वाराणसी की रामलीलाः जानकी व भाइयों संग एकांतवास पर गये श्रीराम
विश्वप्रसिद्ध लीला के श्रीराम का सीता व भाइयों संग एकांतवास बुधवार से शुरू हो गया। सावन कृष्ण चतुर्थी पर दोपहर बाद प्रथम गणेश पूजन कर लीला का प्रथम अनुष्ठान किया गया।
By Ashish MishraEdited By: Updated: Thu, 13 Jul 2017 12:54 PM (IST)
वाराणसी (जेएनएन)। रामनगर की रामलीला का श्रीगणेश तो अनंत चतुर्दशी पर पांच सितंबर को होगा लेकिन विश्वप्रसिद्ध लीला के श्रीराम का सीता व भाइयों संग एकांतवास बुधवार से शुरू हो गया। सावन कृष्ण चतुर्थी पर दोपहर बाद प्रथम गणेश पूजन कर लीला का प्रथम अनुष्ठान किया गया। चौक स्थित रामलीला पक्की पर कलश स्थापन-गौरी गणेश आराधन और चयनित पंच स्वरूपों का विधि-विधान से पूजन किया गया। इसके साथ प्रशिक्षण के लिए बलुआ घाट काशीराज धर्मशाला में उन्हें आवासित किया गया। यहां वह घर- परिवार से दूर संन्यासी की तरह सात्विक जीवन बिताएंगे। यहां संवाद और भावों के प्रस्तुतिकरण में पारंगत किए जाएंगे। इस दौरान सांसारिक नाम की बजाय स्वरूप श्रद्धापूर्वक श्रीराम, सीता, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न पुकारे जाएंगे। लीला के आश्विन शुक्ल पूर्णिमा पर समापन के बाद ही पांचों स्वरूप घर जाएंगे।
बुधवार को खास अनुष्ठान में गणपति देव व हनुमानजी का मुखौटा, संवाद पोथी और तैयारियों के उद्देश्य से पेंट-ब्रश आदि की भी पूजा की गई। रामलीला अधिकारी डा. जय प्रकाश पाठक यजमान थे और आचार्य लक्ष्मीनारायन पांडेय व शांत नारायण पांडेय ने पूजन कराया। प्रधान व्यास रघुनाथ दत्त, कृष्ण दत्त व्यास, शिव दत्त व्यास, सम्पत व्यास, दुर्ग से मनोज श्रीवास्तव, कौशल सिह, चंद्रशेखर शर्मा, जामवंत गुरु, संतोष यादव, फ्रांस के एलन समेत लीला प्रेमी थे।
25 अगस्त को औपचारिक आरंभ
भादो शुक्ल पक्ष की चतुर्थी (25 अगस्त) को द्वितीय गणेश पूजन कर रामलीला का औपचारिक शुभारंभ किया जाएगा। इसमें नवग्रहों की पूजा-आराधना के साथ राम भक्त हनुमान के नाम से अनुष्ठान होंगे। पूज्य वह साजो-सामान भी होंगे जिनके जरिए प्रभु की लीला मुकाम पाएगी। पंच स्वरूपों को तिलक वंदन के साथ झनक उठेगा झाल-मंजीरा और गूंज उठेगी मृदंग की थाप। रामलीला पक्की पर रामायणी दल विराजेगा और अनंत चतुर्दशी (राम लीला आरंभ) के एक दिन पहले तक ऐसे 175 दोहों का पाठ करेगा जिनका रामलीला में मंचन नहीं किया जाता। हालांकि माह पर्यंत लीला का मंचन का सनकादिक मिलन के साथ उत्तरकांड के 91वें दोहे पर समापन कर दिया जाता है, ऐसे में कोट विदाई के दौरान शेष दोहे का गायन कर रामायणी दल लीला को पूर्णता देते हैं।
सीता इस बार श्रीराम
स्वर व कंठ परीक्षण के आधार पर पंच स्वरूपों का महाराज काशीनरेश की सहमति से दो दिन पहले चयन किया गया। इसमें पिछले साल सीता स्वरूप रहे बिछियापुर चंदौली के सक्षम तिवारी इस बार श्रीराम स्वरूप चुने गए हैं। दो साल पहले लक्ष्मण स्वरूप बने अगौरा-मीरजापुर के अवनीश पांडेय इस बार भरत की भूमिका में होंगे। इसके अलावा भदऊं चुंगी के सचिव पांडेय माता जानकी, विशेश्वरगंज के प्रांजल तिवारी लक्ष्मण, लंका के शिवा पांडेय शत्रुघ्न स्वरूप चुने गए हैं।
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