UP Yogi Sarkar: नए उद्यम लगने से उत्तर प्रदेश में बढ़ते रोजगार के अवसर
बदले परिदृश्य में जब कोरोना काल के दौरान जुलाई 2020 में पेप्सी को अपनी नई इकाई लगाने का निर्णय लेना था तो सबसे पहला नाम उत्तर प्रदेश का था और मथुरा जिले के कोसी कलां में पेप्सी का नया प्लांट लग गया है।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 23 Sep 2021 09:42 AM (IST)
हर्ष वर्धन त्रिपाठी। हम देश को प्रधानमंत्री देते हैं, से हम देश का प्रधानमंत्री बनाते हैं, की गर्वानुभूति उत्तर प्रदेश के लोगों को ऐसी रही कि उन्हें यह अहसास ही नहीं हुआ कि कब देश में उनकी गिनती बीमारू राज्यों में होने लगी। इसकी शुरुआत कांग्रेस के शासनकाल में ही हो गई थी, लेकिन जब क्षेत्रीय पार्टियों का राजनीतिक प्रभाव बढ़ा और उत्तर प्रदेश में जातिवाद चरम पर पहुंचा तो इस बात का अनुमान ही नहीं रहा कि जातिवाद और क्षेत्रीय पार्टियों की राजनीति में गुंडागर्दी, अपराध कब उत्तर प्रदेश की पहचान के साथ जुड़ गए।
हालात यहां तक पहुंच गए कि चुनावी राजनीति में सफलता के लिए अपराधियों का साथ जरूरी जैसा हो गया। प्रदेश के लगभग हर जिले में एक बड़ा अपराधी था, जिसकी स्वीकृति के बिना सामान्य जनजीवन भी मुश्किल हो गया। प्रदेश की पहचान धूमिल पड़ती जा रही थी। हर कोई दिल्ली-मुंबई या अन्य औद्योगिक राज्यों में कमाने-खाने के मौके खोजने जाने लगा था।
मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो उनके सामने सबसे बड़ा प्रश्न यही था कि राज्य के हर जिले में स्थापित गुंडा तंत्र को खत्म करके लोगों को सामान्य जीवन जीने के लिए कैसे परिवेश तैयार किया जाए। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेङिाझक सार्वजनिक तौर पर कहा कि अपराधी या तो अपराध छोड़ेंगे या फिर राज्य छोड़ेंगे। सार्वजनिक तौर पर किसी मुख्यमंत्री के इस तरह के बयान पर आई तीखी प्रतिक्रिया के बावजूद योगी आदित्यनाथ ने तय किया कि अपराध और अपराधियों के साथ जरा भी हीलाहवाली नहीं की जाएगी।
अपराधियों पर नकेल : मार्च 2017 से योगी राज में करीब सवा सौ अपराधी मारे जा चुके हैं और करीब तीन हजार से अधिक अपराधी घायल होकर जेल में हैं। इसके अलावा भी करीब 40 हजार अपराधियों के गैंगस्टर एक्ट और 500 से ज्यादा अपराधियों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में डाल दिया गया। अपराधी खुद थाने पहुंचने लगे आत्मसमर्पण करने के लिए। अपराधियों के विरुद्ध तैयार जनमानस का ही प्रभाव था कि बहुजन समाज पार्टी ने मुख्तार अंसारी को टिकट न देने का निर्णय सार्वजनिक तौर पर सुनाया। अपराधियों को खुलेआम लेने का दुस्साहस अब कोई पार्टी नहीं कर पा रही है। योगी आदित्यनाथ बिना संकोच इन पंक्तियों का उद्घोष करते हैं, ‘परित्रणाय साधुनां विनाशाय च दुष्कृताम’ और जब अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश के हकीकत बनने की खबरें आने लगीं तो देश-विदेश में कारोबारी की इच्छुक कंपनियों की सूची में गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे औद्योगिक तौर पर विकसित राज्यों के साथ उत्तर प्रदेश का नाम भी शामिल हो गया।
अक्टूबर 2017 में ‘यूएस इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम’ के बैनर तले अमेरिकी कारोबारियों का प्रतिनिधिमंडल भारी निवेश प्रस्ताव के साथ योगी आदित्यनाथ से मिलने के लिए लखनऊ पहुंच गया था। इसमें अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल थे। यह शुरुआत भर थी। सूचना तकनीक, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे से जुड़ी कंपनियों से लेकर कृषि क्षेत्र की बड़ी कंपनियां तक यूपी में निवेश का विकल्प देख रही हैं। साढ़े चार वर्षो के योगी राज के बाद उत्तर प्रदेश देश में आसानी से कारोबार स्थापित करने के मापदंड पर अग्रणी राज्य बन चुका है। ‘डिफेंस कारीडोर’ में देश-विदेश की बड़ी रक्षा कंपनियां मौके देख रही हैं। