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UP Politics: …तो अनुप्रिया पटेल को मिल गया जवाब! ऐसा न कभी हुआ… न ही कोई नियम है, IAS अधिकारी ने बताए फैक्ट

अनुप्रिया पटेल ने जिस मुद्दे को उठाकर योगी सरकार से सवाल किया था उसको लेकर अब आधिकारिक जवाब भी प्रदेश सरकार ने दे दिया है। नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने अनुप्रिया के पत्र का जवाब देते हुए कहा है कि जैसा दावा किया जा रहा है वैसा न तो पहले कभी हुआ है और न ही कोई नियम है।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Published: Sun, 30 Jun 2024 12:51 AM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2024 12:51 AM (IST)
अनुप्रिया पटेल के पत्र का प्रदेश सरकार ने दिया जवाब।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश सरकार ने शनिवार को केंद्रीय मंत्री व अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के भर्तियों में ओबीसी और एससी/एसटी के लिए आरक्षण संबंधी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र का जवाब भेज दिया। 

नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी की ओर से अनुप्रिया को भेजे गए पत्र में स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि आरक्षित वर्ग के पदों को किसी भी सूरत में दूसरे वर्गों से नहीं भरा जा सकता है। पत्र में उत्तर प्रदेश लोकसभा आयोग, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग व उच्च शिक्षा विभाग के नियमों का हवाला दिया गया है।

तीन पेज के पत्र में बताई प्रक्रिया

डाॅ. चतुर्वेदी ने तीन पेज के पत्र में लिखा कि उत्तर प्रदेश लोकसभा सेवा आयोग की साक्षात्कार प्रक्रिया कोडिंग आधारित होती है, जिसमें अभ्यर्थियों का क्रमांक, नाम, रजिस्ट्रेशन संख्या, आरक्षण, श्रेणी एवं आयु को छिपा दिया जाता है। यानी साक्षात्कार परिषद के समक्ष अभ्यर्थी का व्यक्तिगत विवरण नहीं होता है। 

साक्षात्कार परिषद ‘नॉट सूटेबल’ अंकित नहीं करती है। केवल ग्रेडिंग दी जाती है। यदि किसी श्रेणी के अभ्यर्थी न्यूनतम अर्हता अंक नहीं पाते हैं तो ये सारे पद आयोग या किसी अन्य स्तर से किसी भी अन्य श्रेणी में परिवर्तित करने का अधिकार नहीं है। ऐसी रिक्तियां कैरी फॉरवर्ड की जाती हैं। 

उन्होंने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का भी हवाला देते हुए लिखा कि उत्तर प्रदेश अवर स्तरीय पदों पर सीधी भर्ती (साक्षात्कार का बंद किया जाना) नियमावली 2017 के लागू होने के बाद समूह ‘ग’ के पदों पर चयन में साक्षात्कार की व्यवस्था खत्म कर दी गई है। पहले भी एससी, एसटी व ओबीसी के लिए आरक्षित पदों पर अनारक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को चयनित करने का न तो प्रविधान है और न ही कभी ऐसा चयन हुआ है।

डाॅ. चतुर्वेदी ने उच्च शिक्षा विभाग के बारे में भी बताया कि उनके अधीन राज्य विश्वविद्यालय, स्वायत्तशासी संस्थान होते हैं। राज्य विश्वविद्यालयों में शैक्षिक पदों पर नियुक्तियां स्वयं के स्तर से की जाती हैं। वहां भी आरक्षित पदों पर यदि योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलते हैं तो आगामी वर्ष के लिए आरक्षित वर्ग की सीट परिवर्तित नहीं की जाती है।

अनुप्रिया पटेल ने पत्र लिखकर उठाया था सवाल

गौरतलब है कि एनडीए सरकार में सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया ने गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कहा था कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अन्य पिछड़े वर्ग एवं अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित पदों पर ‘नॉट फाउंड सूटेबल’ की प्रक्रिया बार-बार अपनाते हुए उन पदों को अनारक्षित घोषित कर दिया जाता है। 

अनुप्रिया के आरोप साक्षात्कार के आधार पर भर्ती प्रक्रिया को लेकर थी। उन्होंने मांग की थी कि सरकार आवश्यक प्राविधान करते हुए साक्षात्कार आधारित नियुक्ति प्रक्रिया वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में ओबीसी और एससी/एसटी के लिए आरक्षित पदों को इन्हीं वर्गों के अभ्यर्थियों से भरा जाना अनिवार्य करे, इसके लिए चाहे कितनी बार भी नियुक्ति प्रक्रिया करनी पड़े।

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