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UP Politics: यूपी तक पहुंची बिहार जातीय जनगणना की आंच, मायावती ने सीएम योगी को दी नसीहत, कहा- बिना देर किए...

मायावती ने कहा है कि यूपी सरकार को अपनी नीति और नीयत में जनभावना का ध्यान रखते हुए जातीय आधारित गणना पर सर्वे शुरू कर देना चाहिए। यह भी कहा कि असल में केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जनगणना कराकर ही वाजिब अधिकार सुनिश्चित किया जा सकता है। मायावती ने सत्ताधारी दल भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जातीय जनगणना से कुछ दल असहज महसूस कर रहे हैं।

By Anand MishraEdited By: Shivam YadavUpdated: Tue, 03 Oct 2023 04:55 PM (IST)
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UP Politics: यूपी तक पहुंच रही बिहार जातीय जनगणना की आंच

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बिहार में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट जारी करने के बाद उत्तर प्रदेश में सियासत तेज हो गई है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने जातीय गणना को लेकर राज्य और केंद्र सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया है। 

मायावती ने कहा है कि यूपी सरकार को अपनी नीति और नीयत में जनभावना का ध्यान रखते हुए जातीय आधारित गणना पर सर्वे शुरू कर देना चाहिए। यह भी कहा कि असल में केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जनगणना कराकर ही वाजिब अधिकार सुनिश्चित किया जा सकता है। मायावती ने सत्ताधारी दल भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जातीय जनगणना से कुछ दल असहज महसूस कर रहे हैं।

संवैधानिक हक के लंबे संघर्ष की यह पहली सीढ़ी

बसपा अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को इंटरनेट मीडिया पर अपने पोस्ट में कहा कि जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी करने की खबर काफी सुर्खियों में है और उस पर गहन चर्चाएं जारी हैं। कुछ पार्टियां इससे असहज जरूर हैं, किंतु बसपा के लिए ओबीसी के संवैधानिक हक के लंबे संघर्ष की यह पहली सीढ़ी है।

योगी सरकार को दी नसीहत

बसपा प्रमुख ने कहा कि वैसे तो यूपी सरकार को अपनी नीयत व नीति में जनभावना व जन अपेक्षा के अनुसार  सुधार करके जातीय जनगणना पर सर्वे अविलंब शुरू कर देना चाहिए, किंतु इसका सही समाधान तभी होगा जब केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित गणना कराकर उन्हें उनका वाजिब हक देना सुनिश्चित करेगी। 

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अपने भविष्य के प्रति चिंतित हैं जातिवादी दल 

मायावती ने कहा कि बसपा को प्रसन्नता है कि देश की राजनीति उपेक्षित “बहुजन समाज” के पक्ष में करवट ले रही है, जिसका नतीजा है कि एससी-एसटी आरक्षण को निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने तथा घोर ओबीसी व मंडल विरोधी जातिवादी एवं सांप्रदायिक दल भी अपने भविष्य के प्रति चिंतित नजर आने लगे हैं।

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