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UPPCL: स्मार्ट प्रीपेड मीटर से बिजली कनेक्शन लेना पड़ सकता है भारी, व‍िभाग कर रहा ये तैयारी

यूपी पावर कारपोरेशनने विद्युत नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल क‍िया है। इसमें स्मार्ट प्रीपेड मीटर के कनेक्शन जोड़ने व काटने का शुल्क 50 रुपए प्रस्तावित किया है। इसके साथ ही कनेक्शन पर जीरो बैलेंस होने की स्थिति में जो मैसेज आएगा उसके लिए भी उपभोक्ताओं से 10 रुपये वसूलने का प्रस्ताव है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसका व‍िरोध क‍िया है।

By Jagran News Edited By: Vinay Saxena Updated: Thu, 27 Jun 2024 01:23 PM (IST)
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स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर ब‍िजली व‍िभाग ने दाखि‍ल क‍िया प्रस्‍ताव।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विद्युत उपभोक्ताओं पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर से बिजली कनेक्शन (Electricity Connection) लेना भारी पड़ सकता है। यूपी पावर कारपोरेशन (UPPCL) ने विद्युत नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल कर स्मार्ट प्रीपेड मीटर के कनेक्शन जोड़ने व काटने (डिस्कनेक्शन व री-कनेक्शन) का शुल्क 50 रुपये प्रस्तावित किया है। इतना ही नहीं कनेक्शन पर जीरो बैलेंस होने की स्थिति में जो मैसेज आएगा, उसके लिए भी उपभोक्ताओं से 10 रुपये वसूलने का प्रस्ताव है।

मंगलवार को नियामक आयोग में दाखिल प्रस्ताव का विरोध करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि प्रस्ताव पूरी तरह से असंवैधानिक है। देशभर में ऐसी कहीं व्यवस्था नहीं है।

वर्मा ने तर्क दिया कि बिजली दर की प्रक्रिया शुरू होने के बाद पावर कारपोरेशन इस प्रस्ताव को दाखिल नहीं कर सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रीपेड मीटर के मामले में डिस्कनेक्शन व री-कनेक्शन का कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता। यह माना गया है कि बकाए पर जो कनेक्शन स्वत: काटना है उसका शुल्क कैसा, लेकिन पावर कारपोरेशन ने कनेक्शन काटने व जोड़ने पर 50 रुपये का शुल्क प्रस्तावित कर दिया। वहीं, जब बैलेंस जीरो हो जाएगा तो दूसरे दिन बिजली काटने का जो मैसेज जाएगा तो उस पर भी दस रुपये का चार्ज लिया जाएगा, जो पूरी तरह असंवैधानिक है।

उन्होंने कहा कि पोस्टपेड के मामले में री-कनेक्शन और डिस्कनेक्शन पर फीस इसलिए दी जाती है, क्योंकि विभाग को सीढ़ी ले जाकर कनेक्शन काटना और जोड़ना पड़ता है लेकिन प्रीपेड कनेक्शन के मामले में तो सिस्टम जेनरेटेड व्यवस्था है।

'वैकल्पिक तौर पर है स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का अधिकार' 

वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन को यह भी पता होना चाहिए कि उपभोक्ताओं ने पोस्टपेड व्यवस्था का विकल्प लेते हुए पूरे प्रदेश में लगभग 4500-5000 करोड़ रुपये बिजली कंपनियों में सिक्योरिटी के रूप में जमा कर रखा है। ऐसे में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का अधिकार वैकल्पिक तौर पर है। उपभोक्ता की सहमति के आधार पर ही उसके परिसर पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जा सकता है।

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