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कभी पूर्वांचल में बोलती थी बाहुबलियों की तूती, अब चुनावी संग्राम में हुए ढेर; योगी सरकार में मिट्टी में मिला 'बाहुबल'

उत्तर प्रदेश से पिछले सात वर्षों में ‘बाहुबल’ ढेर होता नजर आया है। अब या तो बाहुबली इस दुनिया में नहीं हैं और जो हैं भी वे सलाखों के पीछे हैं। पूर्वांचल की राजनीति में 1996 से 2017 तक लगातार पांच चुनावों में मऊ सदर सीट से विधायक बनने वाले मुख्तार अंसारी का दबदबा हुआ करता था। मऊ-गाजीपुर के हर छोटे-बड़े चुनावों में उसका दखल रहता था।

By Jagran News Edited By: Vinay Saxena Updated: Wed, 13 Mar 2024 12:45 PM (IST)
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योगी सरकार में पिछले सात वर्षों में यूपी से ‘बाहुबल’ ढेर होता नजर आया है।
नीरज स‍िंह, लखनऊ। एक दौर था, जब उत्तर प्रदेश में भी बाहुबलियों की तूती बोलती थी। उनके सामने कोई चुनावी संग्राम में उतरना ही नहीं चाहता था। समय बदला। योगी सरकार आई। पिछले सात वर्षों में उत्तर प्रदेश से ‘बाहुबल’ ढेर होता नजर आया है! अब या तो बाहुबली इस दुनिया में नहीं हैं और जो हैं भी वे सलाखों के पीछे हैं। राजनीतिक दलों ने भी बाहुबलियों से कन्नी काटनी शुरू कर दी है। यही वजह है कि इस चुनाव में बाहुबलियों की दखलंदाजी संभवत: न देखने को मिले। यूपी के बदलते हालात पर लखनऊ से नीरज सिंह की रिपोर्ट...

पूर्वांचल की राजनीति में 1996 से 2017 तक लगातार पांच चुनावों में मऊ सदर सीट से विधायक बनने वाले मुख्तार अंसारी का दबदबा हुआ करता था। मऊ-गाजीपुर के हर छोटे-बड़े चुनावों में उसका दखल रहता था। वक्त बदला और अब मुख्तार बांदा जेल में अपने अपराधों का हिसाब भुगत रहा है।

जौनपुर के एमपी-एएलए कोर्ट ने अपहरण, रंगदारी के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह को सात साल की सजा सुनाई है। 33 साल के आपराधिक इतिहास में पहली बार सजा मिलने के बाद धनंजय सिंह का राजनीतिक करियर संकट में है। सियासी हल्के में यह कयास लगाया जा रहा था कि दो बार विधायक और एक बार सांसद रहे धनंजय सिंह इस लोस चुनाव में एक बार फिर ताल ठोकेंगे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा।

जौनपुर जिले के शाहगंज रेलवे स्टेशन स्थित जीआरपी थाने के 1985 के सिपाही हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा पा चुके बसपा के पूर्व सांसद उमाकांत यादव भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। तीन बार विधायक और एक बार सांसद रहे उमाकांत यादव को आठ अगस्त 2022 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस बार लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ में किसी बाहुबली का दखल नहीं होगा। यादव वोटों पर मजबूत पकड़ रखने वाले चार बार के सांसद और पांच बार के विधायक बाहुबली नेता रमाकांत यादव फतेहगढ़ जेल में बंद हैं। इस बार चुनाव में उनका कोई प्रभाव नहीं रहेगा। आगरा जेल में बंद ज्ञानपुर के पूर्व विधायक विजय मिश्र का हत्या, लूट, अपहरण, दुष्कर्म, एके-47 की बरामदगी जैसे अपराधों से नाता रहा। चार बार विधायक रहे विजय मिश्र को वाराणसी की एक गायिका के साथ दुष्कर्म के मामले में 15 साल की सजा हो गई।

गोरखपुर-बस्ती मंडल के ये बाहुबली हाशिये पर

पूर्वांचल के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र प्रताप शाही महराजगंज सीट पर वर्ष 1984 में आमने-सामने हुए, लेकिन जनता ने दोनों को नकार दिया। कांग्रेस के जितेंद्र सिंह यहां विजयी हुए। कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजा काट रहे बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी ने वर्ष 2009 में जेल में रहते हुए अपने भाई अजीतमणि त्रिपाठी को महराजगंज सीट से मैदान में उतारा, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी हर्षवर्धन के हाथों उन्हें भी हार मिली। इसके पहले 1996 में अमरमणि डुमरियागंज से तो वीरेंद्र शाही गोरखपुर से चुनाव लड़े, लेकिन दोनों को हार मिली। किसी सीट पर अब तक कोई बाहुबली सांसद नहीं हुआ है।

