घोटाले के इंजीनियर यादव सिंह को बिना डिग्री मिली प्रोन्नति
सीबीआइ के मुजरिम व नोएडा प्राधिकरण के निलंबित मुख्य अभियंता यादव सिंह को नियम विरुद्ध प्रोन्नतियां दी गईं। कार्य आवंटन किया गया।
By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Fri, 10 Mar 2017 12:35 PM (IST)
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेस अथारिटी में तैनाती के दौरान अकूत संपत्ति अर्जित करने के आरोप में सीबीआइ के मुजरिम व नोएडा प्राधिकरण के निलंबित मुख्य अभियंता यादव सिंह को नियम विरुद्ध प्रोन्नतियां दी गईं। कार्य आवंटन किया गया। उनकी कई आइएएस अधिकारियों से साठगांठ थी। राज्यपाल राम नाईक को कल सौंपी 157 पेज की रिपोर्ट में अमरनाथ आयोग ने यह इशारा किया है। इस रिपोर्ट को राज्यपाल अपनी संस्तुतियों के साथ राज्य सरकार को भेजेंगे।
ग्रेटर नोएडा, नोएडा प्राधिकरण के मुख्य अभियंता यादव सिंह पर अकूत संपत्ति अर्जित करने का इल्जाम लगा। उसके साथ राजनीतिक दलों के कई बड़े ओहदेदारों के परिवार के लोगों की संलिप्तता की बात प्रकाश में आई और सीबीआइ जांच के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। चौतरफा दबाव पर अखिलेश यादव सरकार ने 10 फरवरी, 2015 को न्यायमूर्ति अमर नाथ वर्मा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया। तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन की ओर से जारी अधिसूचना में आयोग को तीन बिंदुओ पर जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
न्यायमूर्ति अमरनाथ वर्मा ने कल अपनी रिपोर्ट राज्यपाल राम नाईक को सौंपी। सूत्रों का कहना है कि 157 पेज की रिपोर्ट में नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार एवं अनियमितता होने का संकेत देते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि जिस समय यादव सिंह को प्रोन्नतियां दी गई, उस समय उनके पास इस पद के लिए जरूरी डिग्री तक नहीं थी। कई बार नियमों को शिथिल किया गया। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए कई आइएएस अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है। राज्यपाल के प्रवक्ता ने जांच रिपोर्ट मिलने की पुष्टि की है। अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाएगी।
आयोग को सौंपे थे दस्तावेज
सामाजिक संस्था लीगल एंड सोशल इनिशिएटिव फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिपि के अध्यक्ष कुलदीप नागर एवं कृष्णकांत सिंह ने यादव सिंह मामले में जांच आयोग केचेयरमैन जस्टिस अमरनाथ वर्मा को साक्ष्य 97 पेजों के दस्तावेज हलफनामे के साथ सौंपे थे। यादव के रिश्तेदारों व करीबियों की जानकारी भी इसमें दर्ज की गयी थी। एक खास कंपनी का उल्लेख करते हुए इलेक्ट्रिकल व सिविल की 79 परियोजनाओं पर कार्य किया। प्रोजेक्ट्स के 229 अनुबंधों पर 433 करोड़ का कार्य संपादित करवाया, जिसमे बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी होने का इल्जाम लगा था।
सीबीआइ की गिरफ्त में यादव सिंह
यादव सिंह इन दिनों सीबीआइ का मुजरिम हैं और जेल में निरुद्ध हैं। गत दिनों लखनऊ में पेशी के दौरान उनके समर्थकों व अधिवक्ताओं के बीच झड़प भी हुई थी। जिसके बाद से उन्हें कड़ी सुरक्षा में पेशी के लिए लाया जाता है।
इन बिंदुओं पर हुई जांच
- विभिन्न स्तरों पर यादव की पदोन्नतियों में निर्धारित प्रक्रिया व मापदंडों का पालन हुआ है या नहीं।
- विनिर्माण से संबंधित दिए गए ठेकों में निर्धारित प्रक्रिया और मापदंडो का अनुपालन हुआ या नहीं।
- भ्रष्टाचार और आचरण की जांच।
- मामले की जांच कर रही सेंट्रल बॉडी भी वर्मा कमेटी के क्षेत्राधिकार में शामिल होगी।
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