Move to Jagran APP

अस्त हो गया साहित्य के शिखर पर चमकता UP के अमेठी का पहला सेलिब्रिटी, अवधी को दिलाया था देश व दुनिया में मान-सम्मान

अमेठी साहित्कार जगदीश पीयूष का निधन। गांव से निकल कर अपनी मेहनत से बनाई थी पहचान। जिले में शोक की लहर आम व खास सभी पहुंचे अंतिम दर्शन को सृजन पीठ। पिछले कुछ दिनों से चल रहे थे बीमार।

By Divyansh RastogiEdited By: Updated: Sun, 07 Feb 2021 06:46 AM (IST)
Hero Image
अमेठी जिले में शोक की लहर, आम व खास सभी पहुंचे अंतिम दर्शन को सृजन पीठ। (फाइल फोटो)
अमेठी[दिलीप सिंह]। साहित्यकार जगदीश पीयूष का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। 71 वर्ष के पीयूष कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। पीयूष देश-विदेश में कई सम्मान से अलंकृत किए गए। पीयूष के निधन के साथ अमेठी में साहित्य जगत के एक युग का अंत हो गया।

शहर में पिछले कई दशक से रहने वाले पीयूष ने साहित्य जगत विषेषकर अवधी साहित्य सृजन के क्षेत्र में बड़ा काम किया। असाधारण प्रतिभा के धनी पीयूष पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्हें पहले लखनऊ के मेदांता व पिछले दो दिनों से जिले के मुंशीगंज स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में इलाज के दौरान शुक्रवार रात 10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। पीयूष के निधन से जिले में शोक की गहरी लहर दौड़ गई है। पीयूष के निधन की सूचना सार्वजनिक होते ही उनके घर व सृजन पीठ पर लोगों का तांता लग गया। 

देश व दुनिया में अवधी को दिलाया मान-सम्मान : अवधी साहित्य के शिखर पर चमकता जगदीश पीयूष रूपी नक्षत्र अस्त हो गया है। इन्‍होंने अपनी माटी व भाषा से जुड़कर पीयूष ने अवध में बोली जाने वाली भाषा अवधी को देश व दुनिया में नई पहचान दिलाई। इसके लिए वह पूरे जीवन काम करते रहे। चाय की दुकान से लेकर देश व दुनिया के बडे साहित्यिक मंचों पर अवधी को लेकर पीयूष की सोच हमेशा एक सी ही थी। छह अगस्त 1950 को जिले के संग्रामपुर ब्लॉक के कसारा गांव के एक साधारण किसान परिवार में पैदा हुए जगदीश प्रसाद पांडेय 'पीयूष' पिछले कई दशक से गौरीगंज शहर में ही अपना बसेरा बना रखा था। 

बचपन से ही साहित्य साधना के सृजन में जुटे रहे पीयूष: पढ़ाई के दिनों से ही साहित्य साधना के सृजन में जुटे रहने वाले पीयूष पहले संजय गांधी व बाद में राजीव गांधी के बेहद करीबी रहे। वे राजीव गांधी के मीडिया प्रतिनिधि भी रहे। 80 के दशक में साहित्य के साथ राजनीतिक क्षेत्र तकरीबन सभी बड़े आयोजनों में पीयूष की मौजूदगी होती थी। 

चला गया अमेठी का पहला सेलिब्रिटी: मशहूर गीतकार मनोज मुंतशिर ने पीयूष के निधन पर गहरा शोक जताया है। मनोज ने अपनी पोस्ट में पीयूष को अवधी का वरद-पुत्र और अमेठी का पहला सेलिब्रिटी बताते हुए लिखा है कि मेरा मार्गदर्शक चला गया। मैंने क्या खो दिया, ये सिर्फ मेरा दिल जानता है। साहियकार कमल नयन पांडेय, अवधी के मशहूर कवि राजेंद्र शुक्ल अमरेश, कवियत्री डॉ. अर्चना ओजस्वी ने भी पीयूष के निधन को अपूर्णनीय क्षति बताया।

ये हैं पीयूष की रचनाएं: अपने जीवनकाल में पीयूष ने साहित्य के सभी क्षेत्र में प्रतिभा का लोहा मनवाया। पीयूष ने सुयोधन व तथागत (खंडकाव्य), गांधी और दलित नवजागरण, मेरा भारत महान, गांधी गांधी गांधी तथा पानी पर हिमालय व अंधरे के हांथ बटेर की रचना की। साथ ही उन्होंने 10 खंड में अवधी ग्रंथावली के अलावा किस्से अवध के, अवधी साहित्य सर्वेक्षण और समीक्षा, अवधी साहित्य के सरोकार, लोक साहित्य के पितामह, बोली बानी (14 अंक अनियतकालीन पत्रिका), लोकायतन का संपादन भी किया।

विदेशों में भी पीयूष को मिला सम्मान: पीयूष को सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन के मौके पर अमेरिका के न्यूयार्क में विश्व हिंदी सम्मान, नागरी प्रचारिणी सभा मॉरीसस द्वारा मॉरीसस में अंतरराष्ट्रीय हिंदी उत्सव सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा लोक भूषष व जायसी सम्मान से भी नवाजा गया। इसके अलावा 1993 में सोवियत रूस में आयोजित विश्व युवा महोत्सव में सहभागिता करने के अलावा उन्होंने हिंदी व अवधी के प्रचार प्रसार के लिए कई देशों की यात्रा भी की। 

शोक की लहर: सृजन पीठ पहुंचने वालों में गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह व कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह, पूर्व विधायक तेजभान सिंह, कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंघल, पूर्व जिलाध्यक्ष योगेंद्र मिश्र, बैजनाथ तिवारी, नरसिंह बहादुर सिंह, मीडिया प्रभारी डा. अरविंद चतुर्वेदी, जगदंबा प्रसाद मनीषी, बृजेश मिश्र, भाजपा जिलाध्यक्ष दुर्गेश त्रिपाठी, प्रियंक हरि विजय तिवारी उर्फ धीरू, पवन शुक्ला पटखौली, विजय किशोर तिवारी, उमाशंकर पांडेय, रविंद्र  सिंह, डा. अर्जुन प्रसाद पांडेय, मुकेश प्रताप सिंह, विक्रम सिंह, महेश प्रताप सिंह, दीपक सिंह पचेहरी, विजय प्रकाश शुक्ला, लाल मोहम्मद राईन, तारकेश्वर मित्र सहित तकरीबन सभी दलों के बड़े नेता, समाजसेवी व साहित्यकार शामिल रहे। 

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।