मुख्यमंत्री का सचिव बताकर लोगों को जाल में फंसाते थे, दो जालसाज गिरफ्तार हुए तो सामने आई करतूत
उत्तर प्रदेश में एसटीएफ ने दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है जो मुख्यमंत्री का सचिव बनकर लोगों से ठगी करते थे। आरोपियों की पहचान प्रदीप दुबे और मानसिंह के रूप में हुई है। उन्होंने लोगों को नौकरी दिलवाने और जमीन खाली करवाने के नाम पर रकम ऐंठी थी। एसटीएफ ने उनके पास से दो लग्जरी कार और नकदी समेत अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। मुख्यमंत्री का सचिव बनकर नौकरी दिलवाने और जमीन खाली करवाने के नाम पर रकम ऐंठने वाले दो जालसाजों को एसटीएफ ने बुधवार को गऊघाट के पास से गिरफ्तार किया। दोनों के पास से दो लग्जरी कार, नकदी समेत अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं। एसटीएफ गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में पता लगा रही है।
एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक दीपक कुमार सिंह ने बताया कि पकड़े गए आरोपी जौनपुर मुगराबाद शाहपुर के उकनी निवासी प्रदीप दुबे और संभल सानी के सिंगपुर फतेहपुर गांव निवासी मानसिंह हैं।
एसटीएफ ने बताया कि मुख्यमंत्री का सचिव बताकर ठगी करने के कई मामले सामने आ रहे थे। गऊघाट पीपे वाले पुल से दोनों को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई तो आरोपी प्रदीप दुबे ने बताया कि वह साथी मान सिंह के साथ मिलकर खुद को मुख्यमंत्री का सचिव बताकर लोगों को जाल में फंसाते थे। इसी तरह ठाकुरगंज निवासी डॉ. नरेंद्र वर्मा से उनकी जमीन खाली करवाने के नाम पर 50 लाख रुपये और नौकरी दिलाने के नाम पर रकम ली थी। दोनों को जाल में फंसाने के बाद आधी रकम मान सिंह को दे दी थी। पीड़ित ने कोई काम न होने पर स्थानीय थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
दो आतंकियों को 10 वर्ष का कठोर कारावास
देश विरोधी गतिविधियों में शामिल आतंकी मो. इनामुल हक और शकील अहमद डार उर्फ मो. इकबाल कुरैशी को विशेष न्यायाधीश एनआईए विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने दस वर्ष कठोर कारावास और 30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। एटीएस मामलों के विशेष लोक अभियोजक नागेंद्र गोस्वामी ने कोर्ट को बताया कि दोनों आतंकी ओसामा बिन लादेन जैसे कट्टर आतंकी के मार्ग पर चल कर विभिन्न संगठनों के नेटवर्क से जुड़ कर इस्लामी कट्टरपंथी जिहादियों का कई देशों में विस्तार कर अपना आधिपत्य स्थापित करने के प्रयास में थे।
आतंकियों के विरुद्ध इस मामले की रिपोर्ट 18 जून 2020 को दर्ज कराई गई थी। गिरफ्त में आए दोनों आतंकियों के फोन की जांच से पता चला कि दोनों आतंकी टेलीग्राम और वॉट्सएप से यह लोग देश की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के विरुद्ध किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में थे। इस काम को अंजाम देने के लिए लाइफ इस फार जिहाद नामक ग्रुप बना कर आपस में बात करते थे। बरामद फोन में जिहाद के नाम पर मारे गए कमलेश तिवारी की हत्या की फोटो सहित भारी मात्रा में जिहाद से संबंधित सामग्री भी पाई गई।
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