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18th National Book Fair: सम्मान समारोह के साथ विदा हो गया किताबों का संसार, 85 लाख रुपये का हुआ कारोबार

लखनऊ में लगे 18वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले के संयोजक मनोज चंदेल व सह संयोजक आस्था ढल ने बताया कि मेले में लगभग 85 लाख रुपये का कारोबार हुआ। निदेशक आकर्ष व आकर्षण जैन ने बताया कि बच्चों की किताबें इस बार पिछले मेलों के मुकाबले ज्यादा बिकीं।

By Rafiya NazEdited By: Updated: Mon, 11 Oct 2021 01:25 PM (IST)
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लखनऊ के मोतीमहल लान में लगे 18वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले का समापन।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। मोतीमहल लॉन में एक अक्टूबर से चल रहा 18वें राष्ट्रीय पुस्तक मेला यादगार आयोजनों के साथ समाप्त हो गया। अंतिम दिन पुस्तक प्रेमियों की रौनक देखते ही बनी। मेला संयोजक मनोज चंदेल व सह संयोजक आस्था ढल ने बताया कि मेले में लगभग 85 लाख रुपये का कारोबार हुआ। निदेशक आकर्ष व आकर्षण जैन ने बताया कि बच्चों की किताबें इस बार पिछले मेलों के मुकाबले ज्यादा बिकीं। सांस्कृतिक मंच पर आयोजित सम्मान समारोह में डा. एके.सिंह, रतनमणि लाल, केपी सिंह, मनोज सिंह चंदेल व मुरलीधर आहूजा ने शहर की हस्तियों को प्रोग्रेसिव यूपी अवार्ड से अलंकृत किया। इ

न सम्मानित हस्तियों में एसीपी डा. अर्चना सिंह, वेंकट, सुधांशु रस्तोगी, डा. हिमांशु कृष्णा, अंकुश अरोड़ा, डा. आरके ठकराल, डा.कु मुदनी चौहान, अग्रज अग्रवाल, वीके श्रीवास्तव, डा.नवनीत त्रिपाठी, चिरंजीवनाथ सिन्हा, डा.संदीप कुमार, डा. आशीषकुमार खरे, अमित शर्मा, डा.कंचन श्रीवास्तव, रुचि शर्मा, डा. मोहन बत्रा, डा. वैशाली जैन, डा. प्राची श्रीवास्तव, डा. विकास कुमार, डा. मनोज सिंह, डा. प्रियंका सिंह, विवेक सिंह, अनामिका पांडेय, डा. विनयराज व अंकुर चतुर्वेदी आदि को सम्मानित किया गया। आयोजन लखनऊ ट्रिब्यून की ओर से था। पुस्तक मेला समिति की ओर से भी प्रतिभागियों और मेला सहयोगियों को स्मृति चिह्न दिए गए।

युवाओं ने किया लखनऊ के अग्रणी साहित्यकारों की रचनाओं का पाठराजकमल प्रकाशन समूह की ओर से ''''हमारे लेखक, हमारे गौरव'''' प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। लखनऊ के पांच अग्रणी साहित्यकारों भगवतीचरण वर्मा, यशपाल, अमृतलाल नागर, शिवानी और श्रीलाल शुक्ल की रचनाओं का पाठ करने की प्रतियोगिता में तीन युवाओं को पुरस्कृत भी किया गया। पुरस्कृत युवाओं में अग्रिमा मिश्र ने श्रीलाल शुक्ल की रचना, उत्कर्ष कुमार ने भगवती चरण वर्मा की सामर्थ्य और सीमा और उत्कर्ष शुक्ल ने श्रीलाल शुक्ल की राग दरबारी का पाठ किया था। कार्यक्रम को अमृतलाल नागर की पौत्री दीक्षा नागर, भगवती चरण वर्मा के पौत्र चंद्रशेखर वर्मा, यशपाल के पौत्र अनिरुद्ध यशपाल और श्रीलाल शुक्ल के पौत्र उत्कर्ष शुक्ल ने भी संबोधित किया। एक बात सभी ने कही कि उनके बुजुर्ग दूसरे साहित्यकारों को भी खूब सम्मान करते थे और उन्हें पढ़ा करते थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद एवं साहित्यकार प्रो रमेश दीक्षित ने कहा कि प्रकृति ने केवल मानव मस्तिष्क को ही इस प्रकार बनाया है कि वह दूसरों के अनुभवों से सीखकर खुद को बेहतर बना सकता है। उन्होंने तीन प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया।

