यूपी सरकार ने निदेशकों की नियुक्ति संबंधी सेवा शर्तों में संशोधन किया है। अब ऊर्जा निगमों के निदेशकों का कार्यकाल 65 वर्ष तक होगा। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ द्वारा इसका विरोध करते हुए कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार के एनटीपीसी पावर ग्रिड आदि उपक्रमों के साथ ही उत्तराखंड हरियाणा राजस्थान आदि राज्य में निदेशक के लिए 60 वर्ष ही आयु है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। अब ऊर्जा निगमों के निदेशकों का कार्यकाल 65 वर्ष तक होगा। राज्य सरकार ने निदेशकों की नियुक्ति संबंधी सेवा शर्तों में संशोधन किया है। मुख्य अभियंता या इस पद पर प्रोन्नत के लिए चयनित अधीक्षण अभियंता की निदेशक बनने के लिए आवेदन कर सकेंगे।
ऊर्जा विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक ऊर्जा निगमों में निदेशक के पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन करने की अब न्यूनतम आयु 50 और अधिकतम 62 वर्ष तक होगी जबकि कार्यकाल 65 वर्ष तक हो सकता है।
अब तक किसी भी निदेशक का कार्यकाल अधिकतम 62 वर्ष तक ही था। अब 65 वर्ष करने पर सेवानिवृत मुख्य अभियंता भी निदेशक पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ द्वारा इसका विरोध करते हुए कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार के एनटीपीसी, पावर ग्रिड आदि उपक्रमों के साथ ही उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान आदि राज्य में निदेशक के लिए 60 वर्ष ही आयु है।
निदेशकों का कार्यकाल 65 वर्ष तक
उत्तर प्रदेश में आयु को 62 वर्ष से घटाकर 60 वर्ष करने के बजाय सरकार द्वारा 65 वर्ष करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। संघ के महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर का कहना है कि ऊर्जा निगमों में सभी 60 वर्ष की अधिवर्षिता आयु में रिटायर होते हैं जबकि निदेशक अब 65 वर्ष की आयु तक सेवारत रहेंगे।
ऐसे में सेवारत अभियंताओं के लिए पांच वर्ष तक निदेशक के पद पर चयन व पदोन्नतियों के अवसर बाधित होंगे। संघ ने ऊर्जा मंत्री के साथ ही मुख्यमंत्री से संबंधित आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए निदेशकों की आयु 62 से घटाकर 60 करने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि शनिवार को ऊर्जा निगमों के कई निदेशकों का कार्यकाल पूरा होने से रिक्त पदों पर नए सिरे से निदेशकों का चयन होना है।
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