकाली गई लेकिन मरम्मत व रिबोर का कार्य नहीं किया गया। इस मामले में तत्कालीन सचिव ग्राम पंचायत भृगुसरी शंभूशरण चौहान व ग्राम पंचायत बर्दगोनिया के सतीश कुमार को भी गबन का संयुक्त रूप से 3.62 लाख के गबन का दोषी पाया गया है।
तत्कालीन परियोजना निदेशक संजय कुमार पांडेय से राशि की वसूली करने के साथ ही विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। इसी प्रकरण में बरहज (देवरिया) की तत्कालीन खंड विकास पदाधिकारी शशि पांडेय से भी राशि की वसूली और विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। शशि पांडेय की वर्तमान तैनाती गोरखपुर में है।
हालांकि, संजय मिश्र अब तक की जांच से संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि इस मामले में लीपापोती की जा रही है। उन्होंने इस प्रकरण की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की मांग की है।
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