कार्यक्रम में राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने बताया कि युवाओं में श्रेष्ठ साहित्य के पठन-पाठन को बढ़ावा देने के लिए इस आयोजन की योजना बनाई गई। उन्होंने यह भी कहा कि एक बेहतर समाज और संस्कृति के निर्माण में श्रेष्ठ किताबों की महत्वपूर्ण भूमिका है। वे अपनी भूमिका तभी निभा सकती हैं, जब उन्हें अधिक से अधिक पढ़ा जाए। लेखिका वंदना मिश्रा ने कहा कि यह जरूरी नहीं कि युवा पीढ़ी किसी भाषा विशेष का पूरा साहित्य पढ़े। उन्हें जिस विषय और भाषा में रुचि हो, वही उनके व्यक्तित्व को निखारने का काम करेगी। इस अवसर पर आलोचक वीरेंद्र यादव और कथाकार अखिलेश भी मंचासीन रहे। ----''''संभावना के जुगनू'''' का विमोचन एवं उपन्यास ''''एकांतवासी शत्रुघ्न'''' पर चर्चाउप्र हिंदी संस्थान की प्रधान संपादक डा अमिता दुबे के कहानी संग्रह ''''संभावना के जुगनू'''' का विमोचन एवं उपन्यास ''''एकांतवासी शत्रुघ्न'''' पर चर्चा हुई। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ डीएस शुक्ला ने कहा कि यह उपन्यास रामकथा के उपेक्षित पात्र शत्रुघ्न के जीवन चरित्र को पाठकों के सामने लाता है। उप्र हिंदी संस्थान के निदेशक पवन कुमार ने कहानियों को अपनी ही लगने वाली बताते हुए उनके उपन्यास को राम कथा की नई उपलब्धि बताया, जिसमें अल्पख्यात पात्र शत्रुघ्न के जीवन को उजागर किया गया है। सुषमा गुप्ता ने उपन्यास के कथानक को रोचक और नई उद्भावनाओं से युक्त बताया। वहीं साहित्यकार शारदा लाल ने कथा सूत्र को पारंपरिक शैली के अनुरूप बताया। वरिष्ठ साहित्यकार महेंद्र भीष्म ने उपन्यास के संवाद की प्रशंसा करते हुए इसे पठनीय और नई पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण बताया। लेखिका अलका प्रमोद ने कहानी संग्रह सम्भावना के जुगनू की सभी 12 कहानियों को अलग-अलग विषय पर केंद्रित बताते हुए कहा कि जहां ये कहानियां समाप्त होती हैं वहीं से नई शुरुआत होती है। कृतिकार अमिता दुबे ने कहा कि मेरी कहानियां मेरी अनुभूति का प्रतिबिंब हैं। एकांतवासी शत्रुघ्न में मेरा भी एकांतवास समाहित है, इसे कोरोना काल की उपलब्धि कहा जा सकता है।

निखिल प्रकाशन समूह ने किया सृजन का सम्मान निखिल प्रकाशन समूह द्वारा 40 लेखकों/वरिष्ठ साहित्यकारों का सम्मान हुआ। महिलाओं के सम्मान की कड़ी में डॉ नवलता, डॉ मिथिलेश दीक्षित, डा. सुमन सुरभि, डा. नीतू शर्मा, डा. नीलम रावत, डा. पायल गुप्ता, नीलम सुमन, डा. माधुरी यादव, डा. रजिया परवीन, डा. शालिनी साहनी, डा. परवीन निजाम अंसारी, डा. सांत्वना दुबे, डा. नेहा कुमारी गुर्जर, डा. निधि नागर, रेनू द्विवेदी एवं अनीता सिन्हा का सम्मान हुआ। सम्मान के इसी क्रम में डा. राजीव दीक्षित, डा. केके सिंह, डा. नरेंद्र कुमार, डा. अशोक कुमार दुबे, अजय प्रताप सिंह गंगवार, प्रेम सिंह सेंगर, डा. सौरव मिश्रा, निर्भय नारायण गुप्त ''''निर्भय'''', डा. अरिमर्दन सिंह, डा. निजामुद्दीन अंसारी, डा. सत्यवीर सिंह ''''सत्य'''', आचार्य जियालाल भारती, डॉ रमेश चंद्र श्रीवास्तव ''''रचश्री'''', गौरीशंकर वैश्य ''''विनम्र'''', राजवीर सिंह, महेंद्र भीष्म सहित निखिल प्रकाशन समूह आगरा के चेयरमैन निखिल शर्मा का सम्मान हुआ। निखिल प्रकाशन समूह के निदेशक मोहन मुरारी शर्मा एवं शाखा प्रबंधक सहदेव शर्मा ने उत्कृष्ट लेखन सम्मान से नवाजे गए सभी लेखकों ,वरिष्ठ साहित्यकारों एवं कवियों के प्रति आभार जताया।

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