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सपा-कांग्रेस में आगे भी बरकरार रहेगा गठबंधन? राहुल गांधी के खासमखास ने दे दिया ये जवाब

UP Political News In Hindi लोकसभा चुनाव से पहले सपा के विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए का हिस्सा बनने को लेकर काफी खींचतान देखने को मिली थी। लेकिन तब राष्ट्रीय पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस उप्र में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए सपा से सीटों के बंटवारे को लेकर लगातार लचीला रुख अपनाए थी। आखिरकार कांग्रेस ने उप्र में केवल 17 सीटों पर ही चुनाव लड़ने की सहमति देकर सपा को...

By Alok Mishra Edited By: Riya Pandey Published: Wed, 19 Jun 2024 10:24 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jun 2024 10:24 PM (IST)
अपनी ताकत बढ़ाने को सपा-कांग्रेस बरकरार रखेगी गठबंधन

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। UP Political News: लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित कांग्रेस और सपा आने वाले विधानसभा चुनाव में भी साथ नजर आएंगी। इस दोस्ती के पीछे दोनों ही दलों के अपनी-अपनी ताकत बढ़ाने की रणनीति भी है। कांग्रेस विशेषकर उत्तर प्रदेश में अपने खोये जनाधार को फिर से जुटाने की जुगत में है और इसके लिए साइकिल की सवारी से उसकी उम्मीद बढ़ी है।

सपा के लिए भी राष्ट्रीय स्तर पर अपना अस्तित्व बनाने केे लिए पंजे का साथ जरूरी है। दोनों ही दलों के नेता भी इसे बखूबी समझ रहे हैं। यही वजह है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में दोनों दल मिलकर एक बार फिर अपनी ताकत आजमाने की पूरी तैयारी में हैं।

लोकसभा चुनाव से पहले सपा के विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए का हिस्सा बनने को लेकर काफी खींचतान देखने को मिली थी। लेकिन, तब राष्ट्रीय पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस उप्र में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए सपा से सीटों के बंटवारे को लेकर लगातार लचीला रुख अपनाए थी। आखिरकार कांग्रेस ने उप्र में केवल 17 सीटों पर ही चुनाव लड़ने की सहमति देकर सपा को अपने पाले में खींच लिया था।

सपा के लिए कांग्रेस से बेहतर रहे चुनाव परिणाम

चुनाव परिणाम कांग्रेस से ज्यादा सपा के लिए बेहतर रहे और वह तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई। यहीं से सपा की राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनने की उम्मीदें भी जागी हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पंजे का साथ बनाए रखना चाहेंगे।

दोनों दलों के नेता भी इसके साफ संकेत देते हैं। हरियाणा व महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं। जहां सपा इस बार अपनी दावेदारी करेगी। विशेषकर हरियाणा में सपा यादव बहुल क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारना चाहेगी। वहीं कांग्रेस उप्र में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में चार से पांच सीटों पर अपने दावेदारी करेगी।

यूपी में वंचित समाज के वोटबैंक हथियाने की जुगत में कांग्रेस

कांग्रेस जातीय गणना का मुद्दा जोर-शोर से उठा रही है और इसके जरिए वह उप्र में वंचित समाज के वोटबैंक को हथियाने की जुगत में है। कांग्रेस की इस चाल का लाभ सपा को भी मिलता दिखाई दे रहा है। ऐसे में दोनों दलों के बीच गठबंधन खासकर उप्र मेें बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

राहुल गांधी ने भी अपनी परंपरागत सीट रायबरेली का प्रतिनिधित्व करने का निर्णय कर बड़ा संदेश भी दिया है। उप्र में अपनी धाक बढ़ाने के लिए कांग्रेस हरियाणा व महाराष्ट्र में सपा को सीटें देने में पीछे नहीं हटेगी। सपा भी विधानसभा उपचुनाव में एनडीए की हिस्से वाली सीटें कांग्रेस को देने में गुरेज नहीं करेगी।

विधानसभा चुनाव में भी दोनों दलों के साथ रहने की रहेगी कोशिश

कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे का कहना है कि पूरी कोशिश रहेगी कि आने वाले विधानसभा चुनाव में भी दोनों दल साथ रहें। उपचुनाव की तिथि घोषित होने के बाद दोनों दल के नेता आपस में बैठकर सबकुछ तय करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि उत्तर प्रदेश में सपा के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे।

सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि दोनों दलों के बीच किसी तरह की खींचतान नहीं है।

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