प्राण प्रतिष्ठा की तिथि की प्रतीक्षा में आमजन, रामजन की व्यग्रता से स्वयं को सन्नद्ध करते हुए उन्होंने कहा-मुझे भी 22 जनवरी की प्रतीक्षा है। दीपोत्सव के सूत्रपात से लेकर अयोध्या के कायाकल्प होने तक की यात्रा का वृत्तांत मुख्यमंत्री ने सुनाया। वह दैनिक जागरण के तत्वावधान में लखनऊ के फार्च्यून होटल में आयोजित श्री रामोत्सव: सबके राम में मुख्यअतिथि थे। प्रस्तुत है उनके वक्तव्य की अविकल प्रस्तुति
समताभरी अयोध्या में शबरी व निषादराज का भी सम्मान, रामनगरी हमारे लिए वोट बैंक नहीं अयोध्या हमारे लिए वोटबैंक नहीं, आस्था का विषय है। यह समता की भूमि है। यहां निषादराज को भी सम्मान देना और माता शबरी को भी। इसलिए हमने डारमेट्री निषादराज के नाम पर और भोजनालय माता शबरी के नाम पर करने का निर्णय लिया है।
जन्म से लेकर मृत्यु तक राम ही राम मुख्यमंत्री ने रामनाम की महिमा का बखान किया। कहते हैं कि बगैर राम के जीवन का कोई कार्यक्रम नहीं हो सकता। उठते-जागते, खेत में काम करते, व्यवसाय पर जाते समय...सदैव राम ही राम। यहां कि जीवन की अंतिम यात्रा में भी राम का नाम आता है।
अयोध्या में आस्था का सम्मान
अवधपुरी प्रभु आवत जानी, भई सकल शोभा कै खानी...। प्रभु श्रीराम के आगमन से इतनी शोभायमान हो जाती है। ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुरूप अयोध्या का ढांचागत विकास किया गया। बीते दो-तीन वर्षों में इस नगरी का कायाकल्प हो गया। मुख्यमंत्री कहते हैं कि वर्ष 2017 में जब अयोध्या में दीपोत्सव का शुभारंभ किया गया, तब वहां के ढांचागत विकास की स्थिति दयनीय थी।
हालांकि अयोध्या में इन्फ्रास्ट्रक्चर भले न रहा हो, लेकिन आस्था तो थी। हमें उसे आस्था का सम्मान करना था। मैंने अपनी टीम भेजी अयोध्या। इस बात के सर्वे के लिए कि लोगों के मानस में क्या है? हमने अथक प्रयास किए। उस समय कुछ लोगों ने कहा कि अयोध्या की दुर्गति कराने जा रहे हैं। मैंने कहा कि दुर्गति ही सही, कुछ तो हो। वहां दीपोत्सव हुआ, सबने इसे स्वीकार भी किया। अब अयोध्या में सब कुछ बदल चुका है।
अब अयोध्या में 24 घंटे आती है बिजली
दीपोत्सव से पहले अयोध्या में बिजली की बड़ी दुर्दशा थी। मुश्किल से चार-पांच घंटे इसकी आपूर्ति मिल पाती थी।अब आप अयोध्या जाकर खुद देख लें या किसी अयोध्यावासी से पूछ लें, 24 घंटे वहां निर्बाध बिजली रहती है। पेयजल भी बड़ी समस्या थी, हमने इस परेशानी को दूर कराया। आज अयोध्यावासियों को पीने के पानी की कोई दिक्कत नहीं होती।
राम जी की पैड़ी विस्तार, रामकथा पार्क भी
स्वच्छ और निर्मल अयोध्या हमारी प्राथमिकता थी। घाटों पर बहुत गंदगी रहा करती थी। अब घाट चमाचम हो चुके हैं। राम की पैड़ी में पानी सड़ता रहता था। गंदे तालाब जैसी स्थित हो गई थी। आज आप रामजी की पैड़ी में जाइए, पाएंगे कि लाखों श्रद्धालु वहां एक साथ स्नान कर सकते हैं। इसके साथ ही अपने पैड़ी का विस्तार किया। रामकथा पार्क भी विकसित हुआ।
