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UP News: गंगा प्रदूषण पर योगी आदित्यनाथ सरकार सख्त, 12 अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की तैयारी

Ganga Pollution In UP गंगा प्रदूषण को रोकने में लापरवाही पर उत्तर प्रदेश सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है। अरबों रुपये खर्च करने के बावजूद गंगा नदी में प्रदूषण कम नहीं हो पा रहा है। आज भी 61 प्रतिशत नालों का गंदा पानी सीधे गंगा में मिल रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Umesh TiwariUpdated: Mon, 10 Oct 2022 07:30 AM (IST)
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Ganga Pollution In UP: बगैर शोधित नाले सीधे गंगा नदी में बहा रहे हैं गंदगी।
UP News: लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। गंगा प्रदूषण (Ganga Pollution In UP) पर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की नाराजगी के बाद उत्तर प्रदेश सरकार इसके दोषियों को चिह्नित करने में जुट गई है। इसी के तहत उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बगैर शोधित नाला सीधे गंगा नदी में बहाने के लिए वाराणसी, प्रयागराज व कानपुर सहित 10 नगरीय निकायों को दोषी माना है। इनके 12 अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति सरकार से मांगी है। स्वीकृति मिलने पर इन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।

सीधे गंगा में मिल रहा नालों का पानी

दरअसल, अरबों रुपये खर्च करने के बावजूद गंगा नदी में प्रदूषण कम नहीं हो पा रहा है। आज भी उत्तर प्रदेश के 61 प्रतिशत नालों का गंदा पानी सीधे गंगा में मिल रहा है। केवल 39 प्रतिशत नाले ही टैप हैं। सरकारी कागजों में 27 प्रतिशत नालों का काम चल रहा है, जबकि 26 प्रतिशत नाले ऐसे हैं जिनकी डीपीआर ही नहीं बनी है।

184 नालों का बगैर ट्रीटमेंट बह रहा पानी  

प्रदेश में गंगा नदी में छोटे-बड़े कुल 301 नाले मिलते हैं। इनमें से 86 नाले तो बिजनौर से लेकर कानपुर के बीच ही मिलते हैं, जबकि 215 नाले कानपुर से आगे बलिया तक में गंगा नदी में मिलते हैं। इनमें से केवल 117 नाले ही ऐसे हैं जो टैप हैं। 184 नालों में आज भी बगैर ट्रीटमेंट के ही सीवेज व गंदगी गंगा नदी में बहाई जा रही है।

वाराणसी में सीधे गंगा में मिल रहे नाले

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों ने प्रदेश के कई स्थानों की जांच की तो उन्हें कई नाले बगैर शोधित गंगा नदी में बहते मिले। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में नगवा ड्रेन/अस्सी ड्रेन की गंदगी बगैर शोधित किए सीधे गंगा नदी में बहाई जा रही है। कानपुर नगर में पांच नाले रानीघाट, गोलाघाट, सत्तीचौरा, डब्का एवं शीतला बाजार की गंदगी भी सीधे गंगा नदी में मिल रही है। एक आंशिक टैप परमिया नाला भी सीधे गंगा नदी में गंदगी बहा रहा है।

गंगा की सहायक पाण्डु नदी से जुड़े कई नाले

गंगा की सहायक पाण्डु नदी में भी पांच नाले हल्वा खंडा नाला, गंदा नाला, आइसीसीआइ नाला, रतनपुर नाला, पनकी थर्मल पावर नाला व सीओडी नाला की गंदगी सीधे नदी में बहाई जा रही थी। यह नदी अंत में गंगा नदी में मिलती है। इसके अलावा बिठूर में भी गंगा नदी में मिलने वाले कलवारीघाट, लक्ष्मणघाट, गुदाराघाट, पेशवा, भुन्नी व लवकुश नाला अनटैप मिले हैं।

प्रयागराज में गंगा व यमुना नदी बेहाल

प्रयागराज शहर में ही गंगा व यमुना नदी में मिलने वाले 60 नालों की जांच में किसी भी प्रकार के शुद्धिकरण की व्यवस्था नहीं मिली है। गाजीपुर जिले की नगर पालिका परिषद जमनिया में करपूरी घाट नाला, गाजीपुर की नगर पंचायत सैदपुर में पक्का नाला, नगर पालिका परिषद गाजीपुर में कलेक्ट्रेट घाट नाला, नगर पालिका परिषद बलिया में कटहल नाला, चंदौली के नगर पालिका परिषद पंडित दीनदयाल नगर के गंदा नाला व रेलवे नाला, मीरजापुर के नगर पालिका परिषद चुनार में 13 नाले बगैर किसी प्रकार की शुद्धिकरण व्यवस्था के गंदगी गंगा नदी में बहा रहे हैं।

मीरजापुर एवं विंध्याचल में 17 अनटैप नाले

इसी प्रकार मीरजापुर एवं विंध्याचल नगर पालिका परिषद में भी 17 अनटैप नालों से घरेलू सीवेज गंगा नदी में निस्तारित हो रहा है। इसे देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से अभियोजन स्वीकृति मांगी है। विभाग ने भी इसे नगर विकास विभाग के पास भेज दिया है। वहां से स्वीकृति मिलने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

इनके खिलाफ मांगी अभियोजन स्वीकृति

  • प्रणय सिंह, नगर आयुक्त, नगर निगम वाराणसी
  • शिवशरणप्पा जीएन, नगर आयुक्त, नगर निगम कानपुर
  • अनुज गोयल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, छावनी परिषद, कानपुर
  • राजपति बैस, अधिाशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद चुनार, मीरजापुर
  • चन्द्र मोहन गर्ग, नगर आयुक्त, नगर निगम प्रयागराज
  • सतीश कुमार, मुख्य अभियंता, नगर निगम प्रयागराज
  • अंगद गुप्ता, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद मीरजापुर
  • कृष्ण चन्द, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद पं दीनदयाल नगर, चंदौली
  • सत्य प्रकाश सिंह, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद बलिया
  • लाल चन्द्र सरोज, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद गाजीपुर
  • आशुतोष त्रिपाठी, अधिशासी अधिकारी, नगर पंचायत सैदपुर, गाजीपुर
  • अब्दुल सबूर, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद गाजीपुर

5 वर्ष तक की सजा का है प्रविधान

जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 में नदियों में प्रदूषण फैलाने पर पांच वर्ष तक की सजा व एक लाख रुपये जुर्माने का प्रविधान है। चूंकि नगरीय निकाय एक निगमित निकाय हैं तथा जल अधिनियम की धारा 47 के तहत एक कंपनी हैं। इसलिए इसके अधिकारियों को उत्तरदायी माना गया है।

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