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योगी सरकार का निर्णय- अपने खेत से 100 घन मीटर तक मिट्टी निकाल सकते हैं किसान, यहां करवाना होगा रजिस्ट्रेशन

UP News - उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने आम लोगों एवं किसानों के लिए मिट्टी खोदने को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसके तहत किसान ऑनलाइन अनुमति लेकर स्वयं के खेतों से 100 घन मीटर तक मिट्टी का खनन कर उसका परिवहन किया जा सकता है। किसी दूसरे प्रदेश में यहां की मिट्टी ले जाने की अनुमति नहीं होगी।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Sun, 21 Jul 2024 03:35 AM (IST)
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किसी दूसरे प्रदेश में यहां की मिट्टी ले जाने की अनुमति नहीं होगी।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। किसानों और आम लोगों द्वारा किए जाने वाले मिट्टी के खनन को लेकर सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय किया है। ऑनलाइन अनुमति लेकर स्वयं के खेतों से 100 घन मीटर तक मिट्टी का खनन कर उसका परिवहन किया जा सकता है। किसी दूसरे प्रदेश में यहां की मिट्टी ले जाने की अनुमति नहीं होगी। 

योगी सरकार ने तहसील और पुलिस थाने के कर्मियों से इस निर्देश का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा है। प्रदेश सरकार को लगातार यह शिकायतें मिल रही थीं कि आम जन द्वारा निजी या सामुदायिक कार्य के लिए अपने ही खेत से मिट्टी खोद कर ले जाने पर पुलिस व प्रशासन परमिट के नाम पर उनको रोक रहे हैं। 

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों, पुलिस कमिश्नर, एसएसपी और एसपी को निर्देश दिया है कि भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग ने 100 घनमीटर तक खनन और मिट्टी के परिवहन के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की है। 

इसके लिए विभाग की वेबसाइट (upminemitra.in) पर अपनी सूचना भरकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। रजिस्ट्रेशन की प्रति के साथ व्यक्ति स्वयं की भूमि पर मिट्टी खनन व परिवहन कर सकता है। 

वहीं, 100 घन मीटर मिट्टी से अधिक खनन व परिवहन के लिए अनुज्ञा/परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता है। इसके लिए भी वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। परमिट/अनुज्ञा संबंधित जिलाधिकारी के ऑनलाइन अनुमोदन के बाद जारी किया जाता है। 

सामान्य रूप से एक ट्रैक्टर ट्राली से तीन घनमीटर साधारण मिट्टी का परिवहन किया जाता है, जिसके आधार पर 100 घनमीटर मिट्टी के परिवहन के लिए लगभग 33 ट्रैक्टर ट्रालियों का प्रयोग किया जा सकता है। 

उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली 1963 के नियम-3 के अंतर्गत दो मीटर की गहराई तक सामान्य मिट्टी को निकालने को खनन के अंतर्गत नहीं माना गया है। 

इन कार्यों के लिए मिलती है पर्यावरणीय अनापत्ति से छूट

  • कुम्हारों को मिट्टी के घड़े, खिलौने बनाने के लिए मैनुअल खनन से मिट्टी या बालू की निकासी
  • मैनुअल खनन से मिट्टी की टाइल्स बनाने के लिए
  • बाढ़ के बाद कृषि भूमि से बालू के जमाव को हटाने और ग्राम पंचायत में अवस्थित स्रोतों से बालू और मिट्टी को वैयक्तिक उपयोग या ग्राम में समुदाय कार्य के लिए प्रथा के अनुसार खनन की छूट 
  • ग्रामीण तालाबों या टैंकों से गाद हटाने, मनरेगा व अन्य सरकारी योजनाएं, प्रायोजित और सामुदायिक प्रयासों से ग्रामीण सड़कों, तालाबों या बांधों के निर्माण जैसे सामुदायिक कार्य
  • सड़क, पाइपलाइन जैसी परियोजनाओं के लिए मिट्टी की निकासी
  • बांधों, तालाबों, मेड़ों, बैराजों, नदी और नहरों के रखरखाव, आपदा प्रबंधन के लिए गाद निकालना
  • पारंपरिक समुदाय के अंतर ज्वारीय क्षेत्र के भीतर चूने के गोलों, पवित्र स्थानों की मैनुअल निकासी 
  • सिंचाई या पेयजल के लिए कुओं की खुदाई
  • ऐसे भवनों की नींव के लिए खुदाई, जिनके लिए पूर्व पर्यावरणीय अनापत्ति जरूरी नहीं है
  • डीएम या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी के आदेश पर किसी नहर, नाला, ड्रेन, जल निकाय आदि में आने वाली दरार को भरने के लिए साधारण मिट्टी या बालू का उत्खनन, जिससे किसी आपदा या बाढ़ जैसी स्थिति से निपटा जा सके।
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