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज इंडस्टियल डेवलपमेंट अथारिटी के मुताबिक अब तक 55 कंपनियां उत्तर प्रदेश के डिफेंस कारीडोर में भूमि खरीद चुकी हैं। प्रदेश में कंपनियों का निवेश के लिए रुचि दिखाने के पीछे अपराध मुक्त होने के साथ एक और बड़ी वजह है कि प्रदेश सरकार ने औद्योगिक नीति में बड़ा बदलाव किया है।
प्रदेश सरकार नई औद्योगिक नीति के जरिये चीन से बाहर निकलने वाली कंपनियों पर विशेष दृष्टि है, लेकिन योगी आदित्यनाथ को यह अच्छे से पता है कि कानून व्यवस्था सुधारने के साथ ही आवश्यक है कि लालफीताशाही के चंगुल में कंपनियां फंसकर निवेश का इरादा न त्याग दें। इसके लिए निवेश के लिए आ रही कंपनियों को प्राथमिकता के आधार पर हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाई गईं। निवेशकों की सुविधा के लिए निवेश मित्र पोर्टल बनाया गया है। औद्योगिक घरानों के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र की बाध्यता खत्म की गई है। उत्तर प्रदेश में इतना कुछ बदल रहा है, इसकी जानकारी कंपनियों को मिल सके, इसके लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग की गई। देश के बड़े शहरों बेंगलुरु, मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, हैदराबाद और दिल्ली जैसे शहरों में रोड शो के माध्यम से निवेशकों को आकर्षति किया गया। और इस सब बदलाव के पीछे सबसे महत्वपूर्ण यह था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी भी निवेश प्रस्ताव की निगरानी निजी तौर पर भी करते हैं। इसीलिए एक तय समय सीमा से अधिक समय लगने पर मुख्यमंत्री के सामने पेशी न हो जाए, संबंधित अधिकारी राह में रोड़े अटकाने के बजाय उसे तेजी से पूरा करने पर जोर देते हैं।
आवागमन की सुविधा का विकास : उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेसवे के साथ राष्ट्रीय राजमार्गो और राज्य राजमार्गो ने निवेशकों को आकर्षति करने में मदद की है। पूर्वाचल एक्सप्रेव जल्द ही शुरू हो जाएगा और बुंदेलखंड और गंगा एक्सप्रेस के बनने के बाद राज्य का लगभग हर शहर एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा। उत्तर प्रदेश अब देश का ऐसा राज्य बन गया है, जहां के लगभग हर बड़े जिले सड़क, रेलवे और हवाई परिवहन से जुड़े हुए हैं। प्रयागराज में कुंभ के दौरान बना नया हवाई अड्डा देश के किसी भी हवाई अड्डे के मुकाबले खड़ा है और जेवर में बन रहा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा निवेशकों को लंबे समय के लिए लुभा रहा है। लखनऊ और वाराणसी हवाई अड्डा अंतरराष्ट्रीय स्तर का है। कुशीनगर और अयोध्या को भी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा मिला हुआ है, जिस पर तेजी से कार्य चल रहा है। कुल 12 हवाई अड्डों के जरिये पूरे प्रदेश को हवाई सेवा से जोड़ने पर योगी सरकार कार्य कर रही है। औद्योगिक विकास के लिए सबसे जरूरी है कि सड़क, रेल और हवाई मार्ग से जुड़ाव होना।
चुनौतियों की समझ और उनके समग्र समाधान का प्रयास : उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालने के साथ ही सबसे बड़ी चुनौती पर ध्यान देना शुरू किया। वह चुनौती थी करीब 23 करोड़ की आबादी वाले राज्य में युवाओं को रोजगार के अवसर कैसे मिलें, इसके लिए आवश्यक था कि कंपनियां राज्य में आएं। उत्तर प्रदेश सरकार के इन्वेस्टर्स समिट में साढ़े चार लाख करोड़ रुपये से अधिक के समझौते होने से स्पष्ट हुआ कि पहले की सरकार की नीतियों और जमीन पर कमजोर क्रियान्वयन की वजह से देश के सबसे बड़े राज्य में कंपनियां नहीं आ रही थीं और युवाओं को दूसरे राज्यों में जाना पड़ रहा था। अब तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं के शुरू होने से साफ दिख रहा है कि कारोबारी राज्यों के मुकाबले में उत्तर प्रदेश भी मजबूती से अपनी दावेदारी कर रहा है।