श्रीराम भजन संध्या स्थल की बात आई। संध्या स्थल तो बन गया, लेकिन वहां एक हाइटेंशन लाइन थी। उसे हटाया गया, बड़ी राशि व्यय हुई। आज वहां रामजी के सबसे ज्यादा भजन गाने वाली सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी की वीणा के साथ उनका स्मारक बना हुआ है, जो अयोध्या को नए ढंग से शोभायमान कर रहा है।
दुनिया का पहला सप्त सितारा होटल जो विशुद्ध शाकाहारी होगा
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए धर्मशालाओं, रैनबसेरों, होटलों का निर्माण किया जा रहा है। आपको पूरे विश्व में कहीं भी ऐसा होटल नहीं मिलेगा, जो विशुद्ध शाकाहारी और सेवेन स्टार (सप्त सितारा) होगा। अब नया भारत, नया उत्तर प्रदेश और नई अयोध्या देखने को मिलेगी।
यूपी का बड़ा इवेंट बन चुका है दीपोत्सव अयोध्या का दीपोत्सव अब यूपी का बड़ा इवेंट बन चुका है। गत वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं इस उत्सव में आए थे। 54 देशों के राजदूत दीपोत्सव में आए थे। दक्षिण कोरिया की प्रथम नागरिक भी इस भव्य आयोजन की अतिथि थीं।
कभी अनुपयोगी हवाई पट्टी थी, आज है अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा
अयोध्या में आज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यहां जो पुरानी हवाई पट्टी थी, वह 167 एकड़ में थी और अनुपयोगी थी। हमारा राजकीय विमान भी वहां लैंड नहीं कर पाता था। हमने एक समय सीमा के अंदर 821 एकड़ जमीन एयरपोर्ट अथारिटी को उपलब्ध कराया जिसके बाद वहां तेजी से कार्य हुआ जो दिख रहा है।
चारों दिशाओं से अयोध्या तक पहुंचना आसान हो गया। अयोध्या को फोर लेन और सिक्सलेन की कनेक्टिविटी प्राप्त हो चुकी है। लखनऊ से अयोध्या, गोरखपुर से अयोध्या, प्रयागराज से अयोध्या, वाराणसी से अयोध्या। नगर के भीतर भी सुगम पथ बनाए जा चुके हैं।अयोध्या के अंदर फोर लेने और सिक्स लेन की कनेक्टिविटी प्राप्त हो चुकी है। आज आपको नए घाट से जन्मभूमि होते हुए फैजाबाद तक और लखनऊ-अयोध्या हाइवे तक तक फोर लेन की कनेक्टिविटी मिलेगी। इस पथ का नाम है रामपथ। अयोध्या को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाला एक और मार्ग है धर्म पथ। यह तस्वीरों में चमकता दिखता। सूर्य स्तंभ दमकते हैं इसमें।
इसी को और 04 लेन के हाईवे से जुड़ चुकी है अयोध्या एकड़ में बनाया गया है अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मुख्यमंत्री ने अपने वक्तव्य के दौरान कई बार दैनिक जागरण का उल्लेख किया। जागरण समूह के प्रति बारंबार कृतज्ञता प्रकट रहते रहे।उन्होंने कहा- राममंदिर आंदोलन की शुरुआत से अब तक दैनिक जागरण की अद्वितीय भूमिका है। दैनिक जागरण पर उस समय बहुत हमले हुए। दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक दिवंगत नरेन्द्र मोहन ने राष्ट्रवाद की पत्रकारिता को उसी समय समझ लिया था।
