‘पीडीए’ पर क्यों भारी पड़ा योगी का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ फॉर्मूला, इसके बलबूते सपा ने खूब दौड़ाई थी साइकिल… भाजपा ने कर दी पंक्चर!
उत्तर प्रदेश के नौ सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों में सपा का पीडीए फॉर्मूला बिखरता नजर आया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में पीडीए के फॉर्मूले के साथ भाजपा को झटका दिया था जिसकी काट मुख्यमंत्री योगी ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के फॉर्मूले के साथ निकाली। मुख्यमंत्री का यह फॉर्मूले सफल रहा जिसकी बदौलत भाजपा ने उपचुनाव में सपा की दो सीटें भी हथिया ली।
शोभित श्रीवास्तव, लखनऊ। लोकसभा चुनाव में जिस ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की बदौलत सपा व कांग्रेस ने मिलकर ऐतिहासिक प्रदर्शन कर भाजपा को परेशान कर दिया था, वह छह माह के अंदर ही बिखर गया। विधानसभा की नौ सीटों के उपचुनाव में ‘पीडीए’ पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ फार्मूला हिट रहा।
सरकार व संगठन के सामंजस्य का असर भी इस उपचुनाव में दिखाई दिया। एक-एक वोट के लिए भाजपाई किलेबंदी का ही नतीजा है कि मुरादाबाद की मुस्लिम बहुल सीट कुंदरकी के साथ ही अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट भी भाजपा ने सपा से छीन ली है।
लोकसभा में हिट हुआ था पीडीए फॉर्मूला
लोकसभा चुनाव में सपा ने ‘पीडीए’ के जरिये जातीय समीकरणों की अपनी ‘साइकिल’ खूब दौड़ाई थी। इस वर्ष चार जून को जब नतीजे आए तो इसी फार्मूले की बदौलत सपा ने अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन कर सर्वाधिक 37 सीटों के साथ ही 33.59 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे।
चुनाव के यह नतीजे भाजपा की परेशानी का सबब बने और उसने एक-एक वोट के लिए किलेबंदी शुरू की। अखिलेश के ‘पीडीए’ के जवाब में मुख्यमंत्री योगी ‘बंटेंगे तो कटेंगे’, ‘एक रहेंगे तो नेक रहेंगे’ लेकर आए। यह फार्मूला हिट रहा और लोकसभा चुनाव में 41.37 प्रतिशत वोट पालने वाली भाजपा को इस उपचुनाव में करीब 52 प्रतिशत वोट मिले हैं।
मुख्यमंत्री योगी ने इसकी तैयारी बहुत पहले से शुरू कर दी थी। उन्होंने प्रत्येक सीट पर तीन-तीन मंत्रियों को प्रभारी बनाया। उपचुनाव की जमीन को योगी खुद सींचने में लग गए।
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