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किसानों को सिंचाई सुविधा के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार का महत्वपूर्ण फैसला, सौर ऊर्जा से चलेंगे नलकूप

UP Cabinet Decision जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि परांपरागत ऊर्जा को नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत प्रोत्साहित किया जाएगा। किसानों को उथले मध्यम व गहरे नलकूपों की बोरिंग सुविधा प्रदान की जाएगी।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Updated: Tue, 26 Jan 2021 07:41 AM (IST)
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किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने सोमवार को महत्वपूर्ण फैसला लिया है।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने सोमवार को महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए लघु सिंचाई योजना को अब मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के संशोधित स्वरूप में लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि किसानों को बोरिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही नलकूपों को सौर ऊर्जा से संचालित कराया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार शाम हुई कैबिनेट की बैठक विभिन्न विभागों के प्रस्तावों मंजूरी मिली। जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि परांपरागत ऊर्जा को नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत प्रोत्साहित किया जाएगा। किसानों को उथले, मध्यम व गहरे नलकूपों की बोरिंग सुविधा प्रदान की जाएगी। उथले बोरिंग में 30 मीटर तक तथा मध्यम में 31 से 60 मीटर तक बोरिंग कराया जाता है। वहीं गहरे बोरिंग में 61 से 90 मीटर गहरे बोरिंग कराने की सुविधा प्रदान की जाती है। मंत्री डॉ.महेंद्र सिंह ने बताया कि सभी बोरिंग की जियो टैगिंग करायी जाएगी। इस अलावा पाइप आदि की खरीद जैम पोर्टल के माध्यम से होगी।

बांधों के सुधार को 1,240 करोड़ की परियोजना : कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश मेें विभिन्न बांधों के सुधार व पुनर्वास को 1249 करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत करके भारत सरकार को भेजने का निर्णय लिया है। विश्व बैंक सहायतित डीआरआइपी फेज-2 योजना मेें विश्व बैंक से 70 प्रतिशत धनराशि उपलब्ध होगी। जलशक्ति मंत्री ने बताया कि इस परियोजना में उत्तराखंड क्षेत्र में आने वाले चार बांध भी शामिल हैं। कैबिनेट ने प्रदेश में विभिन्न बांधों के सुधार व पुनर्वास को 1249 करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत करके भारत सरकार को भेजने का निर्णय किया है। विश्व बैंक सहायतित डीआरआइपी फेज-2 योजना में विश्व बैंक से 70 प्रतिशत धनराशि उपलब्ध होगी। जलशक्ति मंत्री ने बताया कि इस परियोजना में उत्तराखंड क्षेत्र में आने वाले चार बांध भी शामिल हैं। परियोजना के तहत प्रदेश के नियंत्रणाधीन 39 बांध शामिल हैं। इन बांधों के पुनरुद्धार/पुनर्वास की परियोजना की कार्य अवधि 10 वर्ष है, जो दो चरणों में पांच-पांच वर्ष में पूर्ण की जाएगी।

परियोजना की अनुमानित लागत 1249 करोड़ रुपए है। इसका 70 प्रतिशत हिस्सा 874.30 करोड़ रुपये विश्व बैंक से ऋण के रूप में मिलेगा और शेष 30 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार वहन करेगी। परियोजना के प्रथम चरण का आरंभ वित्तीय वर्ष 2020-21 में किया जाएगा। परियोजना के प्रथम चरण (ड्रिप फेज-2) के तहत राज्य के लिए 529 करोड़ रुपये की धनराशि प्राविधानित है। ड्रिप फेज-2 के अंतर्गत राज्य के 30 बांधों का पुनरुद्धार किया जाएगा, जबकि परियोजना के द्वितीय चरण (ड्रिप फेज-3) के अंतर्गत राज्य के लिए 720 करोड़ रुपए की धनराशि प्राविधानित है। इसका 70 प्रतिशत हिस्सा यानी 504 करोड़ रुपए विश्व बैंक देगा और शेष 216 करोड़ रुपये राज्य सरकार वहन करेगी। ड्रिप फेज-3 में राज्य के नौ बांधों का पुनरुद्धार किया जाएगा। 

24 नहरों का अनुरक्षण उत्तराखंड को सौंपा : उत्तराखंड राज्य की सीमा में आने वाली 24 छोटी नहरों व अल्पिकाओं के अनुरक्षण की जिम्मेदारी उत्तराखंड को सौंप दी गयी है। जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि उक्त नहरों का स्वामित्व उत्तर प्रद्रेश के पास ही रहेगा। बता दें कि 24 नहरों में 20 नहरें ऊधमसिंह नगर जिले में तथा चार हरिद्धार जिले में आती है। उक्त नहरों में हेड से सौ मीटर तक अनुरक्षण उत्तर प्रदेश के पास ही रहेगा।

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