माना जा रहा है कि भाजपा बची हुई सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित करते हुए कई सांसदों के टिकट काट सकती है तो इक्का-दुक्का सांसदों के लोकसभा क्षेत्र में बदलाव के भी आसार हैं। भाजपा को प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले दूसरे पांचवें व सातवें चरण की तीन-तीन तीसरे व पांचवें चरण के लिए पांच-पांच तथा चौथे चरण की दो सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित करने बाकी हैं।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की पहली सूची में प्रदेश की 51 सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित कर चुकी भाजपा की दूसरी सूची से यदि उत्तर प्रदेश गायब था, तो यह अकारण नहीं है। उप्र में सहयोगियों समेत सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य तय कर चुकी भाजपा प्रदेश की बची हुई 24 लोकसभा सीटों के लिए एक-एक नाम पर गंभीरता से मंथन कर रही है।
माना जा रहा है कि भाजपा बची हुई सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित करते हुए कई सांसदों के टिकट काट सकती है तो इक्का-दुक्का सांसदों के लोकसभा क्षेत्र में बदलाव के भी आसार हैं। भाजपा को प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले, दूसरे, पांचवें व सातवें चरण की तीन-तीन, तीसरे व पांचवें चरण के लिए पांच-पांच तथा चौथे चरण की दो सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित करने बाकी हैं।
भाजपा ने बीती दो मार्च को जारी की गई प्रत्याशियों की पहली सूची में 51 सीटों के उम्मीदवार घोषित किए थे। इनके अलावा पार्टी ने पांच सीटें सहयोगी दलों को दी हैं। इनमें बिजनौर व बागपत रालोद, मीरजापुर व राबर्ट्सगंज अपना दल (एस) तथा घोसी सीट सुभासपा को दी गई हैं। अब भाजपा को शेष 24 सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने हैं। इन 24 सीटों में 19 भाजपा के कब्जे में हैं, पांच सीटों पर उसे वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। हारी हुई पांच सीटों में रायबरेली, सहारनपुर, मुरादाबाद, मैनपुरी और गाजीपुर शामिल हैं।
जीती हुई सीटों में से कुछ ऐसी हैं जिन पर भाजपा के हैवीवेट सांसद हैं। इनमें संतोष गंगवार की बरेली, ब्रजभूषण शरण सिंह की कैसरगंज, मेनका गांधी की सुलतानपुर, केंद्रीय राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह की गाजियाबाद, वरुण गांधी की पीलीभीत, डा.रीता बहुगुणा जोशी की प्रयागराज, सत्यदेव पचौरी की कानपुर और पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे रमापति राम त्रिपाठी की देवरिया सीट शामिल हैं।
सपा से अलग होकर राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी बनाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की सांसद पुत्री संघमित्रा मौर्य की बदायूं सीट पर भी भाजपा ने पत्ते नहीं खोले हैं। माना जा रहा है कि ऐसी सीटों समेत कुछ अन्य सीटों पर भाजपा सिटिंग सांसदों के टिकट काट सकती है। बागपत सीट को रालोद को देने के बाद यहां से भाजपा के सांसद सत्यपाल सिंह को भाजपा कहां समायोजित करती है, इस पर भी निगाहें होंगी।
इसके अलावा भाजपा को बाराबंकी सीट पर भी निर्णय करना है। इस सीट के वर्तमान सांसद उपेन्द्र रावत को पार्टी की ओर से फिर से टिकट दिए जाने के बाद उनका एक आपत्तिजनक वीडियो वायरल हुआ था। रावत ने इंटरनेट मीडिया पर घोषणा की थी कि जब तक वह इस प्रकरण में निर्दोष साबित नहीं होते, वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।
इन सीटों पर प्रत्याशी घोषित करना बाकी
सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद, अलीगढ़, हाथरस, मुरादाबाद, फिरोजाबाद, मैनपुरी, बदायूं, बरेली, पीलीभीत, कानपुर, रायबरेली, कौशांबी, बहराइच, कैसरगंज, सुलतानपुर, फूलपुर, इलाहाबाद, मछलीशहर, भदोही, देवरिया, बलिया और गाजीपुर।
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