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'विश्व देखेगा नए उत्तर प्रदेश की नई अयोध्या', दैन‍िक जागरण के 'श्रीरामोत्सव- सबके राम' कार्यक्रम में बोले CM योगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस अवधपुरी के बारे में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि भई सकल सोभा कै खानी हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशानुरूप उसी रूप में उसे विकसित करने को संकल्पबद्ध हैं। भगवान राम का अपने भव्य मंदिर में पुनरागमन मेरा सौभाग्य है क्योंकि मैं मंदिर आंदोलन से जुड़ी तीसरी पीढ़ी में हूं। एक मुख्यमंत्री होने के नाते मेरा दायित्व है कि अयोध्या का सर्वांगीण विकास हो।

By Ambika Bajpai Edited By: Vinay Saxena Updated: Fri, 12 Jan 2024 08:25 PM (IST)
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दैनिक जागरण द्वारा आयोजित श्रीरामोत्सव सबके राम कार्यक्रम को संबोधित करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। जागरण
अम्बिका वाजपेयी, लखनऊ। ऊं स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:। अर्थात महान कीर्ति वाले इन्द्र हमारा कल्याण करो। यह प्रथम पंक्ति है उस स्वस्तिवाचन की, जो सनातन धर्म में सदियों से हर शुभ कार्य के पहले वाचित है। इसके वाचन के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जैसे ही सभागार में प्रवेश किया, श्रीरामोत्सव का आयोजन स्थल जय श्रीराम से गूंज उठा।

कार्यक्रम का शुभारंभ करने के उपरांत मुख्यमंत्री ने ज्यों ही कहा कि आप सबकी तरह मुझे भी 22 जनवरी की प्रतीक्षा है, हर्षपूरित करतलध्वनि ने सहमति दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस अवधपुरी के बारे में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है कि 'भई सकल सोभा कै खानी', हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशानुरूप उसी रूप में उसे विकसित करने को संकल्पबद्ध हैं। मैं हर सनातनी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि पूरा विश्व नए उत्तर की प्रदेश की नई अयोध्या देखेगा।

राममंदिर के लिए तमाम संघर्ष

सीएम योगी ने जयंती पर स्वामी विवकानंद को स्मरण करते हुए कहा कि परतंत्रता के काल में जनमानस जब गुलामी को अपनी नियति मान चुका था, तब उन्होंने कहा था कि उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य न प्राप्त हो जाए। इसी एक पंक्ति से उन्होंने समाज की कुंठा को दूर किया। ठीक उसी तरह 1528 से निर्णय आने तक राममंदिर को लेकर तमाम संघर्ष और शंकाएं साथ चलती रहीं लेकिन आस्था डिगी नहीं।

राम तो सर्वव्यापी हैं

सीएम योगी ने कहा कि राम तो सर्वव्यापी हैं, हम तो निमित्त मात्र हैं। जन्म से लेकर अंतिम यात्रा तक राम की व्यापकता का ही प्रभाव है कि हमारे लोक में आस्था सर्वोपरि हैं और सरकारें पीछे। राम ने उत्तर से दक्षिण तो कृष्ण ने पूरब से पश्चिम तक सांस्कृतिक एकता का सूत्रपात किया। केरल से निकलकर एक संन्यासी चारों दिशाओं में चार पीठों की स्थापना करता है और राजसत्ताएं उनका अनुगमन।

'अयोध्या समता की भूमि है'

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या समता की भूमि है और इसलिए हमने भोजनालय मां शबरी तो विश्रामगृह निषादराज के नाम पर बनवाए। यह नगरी हमारे लिए वोट का जरिया नहीं, जनमानस की आस्था का विषय है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद अयोध्या का वैभव लौटाना हमारी प्राथमिकता बन गया। सबको 22 जनवरी के बाद एक बार अयोध्या का दर्शन जरूर करना चाहिए। मुख्यमंत्री के प्रस्थान करते समय हुए शंखनाद में सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा का जयघोष सुनाई दिया।

दैनिक जागरण की थी अहम भूमिका

मुख्यमंत्री ने कहा कि राममंदिर आंदोलन के समय से अब तक दैनिक जागरण की भूमिका अवर्णनीय है। उस समय दैनिक जागरण पर बहुत हमले हुए, लेकिन पूर्व प्रधान संपादक स्वर्गीय नरेंद्र मोहन ने अपने आलेखों के माध्यम से जनजागरण के ज्वार को पुनर्जीवित किया। इसका संपादकीय संग्रहणीय है। स्वर्गीय नरेंद्र मोहन के आलेखों को नई पीढ़ी के समक्ष रखा जाना चाहिए।

श्रीराम है युवाओं के आदर्श

मुख्यमंत्री के संबोधन के बाद रामकथा मर्मज्ञ डा. सुनीता शास्त्री ने बताया कि कैसे आज भी श्रीराम युवाओं के आदर्श हैं। इसके बाद रामकथा की ऐतिहासिकता और वैश्विक विस्तार पर विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने प्रकाश डाला। श्रीराम और रामकथा, आधुनिक संदर्भ पर श्रीअयोध्याजी से पधारे जगद्गुरु स्वामी राघवाचार्य जी महाराज ने लोगों का मार्गदर्शन किया।

'अपने-अपने राम' की हुई व्याख्या

साहित्यकार पद्मश्री डा. विद्याविंदु सिंह, लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डा.विक्रम सिंह तथा लविवि के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. पीयूष भार्गव ने 'अपने-अपने राम' की व्याख्या की। श्रीराम कथाधारित नृत्य नाटिका और उनके आयामों के मंचन के बाद महाआरती ने लोगों का मनमोह लिया। कार्यक्रम में प्रदेश सरकार के मंत्रीगण संजय निषाद, जेपीएस राठैर तथा महापौर सुषमा खर्कवाल उपस्थित थीं।

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