UP Politics: बसपा से नजदीकियां बढ़ाकर सपा पर दबाव बना रही कांग्रेस, मुस्लिम वोट बैंक पर बनाए हुए है नजर
कांग्रेस आने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कम से कम बीस सीटों पर अपनी दावेदारी कायम रखेगी। पार्टी ने सवर्ण अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक दांव जरूर खेला है पर उसकी नजर मुस्लिम वोट बैंक पर भी गड़ी है। पार्टी के नेता मानकर चल रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में मुस्लिम एकजुट होकर कांग्रेस के पाले में आएंगे।
By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavUpdated: Fri, 29 Sep 2023 12:25 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। कांग्रेस आने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कम से कम बीस सीटों पर अपनी दावेदारी कायम रखेगी। पार्टी ने सवर्ण अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक दांव जरूर खेला है पर उसकी नजर मुस्लिम वोट बैंक पर भी गड़ी है। पार्टी के नेता मानकर चल रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में मुस्लिम एकजुट होकर कांग्रेस के पाले में आएंगे।
यही वजह है कि कांग्रेस विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए में सपा व राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के साथ बसपा को भी शामिल करने के लिए पूरे प्रयास कर रही है, जिससे जातीय समीकरणों के अनुरूप भाजपा को चुनौती दी जा सके।
निर्णायक भूमिका में रखने की रणनीति
कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अन्य सहयोगी दलों के बीच अपनी स्थिति को मजबूत भी रखना चाहती है। सीटों के बंटवारे में वह दूसरे दलों के मुकाबले खुद को निर्णायक भूमिका में रखने की रणनीति के तहत ही प्रमुख विपक्षी दल सपा पर दबाव बनाने का प्रयास भी कर रही है।हालांकि, बसपा अब तक किसी से गठबंधन करने से इनकार करती रही है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बाद प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भी दिल्ली में बसपा सांसद दानिश अली से भेंट की। इन मुलाकातों के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं।
मुस्लिम वोट बैंक साधने का बड़ा दांव
माना जा रहा है कि बसपा से नजदीकियां बढ़ती दिखाकर सपा पर दबाव बनाने के साथ ही इसके पीछे कांग्रेस का मुस्लिम वोट बैंक साधने का बड़ा दांव भी है। दानिश लोकसभा चुनाव 2019 से पहले दानिश अली कर्नाटक में एचडी देवीगौड़ा की पार्टी जेडीएस से जुड़े थे, जिसे छोड़कर वह बसपा में शामिल हुए थे और बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें मुस्लिम बहुल सीट अमरोहा से चुनाव मैदान में उतारा था।दानिश अली भी कर सकते हैं दलबदल
लोकसभा चुनाव 2019 में सपा व बसपा गठबंधन में चुनाव लड़ी थी और दानिश अली गठबंधन के विजेता प्रत्याशी साबित हुए थे। माना जा रहा है कि इस बार दानिश अली बसपा का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ भी थाम सकते हैं। कांग्रेस ऐसे ही अन्य मुस्लिम नेताओं को भी भीतर खाने अपने पाले में लाने के प्रयास कर रही है। कांग्रेस के कुछ नेताओं का यह भी कहना है कि बसपा के विपक्षी गठबंधन का हिस्सा न होने की दशा में पार्टी टिकटों में अपनी दावेदारी को बढ़ाएगी।
यह भी पढ़ें:- UP Politics: एमपी के फार्मूले ने बढ़ाई यूपी के नेताओं की धुकधुकी, इन BJP सांसदों पर लटकी तलवार; दांव पर टिकटहालांकि, कांग्रेस के सामने इस बार अपनी परंपरागत सीट अमेठी को जीतने के साथ ही रायबरेली सीट को बचाने की भी बड़ी चुनौती होगी। यह उसकी साख का सवाल है। पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी में राहुल गांधी को भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था, जबकि रायबरेली में सोनिया गांधी एकमात्र सीट जीती थीं।
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