Vinay Pathak News: कुलपति विनय पाठक ने शिक्षकों व कर्मियों की भर्ती में किया बड़ा खेल, मेरिट वाले हो गए फेल
Vinay Pathak News कानपुर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. विनय पाठक की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय और एकेटीयू में कुलपति रहने के दौरान किए गए बड़े खेल सामने आ रहे हैं। वहीं एसटीएफ ने विनय पाठक को हाजिर होने के लिए 24 घंटे का समय दिया है।
By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Sun, 20 Nov 2022 09:38 AM (IST)
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के कुलपति प्रो. विनय पाठक ने शिक्षकों व कर्मियों की भर्ती में बड़ा खेल किया। वर्ष 2009 में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर तैनात होते ही उन्होंने सिस्टम मैनेजर से लेकर उप कुलसचिव व शिक्षक पद पर अपने चहेतों को भर्ती किया। यह टीम पाठक के वर्ष 2012 में वर्धमान महावीर मुक्त विश्वविद्यालय कोटा भी गई और वर्ष 2015 में डा. एपीजे अब्दुल कलाम विश्वविद्यालय (एकेटीयू) भी आई।
फर्जी मार्कशीट लगाने वाले बने आइईटी में डिप्टी रजिस्ट्रार
- एकेटीयू में यह छह साल कुलपति रहे। इस दौरान अपनी पुरानी टीम के शिक्षकों को लखनऊ की दूसरी यूनिवर्सिटी में सेट कर दिया।
- इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी (आइईटी) और एकेटीयू दोनों में शिक्षकों, कर्मियों, असिस्टेंट रजिस्ट्रार और सिस्टम मैनेजर आदि पदों पर मेरिट को दरकिनार कर अपने चहेतों को भर्ती किया।
- आइईटी में पहले एक प्राइवेट कालेज के अपने खास आदमी को कंप्यूटर साइंस विभाग में प्रोफेसर बनाया। जबकि इन्होंने मैनेजमेंट की पढ़ाई की है जो अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) के मानकों के विपरीत है।
- ज्यादा बवाल इन्हें इसी इंस्टीट्यूट का निदेशक बनाने पर हुआ लेकिन उसे दबा दिया गया। पाठक ने फिर इन्हें एकेटीयू का प्रति कुलपति और कार्यवाहक कुलपति तक बनाया।
- आइईटी में डिप्टी रजिस्ट्रार के पद पर ऐसे व्यक्ति का चयन किया जिसने आवेदन फार्म पर अपने स्नातक में अंक 46.9 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किए और फर्जी मार्कशीट लगाई। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने इसकी पुष्टि भी की है, लेकिन इसे दबा दिया। सिस्टम मैनेजर के पद पर भर्ती व्यक्ति उनके साथ उत्तराखंड से कोटा और फिर एकेटीयू तक आया।
शिक्षकों के 46 पद, विनय पाठक ने की 68 नियुक्ति
आइईटी में संविदा शिक्षकों के 46 पद हैं लेकिन पाठक ने 68 पदों पर नियुक्ति की। इसकी शिकायत आइईटी के वित्त अधिकारी ने की तो पाठक ने उन्हें प्रताड़ित किया और शासन से झूठी शिकायत कर जांच बैठा दी। हलांकि जुलाई 2022 में वित्त अधिकारी को इससे बरी कर दिया गया। मगर उन्होंने आइईटी के निदेशक पर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स और हास्टल व पाथ-वे बनाने में करोड़ों के वारे-न्यारे करने का आरोप लगाया उसकी जांच की संस्तुति वित्त विभाग द्वारा प्राविधिक शिक्षा विभाग से करने के बावजूद अब तक फाइल दबी हुई है। निदेशक पांच लाख रुपये तक की फाइल पास कर सकते हैं, मगर यहां 46 लाख तक की फाइल उन्होंने पास की। पाठक ने हमेशा ऐसे नाकाबिल लोगों को पसंद किया जो उनके दबाव में आंख मूंदकर फाइल पर हस्ताक्षर करते रहें और अब फाइलें खंगाली जा रही हैं तो यह सच्चाई सामने आ रही है।
पाठक के चेलों में मची भगदड़, छोड़ रहे एकेटीयू
एकेटीयू के कुलपति पद पर रहते असिस्टेंट रजिस्ट्रार पद पर भर्ती पाठक का एक करीबी उनके जोर-जुगाड़ से डेपुटेशन पर कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान भाग गया। एक करीबी की एनओसी इसलिए फंस गई क्योंकि छोटे पद पर होने के बावजूद बड़ी-बड़ी रकम की फाइलें साइन की हैं, ऐसे में हिसाब-किताब लिया जा रहा है। दूसरे कई कर्मचारी भगे हुए हैं।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।