पहचान लिया था। उन्होंने अपने आलेखों से जनजागरण के ज्वार को पुनर्जीवित किया। उनके संपादकीय आलेख संग्रहणीय हैं। मेरी इच्छा है कि इन आलेखों को नई पीढ़ी के समक्ष भी रखा जाए। श्रीरामोत्सव के आयोजन की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दैनिक जागरण और वह व्यक्तिगत रूप से मंदिर आंदोलन से जुड़े हैं। श्रीरामोत्सव का यह आयोजन उसी परंपरा की कड़ी है।अयोध्या का फैसला आ गया। मैंने कहा कि अब वहां भीड़ होगी। दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो, इसके लिए हमने सबसे पहले रेल लाइन पर ध्यान दिलाया। इस समय रेलवे की डबल लाइन पूरी अयोध्या को जोड़ चुकी है।
लाखों लोग एक साथ बिना कष्ट आ सकेंग
अयोध्या में रामपथ से हनुमानगढ़ी होते हुए एक मार्ग और जाता है श्रृंगार हाट होते हुए। इसे चौड़ाकर हमने भक्तिपथ बना दिया। पहले इस मार्ग की दशा बहुत खराब थी। सड़क बहुत संकरी थी। इससे श्री हनुमानगढ़ी और श्रीरामलला के दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालुओं को बड़ी असुविधा होती थी।रामलला के दर्शन का मार्ग भी अब आसान हो गया है। सुग्रीव किला के बगल से जन्मभूमि के लिए एक और मार्ग है जिसका नाम है जन्मभूमि पथ। यह चारों मार्ग फोर लेन से जुड़ चुके हैं। अब आप देखेंगे कि लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं, किसी को कोई कष्ट नहीं होगा। अंदर भी वैकल्पिक मार्ग दिए जा रहे हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम और लीलाधारी भगवान श्री कृष्ण ने भारत की जो सीमा तय की थी वही आज भी है। प्रभु श्री राम ने उत्तर से दक्षिण तो श्रीकृष्ण ने उत्तर से पश्चिम को जोड़ा था। हजारों वर्ष पहले भारत में राजनीतिक इकाइयां भले ही अलग-अलग थीं, लेकिन सांस्कृतिक एकता एक थी।उन्होंने कहा कि दुनिया को विश्व मानवता की आस्था के सम्मान का मार्ग भी भारत ने ही दिखाया। यह हर कालखंड में हुआ है और यही स्थिति अयोध्या के अंदर आज हम सभी को देखने को मिल रही है।वह कहते हैं कि केरल से निकला एक संन्यासी भारत के चार कोनों में चार पीठों की स्थापना कर देता है। किसी भी राजा रजवाड़े ने उनको रोका नहीं, बल्कि उनका सम्मान किया। कपिलवस्तु का एक राजकुमार संन्यासी बनकर ज्ञान का उपदेश देता है, उनके लिए सभी राज्यों के राजा-राजवाड़े अपने पलक पावड़े बिछा देते हैं। यह भारत है, जो आस्था का सम्मान करता है। भारत में समाज आगे है, सत्ता पीछे। भारत का नागरिकों की सत्ता पर निर्भरता न्यूनतम है। वह स्वावलंबी है।
किसी का नुकसान हुआ तो...
मार्गों के निर्माण के दौरान किसी की दुकान टूटी हो, किसी का मकान क्षतिग्रस्त हुआ तो इसकी व्यवस्था कर दी गई है कि उसे पर्याप्त क्षतिपूर्ति दी जा सके। जिन्हें दुकान चाहिए उन्हें महायोजना में छूट देकर दुकान बनाने की सुविधा दी गई। जिन लोगों को महायोजना में दुकानें नहीं चाहिए उनके लिए छह स्थानों पर बनाई मल्टीलेवल पार्किंग कामर्शियल स्पेस की भी व्यवस्था की गई है।यही नहीं, यहां श्रद्धालुओं के लिए डारमेट्री और भोजनालय की व्यवस्था की गई है। अयोध्या को हम पहली सोलर सिटी भी बना रहे हैं। जहां भगवान श्रीराम ने समाधि ली थी, उस स्थलों का स्वरूप भी एक नई अयोध्या के रूप में हम लोगों को देखने को मिल रहा है।
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