UP Politics: …तो भाजपा के लिए नहीं थे सियासी खतरे के संकेत, विधानसभा सीटों के आंकड़े ने बजाई खतरे की घंटी
अठारहवीं लोकसभा चुनाव के आए नतीजों को अगर विधानसभा वार देखा जाए तो सत्ताधारी भाजपा का चुनाव दर चुनाव विधानसभा सीटों पर भी दबदबा घटता जा रहा है। वर्ष 2017 में रिकॉर्ड 312 विधानसभा सीटों पर भगवा परचम लहराकर प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने वाली भाजपा अबकी लोकसभा चुनाव में 162 सीटों पर ही बढ़त बना सकी। पढ़िए विस्तृत रिपोर्ट-
अजय जायसवाल, लखनऊ। अठारहवीं लोकसभा चुनाव के आए नतीजों को अगर विधानसभा वार देखा जाए तो सत्ताधारी भाजपा का चुनाव दर चुनाव विधानसभा सीटों पर भी दबदबा घटता जा रहा है।
वर्ष 2017 में रिकॉर्ड 312 विधानसभा सीटों पर भगवा परचम लहराकर प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने वाली भाजपा अबकी लोकसभा चुनाव में 162 सीटों पर ही बढ़त बना सकी। तब कांग्रेस से हाथ मिलाने पर भी 47 सीटों पर सिमटकर सत्ता गंवाने वाली सपा इस चुनाव में सर्वाधिक 183 सीटों पर आगे रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ दो विधायक वाली पार्टी बनी कांग्रेस, लोकसभा चुनाव में सपा से गठबंधन कर 40 विधानसभा सीटों पर अव्वल रही है।
2019 में लगा था पहला झटका
लगभग डेढ़ दशक बाद वर्ष 2017 में भाजपा ने राज्य की सत्ता में वापसी की थी। इस बीच सपा और बसपा की ही सरकारें रहीं। सात वर्ष पहले भाजपा ने सपा-बसपा को बहुत पीछे छोड़ते हुए रिकॉर्ड 312 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। एनडीए के सहयोगी अपना दल(एस) व सुभासपा संग सरकार बनाने वाली भाजपा को पहला झटका दो वर्ष बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में लगा। तब सपा-बसपा-रालोद के मिलने पर भाजपा के सांसद जहां 71 से घटकर 62 रह गए। वहीं पार्टी 274 विधानसभा सीटों पर ही बढ़त बना सकी थी।
सपा के पांच सांसद जीते और पार्टी 44 सीटों पर जबकि 10 सांसद वाली बसपा 66 विधानसभा सीटों पर आगे रही। सिर्फ रायबरेली लोकसभा सीट जीतने वाली कांग्रेस नौ सीटों पर ही औरों से आगे निकली थी।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।