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घूंघट ने बदली दुल्हन, ...बन गई 'लापता लेडीज', निर्देशक किरण राव व अभिनेता रवि किशन ने सुनाई कहानी

नई-नवेली दुल्हन। घूंघट में ससुराल जा रही थीं। फिर कुछ ऐसा हुआ कि वे खो गईं। जाना था कहीं चली गईं कहीं और। सोचिए क्या दशा होगी दूल्हे की। वर पक्ष बहू और कन्या पक्ष बेटी की चिंता में डूबा तो उनका परिवार समाज में हंसी का पात्र बन गया। फिर वे महिलाएं किस तरह सशक्तीकरण की मिसाल बनती हैं लापता लेडीज की कहानी यह संजीदगी से बयां करती है।

By Mahendra Pandey Edited By: Abhishek Pandey Updated: Fri, 16 Feb 2024 05:58 PM (IST)
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घूंघट ने बदली दुल्हन, ...बन गई 'लापता लेडीज', निर्देशक किरण राव व अभिनेता रवि किशन ने सुनाई कहानी
जागरण संवाददाता, लखनऊ। नई-नवेली दुल्हन। घूंघट में ससुराल जा रही थीं। फिर कुछ ऐसा हुआ कि वे खो गईं। जाना था कहीं, चली गईं कहीं और। सोचिए, क्या दशा होगी दूल्हे की। वर पक्ष बहू और कन्या पक्ष बेटी की चिंता में डूबा तो उनका परिवार समाज में हंसी का पात्र बन गया। फिर वे महिलाएं किस तरह सशक्तीकरण की मिसाल बनती हैं, लापता लेडीज की कहानी यह संजीदगी से बयां करती है। यह फिल्म एक मार्च को सिनेमा घरों में रिलीज होगी।

होटल फार्च्यून में शुक्रवार को फिल्म की निर्देशक किरण राव और अभिनेता रवि किशन ने दैनिक जागरण से विस्तार से बात की। किरण राव ने बताया कि दो लड़कियों की कहानी है लापता लेडीज। कहानी वर्ष 2001 की है। छोटे से गांव निर्मल प्रदेश की पटकथा फिल्माई गई है।

फिल्म में रवि किशन को छोड़कर कोई बड़ा नाम नहीं है। वह इंस्पेक्टर श्याम मनोहर का किरदार निभा रहे हैं। 23 वर्ष पुरानी कहानीं में क्या दिखानी चाहती हैं? राव ने कहा, लोगों को कहानी में दिलचस्पी होती है। किस क्षेत्र या वर्ग की कहानी है, कितने साल पुरानी है, दर्शक इससे सरोकार नहीं रखते। कहानी रोमांचक है। लोगों को सोचने पर विवश करती हैं। हंसाते-हंसाते अपना संदेश दे जाती है। दुल्हन को घूंघट में क्यों दिखाया गया है? घूंघट इसमें रूपक है। घूंघट की वजह से ही दो दुल्हनों की अदला-बदली हो जाती है। महिलाएं अपने पैरों पर कैसे खड़ी होती हैं, इसमें यही दिखाया गया है।

180 पान खाकर रवि किशन बने श्याम मनोहर

फिल्म में अभिनेता रवि किशन मुख्य भूमिका में हैं। किरदार के बारे में रवि ने कहा कि कभी मुझे इस तरह काम करने का मौका नहीं मिला। जब ये फिल्म देखी तो लगा कि मुझे हीरो के रूप में लांच किया गया है। अभी तक मुझे हिंदी सिनेमा में अभिनय की एक ही गेंद मिलती रही और मुझसे छक्के की उम्मीद की जाती थी। कभी किसी ने परिपक्व किरदार के रूप में नहीं लिया। मैं कह सकता हूं कि 700 फिल्मों के बाद हिंदी सिनेमा में मेरी पूरी तरह लांचिंग की गई। इस फिल्म से क्या संदेश दे रहे?

रवि किशन ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक बार मुझसे कहा था कि नारी सशक्तीकरण और जैविक खेती के बारे में सोचिए। पीएम के विचार मुझे इस फिल्म में दिखे। इस फिल्म में मनोरंजन जरूर है, लेकिन बहुत बड़ा संदेश भी है। मेरी तीन बेटियां हैं। मैं जानता हूं, लोगों की धारणा कैसी होती है। विवाह कैसे होगा, गहना कहां से आएगा, व्यवस्था कैसे होगी? अभी तक लोग यही सोचते थे, पर अब समय महिलाओं, बहन और बेटियों का है। इस किरदार के लिए आमिर खान ने भी आडिशन दिया था। फिर आपका चयन किया गया।

रवि बोले- इसका जवाब किरण देंगी। किरण ने कहा, आमिर ने आडिशन दिया था, लेकिन जब उन्होंने इनका वीडियो देखा तो बोले- इस किरदार के लिए रवि किशन ही बेहतर हैं। रवि किशन बोले- 180 पान खाए तब जाकर यह किरदार पूरा कर पाए। परिहास के भाव में बोले- पगला गए थे पान खा-खाकर हम। किरण राव की इशारा करते हुए कहा, ये चाहती थीं कि मैं कुछ न कुछ खाते हुए अभिनय करूं। पहले समोसे खाने का विचार बना, लेकिन कितने समोसे खाता। फिर सादा पान खाकर अभिनय किया।

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