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दिल्ली सेवा बिल के दौरान जयंत की गैरमौजूदगी ने अटकलों को दी हवा, RLD ने पेश की सफाई

राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि पार्टी प्रमुख जयंत चौधरी सोमवार को दिल्ली सेवा विधेयक पर वोटिंग के दौरान राज्यसभा में अनुपस्थित थे। उन्होंने सदन की कार्यवाही में भाग नहीं लिया था। क्योंकि उन्हें उनकी पत्नी के ऑपरेशन में शामिल होना था। उन्होंने कहा राष्ट्रीय लोकदल I.N.D.I.A गठबंधन के साथ है। वह वोट देना चाहते थे लेकिन नहीं पहुंच सके।

By Jagran NewsEdited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Tue, 08 Aug 2023 02:30 PM (IST)
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आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी सोमवार को दिल्ली सेवा विधेयक पर वोटिंग के दौरान राज्यसभा में अनुपस्थित थे।

लखनऊ, एएनआई। दिल्ली सेवा विधेयक पर वोटिंग के दौरान राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) प्रमुख जयंत चौधरी की गैरमौजूदगी ने सोमवार को कई राजनीतिक अटकलों को हवा दी। भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (I.N.D.I.A) गठबंधन के दलों की तरफ से कयास लगाए जाने लगे कि जयंत चौधरी अब शायद गठबंधन के साथ नहीं हैं। इसलिए वो राज्यसभा में वोटिंग के दौरान अनुपस्थिति रहे।

आरएलडी को देनी पड़ी सफाई

आरएलडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि पार्टी प्रमुख जयंत चौधरी सोमवार को दिल्ली सेवा विधेयक पर वोटिंग के दौरान राज्यसभा में अनुपस्थित थे। उन्होंने सदन की कार्यवाही में भाग नहीं लिया था। क्योंकि उन्हें उनकी पत्नी के ऑपरेशन में शामिल होना था।

पार्टी प्रवक्ता ने कहा, "आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी सोमवार को राज्यसभा नहीं जा सके क्योंकि उन्हें अपनी पत्नी के ऑपरेशन में शामिल होना था। राष्ट्रीय लोकदल 'I.N.D.I.A' गठबंधन के साथ है। वह वोट देना चाहते थे लेकिन नहीं पहुंच सके।"

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक विधेयक सोमवार को 131 से 102 मतों के मत विभाजन के साथ पारित हो गया। हालांकि, आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी की अनुपस्थिति ने सदन की कार्यवाही में हलचल पैदा कर दी, खासकर तब जब जयंत ने बेंगलुरु में दूसरी बैठक में भाग लेकर भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) को समर्थन देने का वादा किया था।

सदन में आठ घंटे तक चली बहस

आठ घंटे तक चली बहस के बाद, विधेयक ने सोमवार को राज्यसभा में अपना आखिरी विधायी परीक्षण पास कर लिया। राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर मसौदा कानून उच्च सदन द्वारा विचार के लिए रखे जाने के बाद सहज बहुमत से पारित कर दिया गया।

संसद ने सोमवार को वह विधेयक पारित कर दिया, जो उपराज्यपाल को नियुक्तियों, तबादलों और पोस्टिंग से संबंधित मामलों सहित दिल्ली में ग्रुप ए सेवाओं को नियंत्रित करने का अधिकार देता है। राज्यसभा में विधेयक को मत विभाजन के बाद पारित किया गया, जिसमें 131 सांसदों ने कानून के पक्ष में और 102 ने इसके विरोध में मतदान किया।

मतदान के दौरान एक दिलचस्प घटना घटी

सोमवार को राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक के लिए मतदान के बीच एक दिलचस्प घटना घटी। भाजपा सहित पांच सांसदों ने दावा किया कि उनका नाम उनकी सहमति के बिना दिल्ली सेवा विधेयक के लिए प्रस्तावित चयन समिति में जोड़ा गया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा विचार और विधेयक पारित करने के लिए पेश किए जाने के बाद सोमवार को सदन में इस विधेयक पर बहस शुरू हुई। यह विधेयक पिछले सप्ताह लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।