बदायूं में खिसक रही बाहुबली डीपी यादव की राजनीतिक जमीन

नोएडा के मूल निवासी पूर्व मंत्री डीपी यादव से सपा, बसपा ने किनारा किया तो राजनीतिक जमीन खिसक गई। बाद में राष्ट्रीय परिवर्तन दल बनाने वाले डीपी यादव ने पिछले वर्ष विस चुनाव में बेटे कुणाल को प्रत्याशी बनाया था। 26 हजार वोट पाकर वह चौथे स्थान पर थे। डीपी यादव पर हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती, अपहरण, गैंगस्टर जैसे एक दर्जन से अधिक गंभीर मुकदमे थे। वर्ष 2007 में राष्ट्रीय परिवर्तन दल बनाया था। उस समय सहसवान से डीपी यादव और बिसौली से उनकी पत्नी उमलेश यादव विधायक बनी थीं। इसके बाद किसी सदन में जाने का मौका नहीं मिला।

कानून के प्रहार से टूटने लगा राजनीति और अपराध का गठजोड़

कानपुर-बुंदेलखंड में भी कई ऐसे बाहुबली रहे जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव में सक्रिय रहे। बुंदेलखंड में डाकू ददुआ उर्फ शिव कुमार पटेल ने बंदूक के जोर पर जंगल में भी वोट की फसल उगाई। चित्रकूट के देवकली गांव के रहने वाले ददुआ का कई लोकसभा और विधानसभा सीटों पर सिक्का चलता था। एनकाउंटर में ददुआ के साथ ही उसका साम्राज्य भी ढेर हो गया। हमीरपुर के कुरारा गांव के रहने वाले अशोक चंदेल बाहुबल के दम पर चार बार विधायक और एक बार सांसद रहे। अशोक चंदेल इस समय एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या के मामले में आगरा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।

फर्रुखाबाद के इंस्पेक्टर हत्याकांड मामले में मथुरा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे माफिया अनुपम दुबे का प्रभाव इस बार चुनाव में नहीं दिखेगा। माफिया अनुपम दुबे का फर्रुखाबाद में तगड़ा राजनीतिक दखल रखता था। भाजपा के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में फर्रुखाबाद सदर के पूर्व विधायक विजय सिंह छह वर्षों से जेल में बंद हैं। इसके चलते फर्रुखाबाद में अब विजय सिंह का दमखम कमजोर पड़ चुका है। लोस चुनाव में भी दखल अब कम ही नजर आता है। चार बार विधायक रहे सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का लोकसभा चुनाव में खासा दखल रहा है। माखी दुष्कर्म कांड में कुलदीप को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और वर्तमान में वह दिल्ली के तिहाड़ जेल में सजा काट रहा है।

प्रयागराज में अब नहीं रहा बाहुबलियों का प्रभाव

प्रयागराज में माफिया अतीक और उसका भाई अशरफ ये दो नाम हैं, जिनके इर्द-गिर्द हर चुनाव घूमता था, लेकिन पिछले वर्ष दोनों की हत्या के बाद प्रभाव खत्म हो गया। इस चुनाव में अतीक गैंग से जुड़ा कोई व्यक्ति सक्रिय नजर नहीं आ रहा है। माफिया अतीक अहमद पांच बार विधायक और एक बार सांसद रहा। अतीक ने पहला चुनाव विधानसभा और आखिरी लोकसभा का लड़ा था। 2004 में अतीक अहमद ने पारंपरिक सीट इलाहाबाद पश्चिम छोड़ी तो भाई अशरफ को चुनाव लड़ाया, लेकिन वह हार गया।

बसपा के राजू पाल ने जीत दर्ज की, पर कुछ दिन बाद ही उनकी हत्या कर दी गई। 2006 में उप चुनाव हुआ तो अतीक के भाई अशरफ ने जीत दर्ज की। उसके बाद 2007 में हुए चुनाव में राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने अशरफ को हराया। कहा जाता है कि अतीक के सामने कोई चुनाव लड़ने को तैयार नहीं होता था। फूलपुर के पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया व उनके छोटे भाई पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की गिनती भी बाहुबली नेताओं में होती रही है। दोनों सपा के विधायक रहे जवाहर पंडित हत्याकांड में आजीवन सजा काट रहे हैं। करवरिया बंधु तो कौशांबी तक दखल रखते थे। इस बार कोई बड़ा नाम प्रभावी नहीं दिख रहा है। यहां बाहुबलियों का प्रभाव बीते दिनों की बात हो चुकी है।

कभी था चुनाव में इनका दबदबा

आगरा मंडल में चुनाव को प्रभावित कर सकने वाले चेहरे कम ही रहे। मैनपुरी में कभी उपदेश सिंह खलीफा कद्दावर नेता और दबंग थे। दो बार विधायक रहे रामवीर यादव का फिरोजाबाद के जसराना क्षेत्र में कभी दबदबा था। एटा जिले में बाहुबली अलीगंज के पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव पर 80 मुकदमे दर्ज हैं। रामेश्वर इन दिनों जेल में हैं।

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