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Vat Savitri Vrat 2022: अखंड सौभाग्य के लिए यूपी की सुहागिनों ने की वट सावित्री की पूजा, ये है व्रत का महत्‍व

Vat Savitri Vrat 2022 ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर महिलाओं ने अखंड सौभाग्य के लिए बरगद के पेड़ की पूजा की। ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या पर वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। सोमवार को अखंड सौभाग्य के लिए महिलाओं ने व्रत रखा और वट वृक्ष की पूजा की।

By Vrinda SrivastavaEdited By: Updated: Mon, 30 May 2022 02:23 PM (IST)
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Vat Savitri Vrat 2022: यूपी की सुहागिनों ने की वट सावित्री की पूजा।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर महिलाओं ने अखंड सौभाग्य के लिए बरगद के पेड़ की पूजा की। ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या पर वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। सोमवार को अखंड सौभाग्य के लिए महिलाओं ने व्रत रखा और वट वृक्ष की पूजा की। अमावस्या सोमवार को सायंकाल 4:59 तक है।

ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि इस दिन शनि जयंती होने के साथ खास योग भी बन रहा है। सुबह 7:12 बजे से सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू होकर 31 मई सुबह 5:08 बजे तक रहेगा। सोमवार को होने से स्नान, दान, श्राद्ध की सोमवती अमावस्या का भी संयोग है। इस खास योग में पूजा करने से फल कई गुना अधिक बढ़ जाएगा।

लोक संस्कृति शोध संस्थान की मासिक लोक चौपाल में साहित्यकार डा. सुरभि सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति में स्त्री प्रकृति के कण-कण को अपने प्रेम का साक्षी मानती है। प्रत्येक अंश में उस दिव्य सत्ता की झलक पाती है और उससे अपने सुहाग रक्षा की प्रार्थना करती है। गंगा, सूर्य, चंद्रमा या वट वृक्ष सब उसके लिए अक्षय सुहाग देने वाले हैं। आनलाइन आयोजित चौपाल की अध्यक्षता चौपाल चौधरी के रूप में वरिष्ठ लोक गायिका प्रो. कमला श्रीवास्तव ने की।

भारतीय सांस्कृतिक प्रतिमान और वट पूजन परंपरा विषयक चौपाल में नवयुग कन्या महाविद्यालय हिन्दी विभाग की डा. अपूर्वा अवस्थी ने भारतीय संस्कृति को बहुआयामी बताते हुए त्योहार और पर्वों की परंपरा का उल्लेख किया। कहा कि प्रकृति पूजन परंपरा अति प्राचीन है और मूर्ति पूजा बाद में आरंभ हुई। उन्होंने वट वृक्ष की पूजा, परिक्रमा और वट सावित्री व्रत परंपरा का उल्लेख करते हुए ग्रीष्मकालीन पर्व में पंखे, खरबूजा व आम आदि के दान के बारे में भी बताया।

अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनों ने की वट सावित्री पूजा

गोंडा: गोंडा में अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाओं ने सोमवार को वट सावित्री व्रत रखकर पूजन अर्चन किया। भोर से ही बरगद के वृक्ष के नीचे एकत्र होकर महिलाओं ने सामूहिक रूप से कथा का पाठ किया। वट सावित्री व्रत करने से अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु की प्राप्ति का वरदान मिलता है। सोमवार को मालवीय नगर, आवास विकास, पटेल नगर में सुहागिन महिलाओं ने अपने सुहाग के दीर्घायु होने और उनकी कुशलता के लिए पूजा-उपासना किया।

कहा कि वट सावित्री व्रत कथा के श्रवण मात्र से महिलाओं के पति पर आने वाली बुरी बला टल जाती है। शास्त्रों में पीपल के पेड़ की तरह बरगद के पेड़ का भी खास महत्व है। पुराणों में ऐसा माना गया है कि वटवृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास होता है। इस पेड़ के नीचे बैठकर पूजा और कथा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। यह पेड़ लंबे समय तक बना रहता है, इसलिए इसे अक्षयवट भी कहा जाता है।

बाराबंकी : वट सावित्री पूजन जिले भर में मनाया जा रहा है। वट सावित्री अमावस्या पर जहां सुहागिन पति की दीर्घायु के लिए वट का पूजन कर रही हैं वहीं सोमवार का दिन होने के कारण लोधेश्वर महादेव के दर्शन को श्रद्धालुओं का तांता लगा है। सुबह से श्रद्धालु दर्शन को कतारों में लगे हैं।

बलरामपुर : अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिनों ने वट सावित्री व्रत रखकर पूजन अर्चन किया। सुहागिन पति की दीर्घायु के लिए भोर से ही बरगद के वृक्ष के नीचे एकत्र होकर महिलाओं में सामूहिक रूप से कथा पाठ किया। वट सावित्री व्रत रखने से पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। झारखंडी मंदिर, सिटी पैलेस स्थित काली माता मंदिर व जिला पंचायत कार्यालय समेत अन्य स्थानों पर महिलाओं ने बरगद व पीपल के वृक्ष की पूजा की।

अयोध्या : अखंड सौभाग्य के प्रतीक पर्व वट सावित्री की राम नगरी में भी धूम रही। महिलाओं ने वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की मूर्ति रख कर विधि-विधान से पूजन अर्चन किया। महिलाओं ने जल अर्पित कर वट वृक्ष की परिक्रमा के साथ-साथ कच्चा सूत बांधा। यह पर्व सोमवार को होने से भोलेनाथ के मंदिरों में भी पूजन अर्चन करने वालों का तांता लगा रहा।

कच्चा सूत लपेटकर की पति की लंबी उम्र कामना : लखनऊ में अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना के लिए वट सावित्री अमावस्या पर सोलह श्रृंगार कर सुहागिनों ने वट सावित्री पूजा की। कई स्थानों पर वट वृक्ष के नीचे सुहागिनों का तांता नजर आया। सुहाग की कुशलता की कामना के साथ सुहागिनों ने परंपरागत तरीके से वट वृक्ष की पूजा कर व्रत रखा। वृतियों द्वारा पूड़ी, पकवान और फल व अनाज भी चढ़ाए गए। उसके बाद वट वृक्ष को धागा लपेटकर पूजा करके पति की लंबी उम्र की कामना की।

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