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RTI मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड की बढ़ीं मुश्किलें, बहराइच दरगाह को लेकर आयोग ने जमकर लगाई फटकार

बहराइच की हजरत गाजी सलार मसूद की दरगाह आरटीआई के दायरे में आती है या नहीं इस पर राज्य सूचना आयोग में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दूसरा हलफनामा देकर खुद को फंसा लिया। बोर्ड ने पहले कहा था कि दरगाह उसके नियंत्रण में है लेकिन अब कह रहा है कि वह आरटीआई के तहत सूचना देने के लिए बाध्य नहीं है।

By Nishant Yadav Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sun, 29 Sep 2024 10:31 AM (IST)
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RTI मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड की बढ़ीं मुश्किलें, आयोग ने लगाई जमकर फटकार
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बहराइच की हजरत गाजी सलार मसूद की दरगाह आरटीआइ के दायरे में आती है या नहीं, इसे लेकर 11 याचिकाओं की सुनवाई कर रहे राज्य सूचना आयोग के सामने उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड दूसरा हलफनामा देकर फंस गया।

बोर्ड के सीईओ ने सूचना आयुक्त मोहम्मद नदीम की पीठ के सामने पेश होकर हलफनामा दिया कि हम दरगाह को आरटीआइ के तहत सूचना देने के लिये बाध्य नहीं कर सकते। जबकि बोर्ड ने छह सितंबर को पिछले हलफनामे में कहा था कि दरगाह उसके नियंत्रण के अधीन है।

आयोग ने कहा कि अगर दरगाह बोर्ड के नियंत्रण के अधीन नहीं है तो सूचना अधिनियम के तहत उससे जुड़ी सूचनाएं दिलाने के लिए आवेदन क्यों स्वीकार किए गए? आवेदन सिर्फ स्वीकार ही नहीं किए बल्कि उसे दरगाह को भेजकर आवेदकों को सूचनाएं देने के लिए निर्देशित भी किया गया।

इस पर बोर्ड के सीईओ मोहम्मद अजीज ने कहा कि यह हमारे जन सूचना अधिकारी की चूक है, हम उसकी चूक के लिए पीठ से माफी चाहते हैं। सूचना आयुक्त नदीम ने कहा कि इस तरह की चालाकी दिखाकर आप लोग बच नहीं सकते।

अपीलार्थियों और आयोग को गुमराह करने वाले अधिकारी पर हम एक्शन होते देखना चाहते हैं। आयोग की सख्ती के आगे बोर्ड के सीईओ ने कहा कि हम उस अधिकारी को दंडित करने को तैयार हैं। अगली सुनवाई पर हम आयोग को अवगत कराएंगें कि हम जनसूचना अधिकारी के विरुद्ध क्या कार्रवाई करने जा रहे हैं?

बहराइच दरगाह से जुड़ी सूचनाएं न मिलने के कारण राज्य सूचना आयोग में इन दिनों अलग- अलग आवेदकों की 11 अपीलें लंबित चल रही हैं। सूचना आयुक्त नदीम की पीठ ने इन सभी मामलों की एक साथ सुनवाई करते हुए कहा था कि सूचनाएं देने योग्य हैं या नहीं, यह निर्णय बाद में होगा पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड यह बताये कि दरगाह उसके नियंत्रण में हैं या नहीं?

अगर दरगाह उसके नियंत्रण में नहीं थी तो आवेदकों के सूचना के आवेदन अंतरित कर आवेदकों को गुमराह क्यों किया गया? उनके सूचना मांगने के स्तर पर ही उसे अस्वीकार कर देना चाहिये था।

बोर्ड के अधिकारी ने छह सितंबर को आयोग के समक्ष कहा था कि दरगाह उसके नियंत्रण के अधीन है।

इस पर सूचना आयुक्त ने कहा था कि यदि ऐसा है तो फिर उससे जुड़ी सूचनाओं को देने से कैसे मना किया जा सकता है? उन्होंने बोर्ड के सीईओ से जानना चाहा था कि उनके नियंत्रणाधीन अगर कोई उनका आदेश नहीं मान रहा तो उसके खिलाफ वो कोई कार्रवाई कर सकते हैं या नहीं?

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