UP News: शहरों में मजदूरों के अड्डों पर बनेंगे श्रमिक सुरक्षा केंद्र, उपलब्ध कराई जाएंगी जरूरी सुविधाएं
उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में मजदूरों के अड्डों पर श्रमिक सुरक्षा केंद्र बनाए जाएंगे। ये केंद्र टिन शेड से बनाए जाएंगे और मजदूरों को विश्राम करने के साथ-साथ शौचालय पेयजल और अन्य जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध कराएंगे। पहले चरण में लखनऊ गाजियाबाद कानपुर और नोएडा सहित अन्य बड़े शहरों में इन केंद्रों का निर्माण किया जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण में अन्य शहरों में भी ये केंद्र बनाए जाएंगे।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश के विभिन्न शहरों में मजदूरों के अड्डों पर श्रमिक सुरक्षा केंद्र बनाए जाएंगे। टिन शेड से बनाए जाने वाले इन श्रमिक सुरक्षा केंद्रों पर मजदूरों के विश्राम करने से लेकर उन्हें अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। पहले चरण में राजधानी लखनऊ सहित गाजियाबाद, कानपुर व नोएडा सहित अन्य बड़े शहरों में श्रमिक सुरक्षा केंद्रों के निर्माण की योजना है।
प्रदेश के लगभग हर शहर में मजदूरों के अस्थाई अड्डे बने हुए हैं। इन अड्डों पर काम की तलाश में रोजाना मजदूर एकत्र होते हैं, लेकिन उनके बैठने व विश्राम करने तथा शौचालय की सुविधा इन अड्डों पर नहीं है।
काम के इंतजार में कई बार मजदूरों को सुबह से दोपहर तक इंतजार करना पड़ता है। इस दौरान अड्डों पर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध न होने के कारण मजदूरों को परेशानी उठानी पड़ती है। इसी के मद्देनजर श्रम विभाग ने मजदूरों के अड्डों पर श्रमिक सुरक्षा केंद्र बनाने की तैयारी शुरू की है।
पहले चरण में बड़े शहरों में होगा केंद्र का निर्माण
पहले चरण में राजधानी लखनऊ सहित गाजियाबाद, कानपुर व नोएडा सहित अन्य बड़े शहरों में श्रमिक सुरक्षा केंद्र बनाए जाएंगे। दूसरे चरण में अन्य शहरों में इनका निर्माण किया जाएगा। श्रमिक सुरक्षा केंद्रों के निर्माण के लिए मजदूरों के अड्डों को चिह्नित किया जा रहा है।
टिन शेड से अस्थायी तौर पर बनने वाले श्रमिक सुरक्षा केंद्रों पर मजदूरों के विश्राम करने के अलावा शौचालय व पेयजल की भी व्यवस्था की जाएगी। विभाग की कोशिश है कि काम की तलाश में आने वाले मजदूरों को सड़कों पर न खड़ा होना पड़े और उन्हें अड्डों पर बुनियादी सुविधाएं जरूर उपलब्ध कराई जा सकें।
विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार ने बताया कि जिन स्थानों पर श्रमिक सुरक्षा केंद्र बनाए जाने हैं, उन्हें चिह्नित करने का काम किया जा रहा है। दो माह में इन्हें बनाने की कोशिश की जा रही है।
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