World Autism Day 2022: कहीं आपका बच्चा भी तो ऑटिज्म से पीड़ित नहीं, इन्हें चाहिए प्यार की थेरेपी
World Autism Day 2022 लखनऊ के प्रबल हास्पिटल के मनोरोग विशेषज्ञ एमडी डा. शाश्वत सक्सेना ने बताया कि लाइलाज बीमारी है आटिज्म लेकिन समय पर इसकी पहचान और उपचार से इसके लक्षणों को किया जा सकता है कम...
By Amit SinghEdited By: Updated: Tue, 29 Mar 2022 05:36 PM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। World Autism Day 2022 स्वलीनता या आटिज्म एक दिमागी बीमारी है। मेडिकल साइंस में इसे डेवलपमेंटल डिसआर्डर कहते हैं। यदि जन्म के कुछ माह बाद ही इसके लक्षणों को समझ लिया जाए तो ऐसे बच्चों की देखभाल काफी आसान हो जाती है। इसके अधिसंख्य मामलों में अभिभावक बीमारी के बारे में तब जान पाते हैं, जब बच्चा बोलने लायक होता है। ऐसे बच्चे सामने वाले से अपनी बात कह नहीं पाते हैं।
कुछ मामलों में जब इनकी आंखों में रोशनी पड़ती है या कोई आवाज देता है तो ये बहुत उग्र हो जाते हैं। इसके अधितकर मामलों में ढाई से तीन साल बाद ही अभिभावकों को समस्या का पता चल पाता है। हालांकि जन्म के कुछ माह बाद शिशु आंखें नहीं मिलता या आवाज देने पर आंखों से कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है तो उसे तत्काल चिकित्सक को दिखाना चाहिए। ऐसे बच्चे जिस काम को करने लगते हैं, उनका मन उसी में लगा रहता है। इसके कुछ मामलों में मिर्गी या अधिक गुस्सा करने की भी आदत होती है। अभी तक इस बीमारी के कारणों के बारे में कुछ स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है, लेकिन माना जाता है कि इसकी वजह आनुवांशिक, जीन में परिवर्तन या गर्भावस्था की जटिलताएं हो सकती हैं।
बीमारी की स्थिति के अनुसार लक्षणों में भिन्नता : इससे पीडि़त सभी बच्चों में लक्षण समान नहीं होते हैं। उनका स्वभाव या व्यवहार रोग की स्थिति के आधार पर निर्भर करता है। जैसे अगर बच्चा आटिज्म के आटिस्टिक डिसआर्डर से पीडि़त है तो वह कभी-कभी अपने व्यवहार से अलग दिख सकता है, लेकिन किसी खास विषय पर उसकी गहरी रुचि हो सकती है।
लक्षण:
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- एक ही शब्द को बार-बार बोलना या बड़बड़ाना
- हाथ या पंजे के बल चलना
- दूसरे बच्चों से मेलजोल करने से बचना
- गलत काम को मना करने पर उग्र व्यवहार करना
- किसी अंग को अधिक खुजलाना या खुद को चोट पहुंचाना
- तोडफ़ोड़ करना या तेज आवाज में बड़बड़ाना
- दूसरों की भावनाओं को न समझ पाना या चेहरे के भावों को व्यक्त न कर पाना