UPPCL: बिजलीकर्मियों और सरकारी कार्यालयों-कॉलोनियों में पहले लगेंगे प्रीपेड स्मार्ट मीटर
पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल ने कहा कि अभी स्मार्ट प्रीपेड मीटर फीडर और ट्रांसफार्मर पर लगाए जा रहे हैं। स्मार्ट मीटर को लेकर आम उपभोक्ताओं में विश्वास जगाने के लिए उन्हें पहले बिजलीकर्मियों अभियंताओं के यहां ही लगाया जाए। मुख्य अभियंता अपने यहां स्मार्ट मीटर लगाएं और उसकी फोटो शेयर करें। इसी तरह सरकारी कार्यालयों और सरकारी कालोनियों में भी पहले स्मार्ट मीटर लगाए जाएं।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। वैसे तो तीन करोड़ से अधिक सभी बिजली उपभोक्ताओं के यहां प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाने हैं, लेकिन स्मार्ट मीटर को लेकर उठाए जा रहे सवालों को देखते हुए पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने पहले-पहल बिजली कर्मियों, सरकारी कार्यालयों और कालोनियों में ही प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाने का निर्णय किया है। बिजली कर्मियों को अपने यहां लगाए जाने वाले प्रीपेड मीटर को रीचार्ज कराने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्हें मौजूदा व्यवस्था के तहत तय धनराशि ही देनी होगी।
बुधवार को विभागीय समीक्षा बैठक में पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डा. आशीष कुमार गोयल ने कहा कि अभी स्मार्ट प्रीपेड मीटर फीडर और ट्रांसफार्मर पर लगाए जा रहे हैं। स्मार्ट मीटर को लेकर आम उपभोक्ताओं में विश्वास जगाने के लिए उन्हें पहले बिजलीकर्मियों, अभियंताओं के यहां ही लगाया जाए। मुख्य अभियंता अपने यहां स्मार्ट मीटर लगाएं और उसकी फोटो शेयर करें। इसी तरह सरकारी कार्यालयों और सरकारी कालोनियों में भी पहले स्मार्ट मीटर लगाए जाएं।
डॉ. गोयल ने स्पष्ट किया कि चूंकि बिजलीकर्मियों को मीटर रीडिंग के अनुसार बिल न देने की सुविधा है इसलिए ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर को उन्हें रीचार्ज कराने की जरूरत न पड़े। रीचार्ज न कराने पर भी बिजली की आपूर्ति बनी रहे। अध्यक्ष ने बताया कि सरकारी कार्यालयों व कालोनियों के जिन बिजली कनेक्शनों के मामले में अभी प्रतिमाह बिजली का बिल जमा करने की व्यवस्था नहीं है उन्हें भी रीचार्ज नहीं कराना पड़ेगा।
बिजली के लिए प्रतिमाह जेई देते हैं सिर्फ 888 तो चतुर्थ श्रेणी 444 रुपये
आम उपभोक्ताओं को भले ही बिजली के लिए महीने में हजारों रुपये का बिल देना होता हो लेकिन बिजलीकर्मियों को मामूली धनराशि देकर बिना किसी हिसाब के चाहे जितनी बिजली इस्तेमाल करने का अधिकार मिल जाता है। मसलन, जेई(अवर अभियंता) को महीनेभर बिजली का इस्तेमाल करने के लिए 888 रुपये, एई (सहायक अभियंता) को 1092, एक्सईएन(अधिशासी अभियंता) को 1164, एसई (अधीक्षण अभियंता) को 1626 तथा मुख्य अभियंता को 1836 रुपये ही देने पड़ते हैं। भले ही इनके द्वारा कितनी भी यूनिट बिजली का महीनेभर में इस्तेमाल किया गया हो। इसी तरह तृतीय श्रेणी के लिपिक आदि को 540 और चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को 444 रुपये ही देने होते हैं।
मीटर लगने के बाद पता चलेगी बिजली की खपत
गौर करने की बात यह भी है कि बिजलीकर्मी एसी चाहे 24 घंटे चलाते रहें, लेकिन उन्हें इसके लिए भी सिर्फ 650 रुपये ही प्रतिमाह देना होता है। यही कारण है कि बिजलीकर्मी अपने यहां मीटर लगाए जाने का सदैव विरोध करते रहे हैं। एक बार मीटर लग जाने के बाद यह आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि कौन कितनी यूनिट बिजली का उपभोग कर रहा है।वैसे तो बहुत से ऐसे विद्युत कर्मी से लेकर इंजीनियर हैं जिनके यहां एक से ज्यादा एसी लगे हैं लेकिन उनके द्वारा सिर्फ एक ही या जितने एसी लगे हैं उससे कम ही विभागीय रिकॉर्ड में घोषित किए गए हैं। इसी तरह किरायदारों या फिर पास-पड़ोस में बिजली देने वाले भी मीटर लगने के बाद बेनकाब होंगे क्योंकि स्मार्ट मीटर लगने के बाद आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि किसके द्वारा कितना विद्युत भार का उपभोग किया जा रहा है।
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