Bihar Census: अखिलेश यादव के लिए कितनी फायदेमंद है बिहार की जातीय जनगणना? मसले पर भाजपा सरकार को किया चैलेंज
बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े प्रकाशित होने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की ‘पीडीए’ राजनीति को पंख लग गए हैं। सपा अध्यक्ष ने कहा कि अब ‘पीडीए’ ही भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगा। बिहार सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं वो सच में जातीय जनगणना करवाते हैं।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े प्रकाशित होने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) राजनीति को पंख लग गए हैं। सपा अध्यक्ष ने कहा कि अब ‘पीडीए’ ही भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगा।
बिहार सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं वो सच में जातीय जनगणना करवाते हैं। भाजपा सरकार इस मसले पर राजनीति छोड़कर देशव्यापी जातीय जनगणना करवाए।
कहा- सामाजिक न्याय का गणितीय आधार
सपा मुखिया ने सोमवार को बिहार के जातीय जनगणना के आंकड़े आने के बाद इसे सामाजिक न्याय का गणितीय आधार बताया है। कहा कि जातीय जनगणना 85-15 के संघर्ष का नहीं बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी और जो लोग सबके हक के हिमायती हैं, वो इसका समर्थन भी करते हैं और स्वागत भी, जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं वो जातीय जनगणना करवाते हैं। भाजपा सरकार राजनीति छोड़े और देशव्यापी जातिगत जनगणना करवाए।
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जातीय जनगणना देश की तरक्की का रास्ता: अखिलेश
अखिलेश ने कहा जब लोगों को ये मालूम पड़ता है कि वो गिनती में कितने हैं तब उनके बीच एक आत्मविश्वास भी जागता है और सामाजिक नाइंसाफी के खिलाफ एक सामाजिक चेतना भी, जिससे उनकी एकता बढ़ती है और वो एकजुट होकर अपनी तरक्की के रास्ते में आने वाली बाधाओं को भी दूर करते हैं। नये रास्ते बनाते हैं और सत्ता और समाज के परंपरागत ताकतवर लोगों द्वारा किए जा रहे अन्याय का खात्मा भी करते हैं। इससे समाज बराबरी के मार्ग पर चलता है और समेकित रूप से देश का विकास होता है। जातीय जनगणना देश की तरक्की का रास्ता है।
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