अपराधियों को सजा दिलाने में वीडियो कान्फ्रेंसिंग की भूमिका ने चौंकाया, करीब 15 लाख के खर्च को भी बचा लिया
उत्तर प्रदेश में अपराधियों को सजा दिलाने में वीडियो कान्फ्रेंसिंग (वीसी) प्रणाली ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पिछले चार महीनों में वीसी के माध्यम से 4450 गवाहों ने गवाही देकर अपराधियों को सजा दिलाई जिससे अदालत में गवाह पेश करने के खर्च में करीब 15 लाख रुपये की बचत हुई। अभियोजन निदेशालय अपराधियों के खिलाफ साक्ष्य संग्रह वीसी ई-रिपोर्टिंग और ई-प्रासीक्यूशन पोर्टल जैसे तकनीकी साधनों का उपयोग कर रहा है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अपराधियों को सजा दिलाने में वीडियो कान्फ्रेंसिंग (वीसी) की व्यवस्था अहम भूमिका निभा रही है। बीते चार माह में वीसी के जरिए 4,450 गवाहों ने विभिन्न मामलों में गवाही देकर अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुुंचाया है। साथ ही पुलिस ने गवाहों को अदालत में पेश करने पर आने वाले करीब 15 लाख के खर्च को भी बचाया है।
प्रदेश में अपराध के प्रति सरकार की जीरो टालरेंस नीति के तहत पुलिस ने आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल कर 80 हजार से अधिक अपराधियों सजा दिलाने में सफलता प्राप्त की है। अभियोजन निदेशालय अदालतों में प्रभावी पैरवी के लिए वीसी, ई-रिपोर्टिंग सिस्टम, चिह्नित माफिया प्रबंधन प्रणाली निगरानी, ई-आफिस प्रणाली और ई-प्रासीक्यूशन पोर्टल का इस्तेमाल कर रहा है।
हर केस का डाटा रखा जा रहा सुरक्षित
वहीं अपराधियों के विरुद्ध साक्ष्य एकत्र करने के लिए अभियोजन निदेशालय डाटा एनालिटिक्स के साथ ई-रिपोर्टिंग व्यवस्था का उपयोग कर रहा है। हर केस का डाटा प्रोफाइल बनाकर उसे कंप्यूटर में सुरक्षित किया जा रहा है। साथ ही चिह्नित माफिया प्रबंधन प्रणाली निगरानी एप के जरिए चिह्नित माफिया से संबंधित वादों की दिन प्रतिदिन की प्रगति और कार्यवाही का पर्यवेक्षण किया जा रहा है।अभियोजन निदेशालय पेपरलेस काम के लिए ई-आफिस प्रणाली को भी अपना रहा है। आगामी तीन माह में ई-आफिस प्रणाली से 18 परिक्षेत्रीय अपर निदेशक अभियोजन कार्यालय एवं 18 संयुक्त निदेशक अभियोजन कार्यालयों को जोड़े जाने का लक्ष्य रखा गया है।
वीरगाथा प्रोजेक्ट में यूपी से सर्वाधिक 45.24 नामांकन
लखनऊ : वीरगाथा प्रोजेक्ट में उत्तर प्रदेश ने सर्वाधिक 45.24 लाख विद्यार्थियों का नामांकन कराया है। दूसरे नंबर पर दिल्ली ने 18.08 लाख और तीसरे नंबर पर बिहार ने 13.91 लाख विद्यार्थियों का नामांकन कराया है। यही नहीं देश भर में सबसे अधिक नामांकन कराने वाले टाप 50 जिलों में से 18 जिले यूपी के हैं। वीरता पुरस्कार विजेताओं पर आधारित रचनात्मक गतिविधियों में यह विद्यार्थी भाग लेंगे।कविता, निबंध, कहानी, पेंटिंग व वीडियो इत्यादि प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर यह वीर जवानों की बहादुरी के बारे में ज्ञानवर्धन करेंगे। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव ने बताया कि विद्यार्थियों को कक्षावार चार श्रेणियों में बांटा गया है। पहला कक्षा तीन से कक्षा पांच, दूसरी कक्षा छह से कक्षा आठ, तीसरी कक्षा नौ से कक्षा 10 और चौथी कक्षा 11 से कक्षा 12 की श्रेणी बनाई गई है।
बीते साल उप्र से 39 लाख विद्यार्थियों ने नामांकन किया था। ऐसे में इस बार इसमें 5.24 लाख की बढ़ोतरी हुई है। देश भर में सर्वाधिक नामांकन कराने वाले टाप 50 जिलों में जो 18 जिले यूपी के हैं उनमें पीलीभीत, बुलंदशहर, संत कबीर नगर, लखीमपुर खीरी, सिद्धार्थनगर, हरदोई, लखनऊ, महाराजगंज, प्रयागराज, वाराणसी, चित्रकूट, संभल, उन्नाव, देवरिया, बिजनौर, रामपुर, कानपुर देहात व मुजफ्फरनगर शामिल हैं।
यही नहीं नामांकन कराने के मामले में पीलीभीत देश में दूसरे, बुलंदशहर चाैथे और संत कबीर नगर सातवें स्थान पर है। यानी टाप टेन में भी यूपी के तीन जिले शामिल हैं। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य वीरता पुरस्कार विजेताओं व सशस्त्र बलों के जवानों की बहादुरी के कृत्यों और बहादुरों के जीवन की कहानियों का प्रचार-प्रसार करना है।
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