योगी सरकार रेंट एग्रीमेंट के खर्चे में करने वाली है बदलाव, किरायेदार-मालिक के बीच विवाद भी कम होने के आसार
योगी सरकार रेंट एग्रीमेंट के खर्चे को बेहद मामूली करने जा रही है। दो लाख रुपये तक के सालाना किराये पर सिर्फ 500 रुपये खर्च होंगे। खर्च कम होने से मकान मालिकों को भी फायदा होगा। किरायेदारी को लेकर होने वाले विवाद के कोर्ट में बढ़ते मामलों में भी कमी आने के आसार है। पांच वर्ष के रेंट एग्रीमेंट के रजिस्ट्रेशन पर एक हजार रुपये तक लेने की तैयारी है।
अजय जायसवाल, लखनऊ। अगर आप अपने भवन-भूखंड को किराये पर देना चाहते हैं तो उसकी पक्की लिखा-पढ़ी पर अब औसत वार्षिक किराये के आधार पर भारी-भरकम चार प्रतिशत तक स्टांप ड्यूटी नहीं देनी होगी। योगी सरकार रेंट एग्रीमेंट (किराया अनुबंध) के खर्चे को बेहद मामूली करने जा रही है।
भवन आवासीय हो या फिर व्यावसायिक यदि वार्षिक किराया दो लाख रुपये से कम है तो रेंट एग्रीमेंट को पंजीकृत कराने पर मात्र 500 रुपये खर्च होंगे। इसी तरह पांच वर्ष तक की अवधि के एग्रीमेंट का खर्चा भी एक हजार रुपये तक होगा।
ज्यादा किराया और अधिक अवधि के रेंट एग्रीमेंट के मामले में भी अधिकतम स्टांप रजिस्ट्रेशन शुल्क पांच हजार रुपये तक ही रखने की तैयारी है ताकि ज्यादा से ज्यादा संपत्ति स्वामी रेंट एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आगे आएं और किरायेदारी को लेकर भविष्य में किसी तरह का विवाद होने पर उन्हें नए रेंट कंट्रोल कानून का पूरा लाभ मिल सके। ऐसे में किरायेदारी को लेकर होने वाले विवाद के कोर्ट में बढ़ते मामलों में भी कमी आने के आसार है।
मकान मालिक और किरायेदार रेंट एग्रीमेंट क्यों नहीं कराते?
दरअसल, प्रदेश में अभी रेंट एग्रीमेंट रजिस्टर्ड कराने पर औसत वार्षिक किराये पर ग्रामीण क्षेत्र की संपत्ति होने पर जहां दो प्रतिशत वहीं शहरी क्षेत्र में चार प्रतिशत तक स्टांप ड्यूटी लगती है। यही कारण है कि ज्यादातर मामलों में मकान मालिक और किरायेदार रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड नहीं कराते हैं। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष एक से 10 साल तक की अवधि वाले सिर्फ 21,939 रेंट एग्रीमेंट ही प्रदेश में रजिस्टर्ड कराए गए।
इसी तरह वर्ष 2022 में 19,086 तथा वर्ष 2021 में 15,547 रेंट एग्रीमेंट ही रजिस्टर्ड हुए जबकि जानकारों का कहना है कि रेंट एग्रीमेंट तो लाखों में होते हैं। चूंकि कानूनन 11 महीने के रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड कराने की अनिवार्यता नहीं है इसलिए ज्यादा स्टांप ड्यूटी देने से बचने के लिए सिर्फ 100 रुपये के स्टांप पेपर पर 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट से ही काम चलाया जा रहा है।
हालांकि, ऐसे में किसी तरह का विवाद होने पर मकान मालिक बेवजह परेशान होते हैं। योगी सरकार, कोर्ट में किरायेदारी के बढ़ते विवादों को कम करने के लिए अब रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड कराने पर आने वाले खर्च को बेहद कम करने जा रही है ताकि मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन कराने से पीछे न हटें। ऐसे में किसी तरह का विवाद होने नए रेंट कंट्रोल कानून के तहत रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट में लिखी बातें ही बड़ा आधार होंगी। एग्रीमेंट से हटकर सिविल कोर्ट या पुलिस के स्तर से किरायेदार को कोई राहत नहीं मिल सकेगी।
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