उत्तर प्रदेश में नोएडा, गाजियाबाद में पहले भी निवेश और कारोबारी अवसर थे, लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि दिल्ली से सटा पश्चिमी उत्तर प्रदेश हो या फिर पूर्वाचल और बुंदेलखंड, कंपनियों को राज्य के हर हिस्से में निवेश पर लाभ कमाने के लिहाज से आकर्षण दिखे। यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे देश की सबसे बड़ी फिल्म सिटी का निर्माण हो या फिर बुंदेलखंड में डिफेंस कारीडोर, निवेशकों को उत्तर प्रदेश अपने निवेश पर लाभ की जमीन दिख रहा है। नोएडा में सैमसंग की फैक्ट्री की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2018 में की थी और अब यहां से पूरी दुनिया में मोबाइल बनकर जा रहा है। सैमसंग ने उत्तर प्रदेश में करीब पांच हजार करोड़ रुपये की निवेश योजना बनाई है। पर्यटन एवं सांस्कृतिक संबंधों और बौद्ध सíकट के अहम स्थल होने के कारण जापानी कंपनियां उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए रुचि दिखा रही हैं। वर्तमान में लगभग 48 जापानी कंपनियों ने प्रदेश में अपना काम शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अक्सर आपदा में अवसर की बात करते हैं और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने उसे जमीन पर उतार दिया है। जब मुंबई और दिल्ली से उत्तर प्रदेश के लोग कोरोना काल में लौट रहे थे तो योगी आदित्यनाथ ने कहा था- हम अपने लोगों को अपनी जमीन पर रोजगार के अवसर देंगे।
देश-विदेश की बड़ी कंपनियों के निवेश प्रस्ताव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को यह कहने का साहस दे रहे थे और उन्हें पता था कि जब बड़ी कंपनियां निवेश के लिए आएंगी तो छोटे-मंझोले उद्योगों में काम करने वाले लोगों की खूब आवश्यकता होगी। इसीलिए जब उत्तर प्रदेश के लोग लौटकर आए तो उन्हें अधिक मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा। एक मोटे अनुमान के मुताबिक करीब 90 लाख लोगों को छोटे, मंझोले उद्योगों में कोरोना काल के दौरान रोजगार मिला। उत्तर प्रदेश सरकार ने देशी-विदेशी निवेश आकर्षति करके कंपनियों को राज्य में लाने की हरसंभव कोशिश की। साथ ही राज्य में पारंपरिक तौर पर जिलों में जिन उत्पादों की प्रतिष्ठा थी, उन्हें पुन: प्रतिस्थापित किया। ओडीओपी यानी वन डिस्टिक्ट, वन प्रोडक्ट के जरिये स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहित किया गया। इससे बाहर से आने वाली कंपनियों के लिए भी बेहतर परिवेश तैयार हो रहा है। पेप्सी कंपनी के उत्पादों का भी सबसे बड़ा उपभोक्ता राज्य उत्तर प्रदेश ही था, लेकिन कंपनी की इकाइयां दूसरे राज्यों में थीं।
बदले परिदृश्य में जब कोरोना काल के दौरान जुलाई 2020 में पेप्सी को अपनी नई इकाई लगाने का निर्णय लेना था तो सबसे पहला नाम उत्तर प्रदेश का था और मथुरा जिले के कोसी कलां में पेप्सी का नया प्लांट लग गया है। आसपास के किसानों के लिए भी यह बड़ी खबर है। किसानों के लिए और स्थानीय रोजगार के लिहाज से बंद पड़ी चीनी मिलों का शुरू होना भी बहुत बड़ी बात थी। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने कोरोना काल में सैनिटाइजर बनाकर कठिन वक्त को आसान बनाने में मदद की थी। चीनी मिलों के शुरू होने से स्थानीय लोगों को फिर से अपने घर-गांव में रहते रोजगार का मौका मिल गया।[वरिष्ठ पत्रकार]
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