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अंबेडकरनगर में मजार की दीवार से बंद है प्राचीन कालिका मंदिर, यूपी सरकार के पास पहुंचा मामला

समाजवादी पार्टी की सरकार में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने दीवार खड़ी कर मंदिर तक आने-जाने का रास्ता बंद कर दिया। इसके बाद रातोंरात मंदिर के मुख्य द्वार की ईंटों से चुनाई कराकर अंदर जाने पर रोक लगा दी। मजबूरी में श्रद्धालु दूर से ही पूजा-पाठकर लौट आते हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Updated: Thu, 12 Aug 2021 07:41 AM (IST)
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प्रतिनिधिमंडल ने केशव प्रसाद मौर्य को ज्ञापन सौंपकर की खुलवाने की मांग।
अंबेडकरनगर, संवाद सूत्र। साजिश के तहत बंद किए गए अति प्राचीन कालिका देवी मंदिर के रास्ते को खुलवाने की जंग लखनऊ तक पहुंच गई है। कालिका को अपनी कुलदेवी मानने वाले निषादों के साथ एक प्रतिनिधिमंडल ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को ज्ञापन सौंपकर अविलंब रास्ता खाली कराने की मांग की है। उपमुख्यमंत्री ने इस संबंध में कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

कटका थाने के भियांव गांव में लगभग हजार वर्ष पुराना श्री कालिका देवी मंदिर है। इसके पास में ही सूफी संत मीर शाह की मजार भी है। करीब छह वर्ष पहले समाजवादी पार्टी की सरकार में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने दीवार खड़ी कर मंदिर तक आने-जाने का रास्ता बंद कर दिया। इसके बाद रातोंरात मंदिर के मुख्य द्वार की ईंटों से चुनाई कराकर अंदर जाने पर रोक लगा दी। मजबूरी में श्रद्धालु दूर से ही पूजा-पाठकर लौट आते हैं। यहां की बुजुर्ग चंपा देवी बताती हैं कि माता की चांदी की प्रतिमा भी साजिश के तहत गायब कर दी गई। उन्होंने बताया कि सदियों से यहां पूर्णिमा तथा अन्य त्योहारों पर देवी को कड़ाही देने के साथ धार, लौंग चढ़ाने की परंपरा रही है। पूर्व में यह क्षेत्र राजभरों तथा निषादों की संयुक्त छावनी थी।

स्थानीय निवासी महावीर मौर्य, राजेश निषाद, संग्राम निषाद आदि ने बताया कि उक्त देवी स्थान को षडयंत्र के तहत मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने कब्जे में ले लिया। उनके भय से लोग खुलकर इसका विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं। जलालपुर के पूर्व जिला पंचायत सदस्य व भाजपा नेता अरविंद पांडेय ने इस मुद्दे पर आरपार की लड़ाई का एलान किया है। उन्होंने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को ज्ञापन सौंपकर मंदिर परिसर जाने वाले रास्ते को खोलवाने की मांग की है। उप मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने वालों में अरविंद पांडेय के साथ आरएसएस के खंड कार्यवाह शेष नवल, भारशिव सेना सुहेलदेव के राष्ट्रीय अध्यक्ष भीमसेन, रामनिहाल निषाद, शनि त्रिपाठी तथा आशाराम शामिल रहे।

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