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World Blood Donor Day: इन लोगों के लिए रोज होता है ब्लड-डे, अब तक हजारों लोगों को दे चुके हैं महादान

World Blood Donor Day प्रतिवर्ष यूं तो 14 जून को भी विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है लेकिन मरीजों के लिए दिन-रात खड़े रहने वाले रक्त दाताओं के लिए किसी दिन विशेष की आवश्यकता नहीं होती। ये हैं यूुपी के ब्लड वारियर्स।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Wed, 14 Jun 2023 01:42 PM (IST)
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इन लोगों के लिए रोज होता है ब्लड-डे, अब तक हजारों लोगों को दे चुके हैं महादान
जागरण ऑनलाइन डेस्क, लखनऊ: (World Blood Donor Day) प्रतिवर्ष यूं तो 14 जून को भी विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है, लेकिन मरीजों के लिए दिन-रात खड़े रहने वाले रक्त दाताओं के लिए किसी दिन विशेष की आवश्यकता नहीं होती। कई ऐसे भी लोग हमारे समाज का हिस्सा है जो मरीजों को रक्त यूनिट मुहैया करवाने के लिए दूसरी बार नहीं सोचते।

प्रियंका सिंह

हरदोई निवासी गृहणी 2019 में अपने बेटे की दवा लेने के लिए अस्पताल गईं तो वहां पर एक रिक्शेवाले की बेटी को रक्त यूनिट की जरूरत देखी। खून न मिलने से बच्ची की मौत हो गयी। प्रियंका कहती है कि इस प्रकरण के बाद मैंने खुद रक्तदान का प्रण किया।

तब से अब तक वह और सेना में कार्यरत उनके पति अवनीश लगातार रक्तदान करते चले आ रहे हैं। प्रियंका थैलेसीमिया और कैंसर रोगी समेत हर माह 200 से 250 मरीजों को रक्त यूनिट मुहैया करवाती हैं।

इंटरनेट मीडिया पर 'कैंसर फ्री चाइल्डहुड' नामक पेज और ग्रुप के साथ 80049417979 पर उनसे सम्पर्क किया जा सकता है।

अनीता वर्मा

इंदिरा नगर बी ब्लाक में रहने वाली ग्रहणी अनीता वर्मा ने कोरोना काल में तीन परिजन को खोने के बाद रक्तदान का प्रण लिया। पति सुनील का भी प्रोत्साहन मिला तो आगे बढ़ी। इंटरनेट मीडिया पर रक्तदान समूह से जुड़ी।

अनीता के साथ वर्तमान में फेसबुक पर लगभग दो हजार और व्हाट्सएप ग्रुप 'स्नेहम' पर 250 लोग जुड़े हैं जो उनकी मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। अनीता से रक्तदान के लिए 8005030475 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

बलराज ढिल्लों

1998 से अब तक वह 117 बार रक्तदान कर चुके हैं। रक्त की कमी से पिता की मृत्यु के बाद हर किसी के लिए रक्तदान करने का प्रण किया। 2017 में रक्त पूरक चैरिटेबल फाउंडेशन की स्थापना भी की। इससे लगभग 2000 लोग जुड़े हुए हैं।

अब तक देशभर में 10,000 से अधिक लोगों की खून की जरूरत को वह पूरा कर चुके हैं। इंटरनेट मीडिया पर बलराज का 'रक्त पूरक परिवार' नाम से पेज चलता है। इसके अलावा 7607609777 पर भी उनसे संपर्क किया जा सकता है।

हर्षित गुप्ता

सीतापुर निवासी हर्षित 29 वर्ष की आयु में अब तक 113 बार रक्त और प्लेटलेट्स दान कर चुके हैं। हर्षित कहते हैं कि एक बार दोस्त के पिता को खून की आवश्यकता पड़ी तो ब्लड डोनेट किया। तब से सिलसिला नहीं रुका।

वर्तमान में हर्षित आईआईटी दिल्ली के छात्रों द्वारा शुरू किए गए ब्लडकनेक्ट आर्गेनाइजेशन के साथ कई फेसबुक पेज से जुड़ कर लोगों की मदद कर रहे हैं। हर्षित से रक्त यूनिट की जरूरत के लिए 8081950150 पर संपर्क किया जा सकता है।

डॉक्टर भी नहीं पीछे

डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के ब्लड बैंक प्रभारी डा. वीके शर्मा कहते हैं कि रक्तदान विश्व के सबसे सात्विक दान में से एक है क्योंकि रक्तदाता और मरीज दोनों को नहीं पता होता कि उनका रक्त किसे और किससे मिल रहा है।

डॉक्टरों की कड़ी में लखनऊ के कई ऐसे चिकित्सक हैं जो वर्षों से रक्तदान करते चले आ रहे हैं। कभी-कभी उनके अपने मरीज भी रक्त की जरूरत में शामिल होते हैं।

डॉ. नम्रता राव लोहिया संस्थान में नेफ्रोलाजी विभाग में कार्यरत डा. नम्रता राव 2013 से लगातार रक्तदान कर रही है। जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ या फिर कोई भी अन्य मौके पर वह रक्तदान जरूर करती हैं।

डॉ. राजीव कुमार सिंह

केजीएमयू के दंत संकाय में पीडोडोंटिक विभाग में कार्यरत डा. राजीव बीते छह वर्षों से रक्तदान कर रहे हैं। दोस्त की सर्जरी में रक्तदान शुरू किया, तब से वह लगातार रक्तदान करते आ रहे हैं। वह कहते हैं कि कई बार संस्थान में मरीजों को भी रक्त यूनिट की जरूरत पर यदि कोई डोनर नहीं होता उस दौरान भी मैं जाकर रक्तदान करता हूं।

डॉ. स्वागत महापात्रा

लोहिया संस्थान में हड्डी रोग विभाग के चिकित्सक डा. स्वागत महापात्रा अब तक 54 बार रक्तदान कर चुके हैं। डा. स्वागत लखनऊ, वेल्लोर और उड़ीसा में भी रहते हुए रक्तदान करते आ रहे हैं। वह कहते हैं कि एमबीबीएस में पढ़ाई के दौरान रक्तदान शुरू किया था तब से कभी मरीजों की जरूरत तो कभी स्वयं ही रक्तदान कर देते हैं और यह प्रक्रिया अब तक जारी है।

अमित शर्मा

लोहिया संस्थान नर्सेज संघ के जनरल सेक्रेटरी अमित शर्मा 40 से अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं। नर्सिंग की ट्रेनिंग में एक बच्ची को खून की जरूरत पड़ने पर किसी ने भी रक्तदान नहीं किया और उसकी मृत्यु हो गई। उसके बाद मैंने हमेशा रक्तदान करते रहने का प्रण लिया। अमित कई फेसबुक और इंटरनेट मीडिया एक ग्रुप से भी जुड़े हुए हैं जहां पर वक्त की जरूरत पड़ने पर वह रक्तदान करते हैं।

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